"कोई युवा की परिभाषा सीखा दो" - लाइवा की पोस्ट थी आज शाम को
बीस पच्चीस सास - ससुर, दो - तीन शादियां करने वाले, चार आशिक और तीन माशूका रखने वाले और 65 पार के दस - बीस रिटायर्ड लोग जब लाइवा की वाल पर दिशा मैदान के बहाने टहल आये - जिनको इधर पूरे कोरोनाकाल में अनेकानेक जगहों से अपना नेट बर्बाद करके लाइव के मौके मिलें थे और जो अपनी मारुति 800 में अभी भी देशी - विदेशी मेहमानों के पोतड़े धोने जाते है अवसर मिलने पर, तब लाइवा को समझ आई "युवा की परिभाषा"
अभी मेडिकल की दुकान पर ओआरएस खरीद रहा था
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पड़ा जो वक्त तो साये ने साथ छोड़ दिया
रहजनों, लूट लो इस वक्त मैं अकेला हूँ
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साला 5 - 6 ब्रेक अप हो जाते तो मैं भी इस तरह की आईडी बनाता और धर्म आध्यात्म से लेकर जॉन एलिया, फैलिया टाईप रायता फैलाता और हर रोज़ धमकी देता कि फेसबुक छोड़कर जा रियाँ हूँ
नवनिर्माण
अघोरी आत्मा
रात का मुसाफ़िर
मुक्त चंद्रमा
बंधा सूरज
ठहरी धरती
जलता आसमान
गंगा का पापी
नर्मदा का दुश्मन
असत्य का खिलाड़ी
आत्मा का बोझ
धरती का कलंक
साहित्य का कीड़ा/ क्रीड़ा
ओटले का बदनाम कवि
मंच का पिपासू
पतला धागा
नदी का कीचड़
बासे समुद्र की चैतन्य मछली
पेड़ की फुनगी
बाजरे की वर्तनी
चिड़िया का टूटा पंख
शेर की घिग्घी
तीन दूना सैंतालीस
वुडलैंड का जूता
प्रेम का बबूल
बाबुल का कजरा
रक़ीब का फुफा
हाँ यार, तंग आ गया हूँ ये ज्ञान का रायता पी पीकर ससुरों का, ये साले नई उम्र के छर्रे और पंचर टायर रोज़ नई - नई आईडी बनाकर ज्ञान का रायता पेलते है, विकीपीडिया और यहाँ वहाँ से अनुवाद का माल चोरकर और धे रिक्वेस्ट, धे रिक्वेस्ट
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आतंकवाद और वो भी पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के नाम पर जितनी घटिया फिल्में बनी और भारतीयों को जिस तरह से बरगलाया गया, मूर्ख बनाया गया वह संसार के इतिहास में कही नही मिलेगा, "इंदु की जवानी" नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई ऐसी ही घटिया फ़िल्म है जो कल मतलब 3 मार्च 21 की रात देखी, वाहियात सेक्सी बातों का तड़का लगाकर इसे वे महान बताना चाहते है पर मैं इसे घटिया फ़िल्म की श्रेणी में रखूँगा
इससे बेहतर तो "म्यूज़िक टीचर"है हजार गुना बेहतर जो आज सुबह तीन बजे देखी थी - पहाड़ी वादियों में पुष्पित हुआ प्रेम कैसे मुम्बई की चकाचौन्ध में खो जाता है , नीना गुप्ता का अभिनय कमाल का है इस उम्र में वो कमाल करती है, मानव कौल, अमृता बागची, दिव्या दत्ता मंजे हुए कलाकार है ही, सार्थक दासगुप्ता का निर्देशन सधा हुआ है, शिमला और आसपास की शूटिंग आपको तरोताज़ा कर देगी मेरा सुझाव है कि इसे जरूर देखिये, ये फ़िल्म नेटफ्लिक्स पर ही है
सनद रहे, ज्ञानी लोग पंगा ना करें और बकवास तो हरगिज नही
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■ आपातकाल एक गलती थी
- राहुल गांधी
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■ GST, नोटबन्दी और देश बेचना एक सुनियोजित षडयंत्र था और बाकी सब भी जो हमने 2014 से 2024 तक किया - देश बर्बाद करना हमारा प्राथमिक उद्देश्य था
- नदामो
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