तो लीजिये हुजूर, मेहरबान, कद्रदान, साहेबान और हर खास ओ' आम आदमी
पेश है घर पर उगाए हुए पैशन फ्रूट का ज्यूस
विटामिन सी से भरपूर , जीरा, काला नमक, थोड़ी सी शक्कर, काली मिर्च डला हुआ
मल्लब गज्जबै ई है जे तो
तो लीजिये हुजूर, मेहरबान, कद्रदान, साहेबान और हर खास ओ' आम आदमी
पेश है घर पर उगाए हुए पैशन फ्रूट का ज्यूस
विटामिन सी से भरपूर , जीरा, काला नमक, थोड़ी सी शक्कर, काली मिर्च डला हुआ
मल्लब गज्जबै ई है जे तो
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2 करोड़ × 8 वर्ष = 16 करोड़
मात्र 75000 को दीवाली के पहले नियुक्ति मल्लब नौकरी
कितना प्रतिशत हुआ बै
धन तेरस मनाओ रे, जाओ सोना खरीदो - मैं गैस का रिफिल ले रहा खत्म हो गया साला
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अभी दिवाली तक नौटँकी चलेगी इसकी - अभी तो दिवाली पर सैनिकों के बीच जाएगा भांड और नाचेगा भेष बदलकर और देव दिवाली पर अयोध्या
देश भर में हत्या, अपराध, कश्मीर में हमले, चीन का दबदबा बढ़ रहा, लोग भूखों मर रहें पर इसकी ऐयाशियों में कमी नही आई, ऊपर से यह सब 18 घण्टे वाला काम है - कैसा आदमी चुन लिया बै तुम लोगों ने
पूरा मेंटल है - और यह देश का दुर्भाग्य है, आज भाजपा के प्रदेश स्तर के और संघ के प्रांत स्तर के दो मित्रों से बात कर रहा था तो उन्होंने भी यही कहा कि जनता के बीच हम कुछ कह नही पा रहें, लोग महंगाई की बात करते है और यह कपड़े बदल रहा है - दो महामानवों ने भारत को मात्र 8 वर्ष में कहां लाकर खड़ा कर दिया, अच्छा हुआ 47 में ये नही आये - वरना हम सब आज अपने आपको मुंह दिखाने लायक नही रहते
अभी अयोध्या में सत्रह लाख दीये जलाने की योजना है और मज़ेदार यह कि उप्र में सबसे ज़्यादा निशुल्क अनाज बंट रहा है और कुपोषण - गरीबी का आलम पूछिये मत, पर सत्रह लाख दीये जलाना है, रिकॉर्ड तोड़ना है पिछले सारे - क्योंकि यह नौटँकी जायेगा उस दिन - ज़रा सोचिए कितना तेल लगेगा बाकी खर्च तो छोड़ ही दीजिये काश वह तेल उप्र के नौनिहालों को दलिया या सब्जी दाल में दिया जाए तो उनका ठिगनापन, कुपोषण कुछ तो कम होगा - सवाल यह है कि क्या ब्यूरोक्रेसी यह सुझाव देती है और अगर नही तो फिर इनका हाथ क्यों नही पकड़ती - राज्य के खर्च में ये कैसे लीगली अकाउंट्स की बुक में दर्ज होता होगा, CAG क्या अंधे हो गए या वो भाँग पीकर बैठे है आजकल
कितना बड़ा धोखा है देश और मानवता के साथ, अपने जीवन में तमाम बहुरूपिये देखें, एक से एक मक्कार और मूर्ख देखें, पर इतना बड़े वाला नही देखा आज तक - मतलब उम्र और पद की गरिमा का भी लिहाज़ नही इसे, इसकी माँ देखती होगी तो क्या सोचती होगी
शर्म नही आती, कितना बड़ा मानसिक रोगी है Pankaj भाई ने सही लिखा है कि अब मान ही लेना चाहिये कि यह भयंकर बीमार और बड़े वाला मानसिक रोगी है
मैं इस फोटू वाले की बात कर रियाँ, आप किसका समझे ?
देश में शिव मंदिरों के अलावा भी लोग है, बेरोजगारी, महंगाई है और आप 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन तीन साल से बांटकर बरगला रहे हो
कब तक बनारस, उज्जैन, बद्रीनाथ और केदार धाम में जनता का रूपया लगाकर खुद मेकअप करके जनता को बनाते रहेंगे - नौकरी, भूख , महंगाई की बात कीजिये - बन्द कीजिये ये सजना धजना, शर्म करो अपनी उम्र और पद का लिहाज़ करो - ये नौटँकी शोभा नही देती - हमें रोजगार चाहिए कारीडोर्स नहीं
जनता का अरबों रुपया इस सरकार ने बर्बाद कर दिया और भांड के शौक पूरे नही हो रहें - नौकरी देने के बजाय, महंगाई कम करने के बजाय फोकट में लोगों को 3 साल से राशन बाँट कर निकम्मा कर रहा है , अनपढ़ लोग यही कर सकते है
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|| भगवान अभी भी पीछे है ||
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और कुछ किया - ना किया, पर क्या जोरदार कपड़े, टोपी, मेकअप, फोटोशूट, अपने पर फिल्में, और शानदार घुमाई कर ली बंदे ने - भले 80 करोड़ लोग टुकड़े तोडू मरते रहें भूखे, बेरोजगार आबाद रहें, डॉलर ₹100 का हो जाये, माता बहनों की इज्जत लूटती रहें - पर मैं बेशर्मी और प्रचार नही छोड़ूँगा - और यह सब "पंथ निरपेक्ष सँविधान वाले देश में होता है और फिर तुर्रा यह कि कोई छुट्टी नही ली और 18 घण्टे रोज काम किया"
जितना घूमना था और जितनी ऐय्याशी करनी थी कर ली, कूट - कूट कर बदले ले लिए और सबको लाइन से निपटाया और श्रृंगार तो ऐसा कि अप्सराएं शर्मा जायें और कहें कि मालिक हमको भी सीखा दो
उधर अयोध्या में श्रीराम और वाराणसी, उज्जैन, ओंकारेश्वर, त्र्यम्बकेश्वर, सोमनाथ, बद्री से लेकर केदारनाथ तक महादेव कह रहे - "शिव, शिव, शिव - बचाओ, बचाओ, बचाओ" माँ पार्वती आर्तनाद सुन रही हो ना
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लीज़ ट्रस को चर्च में मरियम की मूर्ति ढूंढना थी, पूरे ब्रिटेन के चैपल में 1000 करोड़ यूरो के कॉरिडोर बनवाना थे, युवाओं को येरुशलम में लगाना था, क्यो बै मुस्लिम कम है क्या लंदन में या ये ससुरे क्रिश्चियन से लड़ते नही ये
पगली खेल कर गई, बड़ी मुश्किल से हासिल होती है सत्ता - चीन से लेकर चीन के अड़ोस - पड़ोस में देश, देश में लोग 2050 तक सत्ताधीश बने रहने के जतन कर रहें हैं
अरे कोई समझाओ इस नादान पगली को कि कैथोलिक - प्रोटेस्टेंट को ही लड़वा देती अफ्रीकन या जूइश लोगों से, रैली धरने और फ्रीज में से गोभी जी या बैंगन जी की सब्जी निकलवा कर लिंचिंग करवा देती तो बच जाती, 45 दिन सिर्फ़ - उफ़्फ़ इतने कम टाईम में तो अम्बानी अडाणी तो क्या घर की औलाद भी सेट नही होती, और एक रिश्तेदार को जज भी नही बना सकते
आर्थिक स्थिति का क्या है और नौकरी का क्या रामायण सुनाना - ये तो शाश्वत समस्याएं है - अरे पगली कोई यूँ छोड़कर जाता है क्या , तू पछताएगी बहुत जब कोई ताली बजाने वाला नही दिखेगा, कैसे सोएगी ब्रिटेन की रानी भी नही अब
ख़ैर, अब विनाश काले विपरीत बुद्धि या जब नाश मनुज पर छाता है तो ... और ससुरी मीडिया को दो चार ब्रेड डाल देती हनी छिड़ककर तो ये नौबत नही आती, इतना भी क्या मीडिया के दलालों से डरना, बोलती तो रजत, अर्नब या रुबिका आंटी को भेज देते थोड़े दिन - सब सेट कर देते - इनको बस "वेस्ट मिनिस्टर ब्रिज" पर कुछ टुकड़े और बीयर पिला देती
अब आओ - पश्चिम में, हमारा काम तमाम सूरज ही नही जुगनुओं को भी मसलना प्राथमिकता है, अब यहाँ योगा करने और अध्यात्म समझने आओ, गिलोय वटी लो और फूं फां करो पहाड़ों में, तुमको गंगा, क्षिप्रा और नर्मदा बुला रही है, हम समझाएंगे तुझको कि सत्ता के सूरज को जकड़े रहकर भी कैसे करोड़ों लोगों को माँजकर बेवकूफ बनाया जाता है
अबै ओ जुकरबर्ग एक भाट्सअप विवि की "शाखा" हावर्ड, ऑक्सफ़ोर्ड और लीड (लीद नही) में भी खोल
खेल कर गई पगली, 45 दिन में नाम डूबो दिया, स्मृति से तो पूछ लेती निकम्मी
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