सर अंदर आ जाऊँ क्या
अबै डेढ़ मिनिट लगेगा, धोती तो बदल लेने दे , तू साले ये भी कैमरे पर दिखायेगा क्या , इतनी तो प्राइवेसी रहने दो यार
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भक्त बैठता है उपास्य देव के सन्मुख हो कर, और ये बैठा कैमरोन्मुख होकर
और उज्जैन जाते हुए 56 साल हो गए तो मुझे, कोई गलत मत कहना और चितपावन मराठी बामण हूँ तो कायदा भी जानता ही हूँ, असल में यह बहुत बीमार है और कमज़ोर - कैमरा देखे बिना सांस नही ले सकता
अपुन का भी भोत ई कम हो गया, दो दर्जन सल्फास खा ली, दस खम्बे लिए नीट, महाँकाल का 6 गोली वाले पैक का घोटा लगाया कल उज्जैन जाकर, मोदी जी से सिकायत भी करके आया जुकेरवा की, गाँजा फूँका सुभाष चौक में देर रात तक, केकड़ा - गिरगिट सेंक कर खाया कि नशा चढ़े और दुख कम हो कुछ - पर हाय्य री किस्मत
टेंसन कम नई हो रियाँ
या अल्लाह - ये दुख काहे कम नही होता
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Book on the Table
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देवेश हिंदी के प्रतिभाशाली युवा कवि, बेहतरीन समीक्षक और बेहद संवेदनशील व्यक्तित्व है, अपनी पढ़ाई और बाद में काम के लिए लम्बे समय से ताईवान में है, वर्तमान में शिनचू ताईवान में रहते है और पोस्ट डॉक्टरेट कर रहें हैं, खगोल विज्ञान के शोधार्थी होकर हिंदी में चुपचाप जरूरी और महत्वपूर्ण काम कर रहें है और पिछले कई वर्षों से देव की प्रतिभा और विनम्रता का मुरीद हूँ, वे किसी साहित्यिक गुटबाजी के अपना रचनात्मक काम करके श्रेष्ठ देने का काम लगातार कर रहें है, लगभग सभी पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ देखी पढ़ी जा सकती है
मूल रूप से राजस्थान के है, उनकी कविताएँ, गद्य और ताईवानी कविताओं का अनुवाद इधर चर्चा में रहा है, हाल ही में उनकी कथेतर गद्य की किताब "छोटी आँखों की पुतलियों में" सेतु प्रकाशन से आई है, अनुज देवेश ने बहुत प्यार से यह किताब मशक्कत करके मुझ तक भेजी है जो मेरे लिए अनमोल उपहार है दीवाली का - दिल से आभारी हूँ देव, जल्दी ही पढ़कर लिखूँगा यह वादा है
बहुत शुभकामनाएँ और दुआएँ तुम्हारे उज्ज्वल रचनात्मक जीवन के लिए - खूब रचों और यश कमाओ
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