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Posts from 28 Sept to 30 Sept 2022

 

दलित कार्ड ही चलेगा अब , भाजपा की मुर्मू को टक्कर देना जरूरी है - खडसे ही खड़केगा और बची खुची कांग्रेस का मटियामेट करेगा, यह शुभ काम भी शुभ हाथों से हो ही जाने दो - कीचड़ ऐसे ही निकलेगा और भारत जोड़ो से आये नए नेता देश की कमान सम्हालेंगे इसके बाद

वैसे जिन लोगों से घर की बीबी और एक आवारा बच्चा नही सम्हल रहा वे कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर चिंतित है काश कभी भाजपा की तानाशाही, संघ के ब्राह्मणवादी और महिला विरोधी सर संघ चालक या बसपा की सुप्रीमो जो पता नही कहाँ गड़ गई शर्म लाज में या तृणमूल या सपा के या जद के अध्यक्ष को लेकर भी सोचते
बहरहाल
जीतना तो थरूर को चाहिये पढ़ा लिखा है , ई एम एस नम्बूदरीपाद के सानिध्य में ट्रेंड हुआ है और दुनिया जहान की बात समझता बूझता भी है पर जमाना अजीब है और बल्ले बल्ले दिल तभी उछलेगा जनता का जब खडसे खड़केगा
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and remember, the way
you make love is the way God will be with you.”
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"The wound is the place where the Light enters you.
Whatever sorrow shakes from your heart, far better things will take their place."
◆ ~ Jalāl ad-Dīn Muhammad Rūmī,
was a 13th-century Persian poet, Sufi mystic,
was born today 30/09/1207
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इस पोस्ट को लेकर जिसमे मैंने ध्वनि प्रदूषण की शिकायत करते हुए सभी धर्मों की भोंगे से धर्म की व्याख्या की निंदा की है कल रात, आज फेसबुक मेरे पीछे है कि यह पोस्ट हटाऊँ या वो हटा देंगे क्योकि यह कम्युनिटी स्टैंडर्ड्स के खिलाफ है, धे नोटिस - धे नोटिस आ रहें है - हटा दो भले ही पर मैं लिखता रहूँगा
ये फेसबुक को गरबों और धूमधड़ाके में ज्यादा मजा आ रहा या इसका धँधा चल रहा है , लगता है भक्तों को और मुल्लों को जमकर मिर्च लगी है और मास रिपोर्टिंग हुई है या ब्यूरोक्रेट्स को उनके कर्तव्य याद दिलाई तो दलाली पर असर पड़ा है
मतलब अब शोर से आपका बीपी शुगर बढ़ता रहें कोई 5 दिन तक सो नही पाये भले ही पर ये मवाली अपना काम करते रहेंगे अफसोस जिन मवालियों को धर्म पुराण का ज्ञान नही वे धार्मिक बन रहे , कम्बख्तों लोग धर्म समझने घर त्यागकर जंगलों पहाड़ों कंदराओं में चले जाते है, वहाँ पूजा अर्चना करते है और बरसों मौन रहकर तपस्या करते गए और यह प्रक्रिया सभी धर्म और पंथों में है, तुम अद्दा पव्वा पीकर रातभर झूमने वाले क्या जानो धर्म क्या होता है, अपने आप से पूछ लो एक बार कि तुम हो क्या
शर्मनाक है यह सब
56 वर्ष का हो गया हूँ पर आज जैसा धर्म और दुर्गात्सवों का इतना वीभत्स स्वरूप नही देखा और हिन्दू त्योहार ही नही सभी मज़हब और समुदायों के लोग बोरा गए है - इन्ही हरामखोरो को मुफ्त का राशन चाहिये आजीवन और सरकार यही बांटकर इन्हें मुफ्तखोर बना रही, 80 करोड़ लोग पिछले 3 वर्षों से मुफ्त का अनाज खा कर कर्ज चुका रहे है अपने बाप का, सड़क पर धींगा मस्ती करके
जैसे जैसे रात बढ़ती है आयोजको, ढोल बजाने वालों का और गरबा करने वालों का पागलपन चरम पर होते जाता है, ये सब मानसिक रोगी और विक्षप्त हो गए है
कलेक्टर, पुलिस, राजनेता सब इस धंधे और पाप में शामिल है, मेरी कॉलोनी में सबसे ज़्यादा निजी अस्पताल है, जिला अस्पताल है - जब मैं इतना घबरा गया हूँ तो मरीज़ो का क्या होता होगा, 4 दिनों से कुछ नही कर पा रहा, शुगर और बीपी बढ़ गया है - एक पल नींद नही आ रही, दिनभर रातभर भोंगे बजते रहते है - ये कौनसा धर्म है साला
जिम्मेदार लोगों ने कोर्ट के आदेशों को भी ताक पर रख दिया है, किस देश में पैदा हो गए है, किस तरह की नागरिक होने की सज़ा भुगत रहे है
जहाँ मुख्यमंत्री खुद असंविधानिक कृत्य कर रहा हो, केबिनेट की बैठक महाँकाल की अध्यक्षता में कर रहा हो तो बाकी गुंडे मवालियों को शह मिलेगी ही
एसपी और कलेक्टर भी बिक गए है या घुटने टेक दिए है लगता है, काश कोई इनके बंगलो में जाकर डीजे लगाता और रातभर गरबा करता तब मालूम पड़ता इन हरामखोरो को, पिछले 3 दिनों से कलेक्टर, निगम कमिश्नर और एसपी गायन, चुनरी यात्रा और कन्याभोज की परोसदारी में लगे है, शिवराज यहाँ थे, करोड़ो रुपया बर्बाद कर दिया, इन पढ़े लिखें गंवारों को कोई काम नही था क्या, किस मद से इतना खर्च कर रहें है आखिर और क्यों - अभा स्तर के अधिकारी जब सत्ता के दलाल बन जाये तो कुछ कहना मुश्किल है, इनकी रीढ़ ही नही तो क्या कर लेंगे
2014 से आई मोदी सरकार ने दो कौड़ी के लोगों को धार्मिक बना दिया जिन्हें वेद पुराण और संस्कारों का ज्ञान नही वे लोग पाखंडी बनकर धर्म की हत्या कर रहें है
शर्मनाक
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