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Posts from 23 Feb to 1 March 2021 List of web series, khari khari, Satyashodhak, Om Prabhakar , PLF Jaipur , New Guidelines Social media etc

असम का गमछा

पुडुचेरी की नर्स

सहायिका केरल की

परिधान बंगाल का

टीका कोविड का (पता नही लगा भी या नाटक है)
लग रहा है फिर जियो की टीशर्ट पहनकर जैसे जियो बेचा और BSNL /MTNL बंद करवाया, अब पाँच राज्यों में भयानक कुछ होने वाला है
कोरोना का टीका ना हुआ विज्ञापन हो गया, कितना लीचड़ हो सकता है कोई
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Book is an accident while periodical is a constant process and phenomenon. Books give an idea or describe about certain things but a periodical develops perspective, imbibes and inculcates Empathy, Values, through various forms like poetry, fiction, travelogue, prose, criticism, play, story, editorial, article, etc etc
It was nice talking and listening to budding and enthusiastic youths of Patna and a few friends of FB just now.
Great going guys. Keep it up.
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When you become Devil's advocate, even God can not help you
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समय हो तो सुनियेगा आज - "आवाज़ आ रही है" से शुरू करूँगा
Topic: Postcard Launch
Time: Feb 28, 2021 07:00 PM India
Meeting ID: 743 140 1155
Passcode: postcard

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28 फरवरी अर्थात आज विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में घर में कथा है, तांत्रिक के कहे अनुसार काले तिल, जौ, गोबर, गौमूत्र, पाँच अलग अलग प्रकार के पत्ते, बकरी और ऊँटनी के दूध से बना घी, 17 बड़े नींबू , डेढ़ किलो शुद्ध घी, अरंडी का तेल, लाल कपड़ा, पंडित जी के लिये पांच जोड़ी धोती और 21 विधुर या परित्यक्त और वेद पुराण में निष्णात सदकर्मी,11 ब्रह्माचारियो के लिए तांबे के लोटे और साढ़े तीन तीन किलो के पीतल के घँटे लेने जा रियाँ हूँ बाज़ार
आप सबलोग शाम को महर्षि सीवी रमण के जन्मदिवस पर आयोजित रमण प्रभाव की कथा के बाद प्रसाद के लिये सादर आमंत्रित है
इस प्रसाद में वे जातक ही आये जो मेष लग्न में राक्षस गण के साथ मध्य नाड़ी में तीसरे गृह में वृहस्पति के साथ गौधूलि की बेला में या प्रातः के तीसरे पहर में जन्में है और जिनकी कुंडली में कोई कालसर्प योग नही है; कृपया काले कपड़े, हरा अंगोछा, लाल चप्पल, पीला तिलक और नारंगी दक्षिणा लेकर आये
कृपया विशेष ध्यान दें - कथा की शुचिता और सम्मान बनाये रखने के क्रम में ध्यान दें कि भारतीय संविधान में निहित नीति निर्देशक तत्वों के अनुसार वैज्ञानिक चेतना के प्रचार प्रसार के हिसाब से महिलाएँ इस कथा में नही आ सकती, यदि उन्हें प्रसाद खिलाना है तो अपने घर से गौमूत्र में 11 बार धुला और सफ़ेद गाय के गोबर की राख से मंजा हुआ साफ निर्मल चाँदी का बर्तन लेकर आये जो गंगाजल के किसी बड़े पात्र में डूबा हो
बोलो विज्ञान दिवस की जय
[#ख़री_खरी एकदम बंद - मोई जी ने बोला तब से]
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* House of Cards
* The Crown
* The Trial of the Chicago 7
* Sex Education
* Mindhunter
* Money Heist
* Fauda
* Panchayat
* Jamtara
* Delhi Crime
* Mirzapur 1 & 2
* Ashram 1 & 2
* Criminal UK
* Criminal Germany
* Criminal France
* Criminal Spain
* Harshad Mehta Scam 1992
* She
* A Suitable Boy
* Hasmukh
* The Judge
* Suits
* Lucifier
* Ozark
* Crime Scenes
* Criminal Justice
* Friends All seasons
* The Boys
* Made in Heaven
* The Family Man
* Bandish Bandits
* Breathe - Into the Shadows
इतने सीरिज़ देख लिए जो अभी तक याद आये है कुछ और आयेंगे तो जोडूंगा ताकि सनद रहें OTT प्लेट फॉर्म्स नेटफ्लिक्स, अमेज़न, सोनी, जी, यूट्यूब और कुछ अंतर्राष्ट्रीय समारोह है
आभारी रहूंगा यदि आप इस सूची में कुछ और जोड़ पायें फिल्म या सीरिज़
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"The girl on the train " - नेटफ्लिक्स पर अभी देखी जबरदस्त फ़िल्म है, गज्जब की आपराधिक मनोविज्ञान और थ्रिल भरी कहानी है
कल मलयाली "रेड" देखी थी, दृश्यम - 2(amazon) भी देख ली, मलाल भी
औज़ार्क सीरीज देख रहा हूँ
ये सब नेटफ्लिक्स पर है, अब तारीखवार हिसाब रखना पड़ेगा, कई ज्ञानियों का इसमें भी ससुरा अहम आड़े आ जाता है, और किसी के पहले देखे जाने पर आत्मा कचोटती है, बापड़े समीक्षा लिखते है दो कौड़ी की तो उनका ईगो हर्ट होता है कि इसने कैसे देख ली, खास करके उनको दस्त लगते है जो पेशागत है और यहाँ वहाँ से कॉपी पेस्ट मारकर शोध कर रहें है या उबाऊ किताबें लिख रहे हैं
कुछ तो बहीखाता लेकर बैठते है तारीखवार और फिर धे उल्टी, धे उल्टी
भगवान भला करें इन भक्तों टाईप विद्वानों का
जपनाम, जपनाम, जपनाम
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कुछ माड़साब लोग जबरदस्त होते है, अपने को खुदा मानते है और उनके लिखे को लोग गीता - बाईबिल - कुरान या गुरुबाणी मान लें यह अपेक्षा होती है, जुगाडमेन्ट में एक्सपर्ट और अपनी जैसे-तैसे मिली संविदा की नौकरी बचाते हुए ये लोग स्वभावतः अख्खड़ हो जाते है, स्वयम्भू बुद्धिजीवी का मस्त चोगा ओढ़े जपनाम जपनाम करते रहते है
जीवन के कुछ निजी स्वार्थों को पाकर सार्वजनिक स्वीकार्यता को भुना लेना चाहते है, मूल रूप से कम्फर्ट ज़ोन में रहकर शिक्षित दीक्षित और 'खाये पीयें' अघाये है ये लोग और इसे ही "किरान्ति" समझ कर हर जगह फतेह करना चाहते है, शानदार सेटिंग और जुगाड़ से अपना ब्रांड चमकाने की दिलफ़रेब अदायें मोह लेती है लोगों को
देशभर में जबरदस्त सेटिंग के धनी और अपनी गोटी हर जगह फिट करने की महारत हासिल करने में उस्ताद होते है ये - कभी मन करता है कि इन सबको पंक्तिबद्ध खड़ा करके प्रणिपात प्रणाम करके जीवन से मुक्त हो जाऊं
आय लभ यू कहना चाहता हूं सबको, बहरहाल , सबको सन्मति दे भगवान
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◆ आज सुरजने की फली खाई
◆ दस्त लगने पर नमक शक्कर का घोल पीना चाहिये और पेंट बदलते रहना चाहिये नही तो बदबू आती है देशभर में
◆ नीला शर्ट पहना था कल तो मन प्रमुदित हो गया
◆ शाम को दलिया खाओ तो पेट ठीक रहता है
◆ देशप्रेमी और कट्टर हिन्दू होना ही सच्चा धर्म है
◆ सायकिल पंचर होना आध्यात्मिकता की निशानी है
◆ कविता नदी और समुद्र का सम्मिश्रण है
◆ कहानी में लम्पटता के तत्व अर्थात समाज में मूल्यों का ह्रास आज के संक्रमण काल की चुनौती है
◆ पेड़ पर फूल उगते है और फूल से बीज बनते देखना जीवन का परम लक्ष्य होना चाहिये
◆ यात्राएं ना की हो तो फर्जी और घटिया यात्रा वृतांत को पढ़ना और पुरुस्कार पाने के जुगाड़ूपन का एहसास नही होता
◆ सफ़ेद रंग का गुलाब बेहद प्रिय है
◆ कांग्रेस ने देश का बहुत बुरा किया, वामपंथी, सपा, बसपा वाले भी ठीक लोग नही थे, देश का नुकसान किया पर भाजपा सबसे अच्छी है
◆ संघी लोगों से मिला भ्रातृत्व अनूठा होता है और इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाये देश हित में कम है
◆ प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का मुख्य काम सभी प्रकार के चुनावों में जाकर जागरूकता लाने का है ताकि जनता जनार्दन कांग्रेस से लेकर तृणमूल जैसी घटिया पार्टियों से बच सकें
◆ भारतीय प्रधानमंत्री श्रीयुत युग पुरुष मोदी जी को नोबल से लेकर पंचायतों को दिए जाने वाला निर्मल पुरस्कार देना चाहिये
◆ अमित जी भाई शाह जैसा सज्जन और प्रबंध में पुरुषोत्तम पुरुष का भारत में जन्म होना मेरे लिए हिंदुत्व की निशानी के साथ परम गौरव का विषय है
◆ परम पूज्य सर्वसंघ संचालक अजर और अमर थे, है और रहेंगे - आय लभ आरएसएस
◆ हिन्दू मराठी और चित पावन ब्राह्मण होना और गर्व से सीना तानकर यह कहना - इस जन्म में मानव योनि होने से भी बेहतर है
◆ ज़ी, इंडिया टूडे से लेकर वे सब प्रिंट मीडिया ही श्रेष्ठ है जो इस राष्ट्र की जनता की नब्ज़ समझते है रवीश जैसे देश द्रोहियों की इस आकाश गंगा में कोई जगह नही होना चाहिये
◆ सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की प्रतिमा के साथ देवों की मूर्तियां स्थापित हो यह मरने से पहले देखने का मन है
◆ सोशल मीडिया जैसा अभिव्यक्ति का मंच नही है यह हिंदी के सहित्यकार पहले ही समझ गए थे , अपनी नौकरी बचाकर माड़साब भी बन गए और आज हर माह देश सेवा और विचारधारा को कुंठा में दबाकर चल अचल संपत्ति के मालिक है और मैं मूरख, खल, कामी - है जगत निधान जुकेर बर्ग देवा मेरी पुरानी पोस्ट्स हटा दो या अब नई बना लूँ आप कहे तो
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सोशल मीडिया पर बने नियमों के तहत मेरी आने वाली पोस्ट्स की एक झलक
[ जो लाइक या कमेंट करेगा - वो मरेगा पेले ई के रियाँ हूँ ]
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PLF जयपुर के महीने भर चले कार्यक्रमों में एक पड़ाव पर धर्म की आड़ में तथाकथित गुरुओं और पाप के धंधे विषय पर साहित्यकारों से बात करने का अवसर मिला
सभी धर्मों में आडंबर, गोरख धंधे, महाराज और बाबाओं से लेकर फॉदर, बिशप, मुल्ला मौलवी या और भी लोग शोषण में, सम्पत्ति बनाने में सक्रिय है, भारतीय संविधान जहां वैज्ञानिक चेतना के अलख की बात करता है वही समाज में धँधा बनाम धर्म जोरो पर है
धर्म एक जीवन पद्धति है और अंध विश्वास भरी धार्मिकता एवं पाखण्ड एक विशुद्ध व्यवसाय, इस बातचीत में उन साहित्यिक कृतियों पर बात की गई - जो इस सबके परिप्रेक्ष्य में लिखी गई है साथ ही समकालीन समाज की प्रवृत्तियों और साहित्य की भूमिका क्या हो पर भी बातचीत है
पूर्व आईपीएस एवं मगा हिंदी विवि वर्धा के पूर्व कुलपति श्री विभूतिनारायण राय, पत्रकार
Harish Pathak
जी, प्राचार्य एवं इतिहासविद डाक्टर
Devesh Sood
जी, भूगर्भविद एवं उपन्यासकार डाक्टर
Sunil Chaturvedi
जी से लगभग एक घँटे विस्तार से संविधानिक फ्रेमवर्क में बातचीत की है
यदि समय हो तो आप यह बातचीत देखें
देखने के लिए तीन खिड़कियां है, बटन चटकाए -
◆ Rajasthan PWA facebook page:
◆ Rajasthan PWA youtube channel:
कल - दोपहर 12 से 1 बजे तक
शनिवार - 27 फरवरी 21
आयोजक - पीएलएफ, प्रलेस राजस्थान

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रिलायंस एंड और अडानी एंड - 75 वर्षों की आज़ादी, हरामखोर राजनैतिक दलों के घाघपन, भ्रष्ट नेताओं की आत्म मुग्धता और आम जनता की हार का प्रतीक है
किसे डूबकर मरना चाहिये - स्पष्ट रूप से नेताओं को नही, वरन जनता को जो विशुद्ध मूर्खता पूर्ण तरीके से आँख बंद करके सब पर विश्वास कर लेती हैं और अपढ़ गंवारों को सत्ता और अपना जीवन सौंप देती है - ये घटिया लोग निर्णय करते है हमारी रोजी रोटी का, पढ़ाई - स्वास्थ्य - आरक्षण - आजीविका - संसाधनों और भाग्य का
किसी की गलती नही है, हम आज़ाद जल्दी हो गए, हम ना लोकतंत्र डिज़र्व करते है और ना आज़ादी, अम्बानी और अडानी अंग्रेजों के हाइब्रिड है जो टुच्ची सरकारों को जेब मे रखकर 140 करोड़ लोगों को रोज़ संत्रास देते है
काश कि नार्थ और साउथ ब्लॉक सहित रायसीना हिल्स का नाम भी अम्बानी और अडानी एंड हो जाये
सारी पार्टियां इस खेल में शामिल है - अम्बानी अडानी तो हर्षद मेहता की तरह सिर्फ़ व्यवस्था का लाभ उठा रहे हैं
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हद बेहद दोई तके - वो ही संत कबीर
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मतलब सरदार पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति लगवाना और आज सरदार पटेल नामक स्टेडियम को अपने नाम करवा लेना - कितनी गिरी हुई मानसिकता का द्योतक है, यह सरदार पटेल से सीधे सीधे धोखाधड़ी का मामला नही है ? पहले गृह मंत्री का ऐसा अपमान आज का गृह मंत्री करेगा यह कल्पना लोकतंत्र में सिर्फ भाजपा के राज में ही सम्भव है
पर कोई कुछ बोलेगा नही, भूलिए नही कि देशभर से लोहा लंगर इकठ्ठा करके पटेल की मूर्ति बनवाई, दुनिया भर में प्रचार किया और देशभर की भावनाओं का दोहन करके आज यह कृत्य किया गया
कितना गिरेगी यह सरकार और देश के भक्तों का आदर्श
अपने नाम पर भवन स्मारक पुल बाँध करवा लेना कांग्रेस की देन थी, पर वे सब नए थे, खुद कांग्रेसियों द्वारा बनवाये गए, पर यह तो अभी पटेल की मूर्ति वाले गार्डन में पौधे पनपे भी नही और नाम मिटाकर अपने नाम करने लगा - कितनी खतरनाक मानसिकता है यह और सरदार पटेल को ही स्थापित करने चले थे ना क्योंकि इनके पास श्यामा प्रसाद या दीनदयाल उपाध्याय के अलावा कोई नही है - जो है वो भी विवादास्पद है
यह प्रवृत्ति घातक है भाजपा हो, सपा, बसपा या कांग्रेस
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एक दरख़्त का यूँ गुज़र जाना
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प्रसिद्ध ग़ज़लगो, नवगीतकार, साहित्यकार और बेहतरीन व्यक्तित्व डॉक्टर ओम प्रभाकर अवस्थी जी का आज शाम देवास में दुखद निधन हो गया
वे लंबे समय से बीमार थे, जीवन भर भिंड में महाविद्यालय में हिंदी पढ़ाने के बाद वे देवास आ बसे थे और हम सबके लिए वे पितृ तुल्य थे, हर 5 सितंबर जो उनका जन्मदिन था, को हम जाते और खूब गपशप करते, उर्दू की अदबी दुनिया से रूबरू कराने वाले वे बेहतरीन शायर और बड़े व्यक्ति थे, इसके अलावा उनका घर हम सबके लिए हमेशा खुला था और उनकी हंसी, लम्बी लम्बी बातचीत और समकालीन साहित्य पर चर्चाओं ने हमे समृद्ध किया है
यहाँ आने के बाद पिछले पंद्रह - बीस वर्षों में शायद ही कोई दिन या हफ्ता गया हो कि उनसे बात नही हुई, या पंद्रह दिन में मिलें नही, बहुत स्नेहिल, आगत्य से भरे हुए और जिंदादिली का दूसरा नाम थे, नईम जी और चंद्रकांत देवताले जी के गुजर जाने के बाद हम सबको उन्होंने सँवारा यह कहूँ तो अतिशयोक्ति नही होगी - उनका घर हमारा अपना घर था और साहित्यिक अड्डा जहाँ कविता, कहानी, भाषा से लेकर समाज के दीगर मुद्दों पर हम बराबरी से सीखते, बहस करते और लड़ते भिड़ते थे उनसे पर मजाल कि कभी वे गुस्सा हो जाये - इतना प्रेम मिलना आज के समय में दुर्लभ है
दुख की इस घड़ी में कुछ लिख पाना भी मुश्किल है , उनकी आत्मा को शांति मिलें और परिवार को दुख सहन करने की शक्ति मिलें, देवास और भिंड के साथ मप्र ने आज बहुत बड़ा साहित्यकार खो दिया
नमन और श्रद्धांजलि
ओम शांति
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हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही