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Drisht KAvi, Samman and Premshankar Shukla , Posts of 16 to 18 March 2021

न्यायाधीश अपराधियो को सम्मानित करने लग जाये तो आप किससे, कैसे और क्या न्याय की उम्मीद करेंगे

आज ऐसे ही एक कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला - बेशर्मी की हद पार करते हुए आत्ममुग्धता में यह कुकृत्य सुनियोजित तरीके से हुआ
दांडी यात्रा के 75 पर एक निबंध प्रतियोगिता भी थी
छि छि छि, घिन आती है
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पारिवारिक गुमटियां सभी प्रकार की ललित कलाओं की हत्यारिनें है और नीच किस्म का लगाव, प्रेम और दुष्प्रेरण इसमें सबसे बड़ा कारण और दुखदाई होता है, मज़ेदार यह है कि समझदार लोग बड़े सुसंगठित तरीकों से ये टपरी चलाते है और आत्ममुग्धता, बल्कि आत्म मूढ़ता से आगे बढ़कर कुकृत्यों में संलग्न रहते है चौबीसों घँटे
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बौद्धिक आतंक से मुक्त करने वाले शख्स को शुभेच्छा

बहुत पुरानी बात है जब स्व श्री राहुल बारपुते जी, बाबा डीके, विष्णु चिंचालकर गुरुजी और कुमार गंधर्व जी के साथ कभी भारत भवन जब बन ही रहा था तो जाता था, गुरुजी अपने साथ ले जाते थे, IIFM का भवन भी लगभग उसी समय बन रहा था चार्ल्स कोरिया के निर्देशन में, आज स्व सुदीप बैनर्जी की भी याद आ रही है
अशोक वाजपेयी जी मप्र में वरिष्ठ अधिकारी थे ही, देवास से स्व नईम जी और कुमार जी के यहाँ भी अक्सर इन सबका आना होता था, भारत भवन एक बड़ी जगह थी और सच कहूँ तो एक तरह का बौद्धिक आतंक का पर्याय, विश्व कविता का वृहद आयोजन याद है, जब गया था तो डरते - डरते घुसा था और दो दिन टुकुर - टुकुर देखता रहा सबको, सहमा सहमा सा रहा
ख्यात चित्रकार स्व श्री नारायण बेंद्रे और मोनाली बेंद्रे - जो मेरे रिश्ते में थे उनके चित्र वीथिका में आज भी है, के साथ भी कला वीथिका में घूमा था तो एक आतंक था, पूर्वग्रह पत्रिका को देखना एक स्वप्न लगता था - अशोक जी बड़ी लगन से निकालते थे
पर बाद में धीरे - धीरे भारत भवन दूर होता गया, क्योकि मेरे चारों लोग जिनसे मैं जुड़ा था - जिनका नाम पहले पैरा मे है - संसार त्याग चुके थे, भारत भवन के कार्यक्रमों की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति से ही मिलती थी - ना कभी निमंत्रण, ना कोई सूचना; भारत भवन से पुनः जुड़ाव
तरुण भटनागर
जी के जाने के बाद फिर हुआ और लगा कि अब पुनः साहित्य संस्कृति से जुड़ने सीखने को मिलेगा, इस बीच मैं भी 2005 में भोपाल पहुंच गया था नौकरी करने के लिए
बाद में जब तक भोपाल रहा - भारत भवन घर आंगन हो गया, नाटक, गोष्ठियां और विभिन्न आयोजन में शामिल होना, दिन भर मित्रों से बातचीत करना और सीखना मिट्टी से लेकर तमाम तरह की अन्य आनुषंगिक कलाएं देखने - समझने को मिलती कुल मिलाकर भारत भवन एकदम खुला था सहज था और हर कोई वहाँ आसानी से आ जा सकता था , दुर्गाबाई हो ता अन्य आदिवासी गोंडी कला के महान कलाकारों या हबीब तनवीर जी की टीम से परिचय यही हुआ
मुझे यह कहने में कहने में कोई संकोच नही कि इस सहजपन के पीछे बहुत मेहनत और स्पष्ट विज़न था और निश्चित ही इस सबमें अग्रज
Premshankar Shukla
का विशेष योगदान था - जिन्होंने भारत भवन को मुक्त करके सबके लिए सुलभ और सहज किया, कला संस्कृति के साथ वाद- विवाद लगे रहते है, हम सबको इसमें मज़ा आता है, पर तमाम प्रशासनिक दबावों और व्यक्तिगत आरोप - प्रत्यारोप के बावजूद भी वे वहां जुटे रहें और अपनी बात कविता के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते रहें, पर बड़े भाई
Devilal Patidar
जी के साथ मिलकर भारत भवन को जहाँ सहज रखा, और इन सबका असर वहाँ की कार्यशैली या हल्के माहौल पर नही पड़ने दिया - वही स्तरीय कार्यक्रम लगातार करते रहें - रचते रहिये, लगे रहिये और वो गीत गुनगुनाइए "कुछ तो लोग कहेंगे"
आज इन्हीं अग्रज प्रेमशंकर जी का जन्मदिन है, उन्हें बधाई, स्वस्तिकामनाएँ और स्नेह इस मनुहार के साथ कि वे लगातार रचते रहें और हम सबकी लड़ाइयों को नजरअंदाज करते रहें - हम लड़ेंगे उन्ही से जिनसे प्यार करते है - जब तक वे पद पर है तब तक ही तो भिड़ेंगे, जब भोपाल जाने का मौक़ा मिलेगा - जाएंगे - उनके बेहद सुंदर कमरे में चाय पियेंगे, पुस्तक के स्टाल से किताबें लेंगे, पूर्वग्रह में लिखेंगे और कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे, बाद में कविता का ककहरा फिर से सीखेंगे
अशेष शुभ कामनाएँ जन्मदिन की अग्रज, यूँही रचनात्मक और सक्रिय बनें रहें
तस्वीर सौजन्य -
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देखो वो फिर आ गया है
◆◆◆
कोरोना की स्थिति बिगड़ रही है इंदौर के अस्पतालों में बिस्तर की दिक्कत हो रही है, महू की खबर है अभी एक परिवार की गृह स्वामिनी की मृत्यु हो गई है, कल ही डायग्नोस हुआ और आज मृत्यु, बहुत ही स्वस्थ और अच्छी महिला थी कोई सोच नही सकता था , साथ ही कल से पूरा परिवार भी कोरोना की गम्भीर चपेट में है, स्थानीय अस्पताल में है, कल ही एक रिटायर्ड कर्नल की भी महू में मृत्यु हुई और उनकी पत्नी कोरोना से पीड़ित होकर MH में भर्ती है
अभी उन्हें इंदौर के परिचित डॉक्टर्स के नम्बर भी दिए और सन्दर्भ भी, "यह जो नया स्ट्रेन आया है ज्यादा घातक है और अचानक हमला करता है - हमें समझने का मौका नही मिल रहा और मरीज एकदम से झटपट ही मर जाता है" - एक डाक्टर मित्र ने कहा जो MD, DM है और इंदौर के एक निजी अस्पताल में कार्यरत है
सरकार को चुनाव जीतना है मित्रों और हमें संघर्ष करना है, अभी भोपाल में एक राष्ट्रीय मीडिया गोष्ठी थी - वो भी कोरोना के मद्दे नजर कैंसल हो गई है
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्य मंत्री मप्र शासन से आज बात की है
बाबू - समझो इशारे, हम लापरवाह हो गए है बुरी तरह से - ना सब्जियां धो रहें गम्भीरता से, ना हाथ, ना मास्क, ना मुंह, ना सेनिटाइजर, ना भौतिक दूरी का पालन कर रहें है और ना कुछ - जैसा पिछले वर्ष मार्च - अप्रैल में कर रहें थे
◆ Corona mutation going to happen. Key question is if we can get cross immunity from vaccine or not.
◆ Second question is what price you are ready to pay for your freedom and livelihood

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