एक लम्बी दौड़ का सुखद अंत
1999 के आर्मी स्कूल, महू का एक छोटा सा मासूम बच्चा जो आईआईटी की गुप्ता ट्यूटोरियल ज्वाइन करने पीछे से भागता और हर तीन चार दिन में स्पोर्ट्स टीचर उसे पकड़कर मेरे सामने खड़ा कर देता था कि सर इसे सजा दो, मैं कहता हूँ आप जाइये मैं आज इसे छोडूंगा नही और उनके जाने के बाद मैं कहता "नालायक कैसे जियेगा आगे, मास्टरों को चकमा नही दे सकता - चल भाग अब क्लास के लिए देर ना हो जाये" आखिर चयन होता है रुड़की में उसका
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रुड़की आईआईटी पहली बार गया देखने कि औलाद सही पढ़ रही कि नही तो 5 और दोस्तों से मिलवाया जिसमे 2 महू के एक इंदौर से एक रीवा और एक शायद भोपाल से था, मुझे 80 जीबी की हार्ड डिस्क खरीदकर दी और उसमें 70 जीबी "नरुत्तो" सीरीज के साथ फ्रेंड्स के सारे सीजन भरकर दे दिए, रुड़की जाने पर इनके बेंजीन ग्रुप के साथ हरिद्वार, ऋषिकेश से लेकर सब जगह घूमना - गंगा में राफ्टिंग से लेकर बाकी सब एडवेंचर करना
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आईआईटी के बाद महू में डेढ़ वर्ष नौकरी की, मैंने डाँटा कि नही चलेगा, औलाद बना लिया था तो हक था डांटने का - बाहर जाओ, एमएस करो, मुश्किल से तैयार हुआ आखिर टैक्सास गया, एमएस किया, फिर शादी हुई वो भी लम्बी कहानी है शादी के लिए लड़की खोजने से सब तैयारियां - उफ़्फ़, कैसे मैं सगाई में कठ्ठीवाड़ा और भाबरा से भागकर पहुंचा था BSF की मेस में - उफ़्फ़ फिर शादी और नातिन प्यारी सी तनुश्री
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बीच - बीच में आना हुआ अमेरिका से, फोन पर हर हफ्ते बात होती है, घँटों बात करते है हम दोनों, जीवन की घर परिवार की नौकरी की, खुशियों और दुखों की - जीवन में तो मैं अकेला हूँ - प्यारे से तीन भतीजे है , दो समझदार बहुएँ और प्यारा सा शरविल है पर इसी के साथ मेरे दो बेटे भी है- जिनमे मोहित बड़ा है छोटा भी अपूर्व जो अमेरिका में है बहु के साथ - दोनो बच्चे इतना ध्यान रखते है कि कह नही सकता
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आज मोहित को ठीक 930 बजे पीएचडी की उपाधि से नवाज़ा जा रहा है और मेरे लिए जीवन के गर्वीले क्षण है एक लम्बा संघर्ष किया बच्चे ने और TAMU, Texas से Petrolium Chemistry में पीएचडी की उपाधि मिल रही है
कुछ लिखते ही नही बन रहा बस इंतज़ार कर रहा हूँ कि कार्यक्रम शुरू हो और उसे देखूँ डिग्री लेते हुए
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आशीषों से नवाजिये , ये बच्चे बड़े संघर्ष कर रहें है जीवन में घर के भतीजे हो मुम्बई में या मेरे दोनो बेटे अमेरिका में - इनकी समस्याएं और संघर्ष हमसे बड़े है, ये मोहित की कुछ पुरानी तस्वीरें है Convocation की कल सुबह लगाऊंगा
■ समाहार
सबको पुरानी कहानी मालूम ही है कि कैसे एक राक्षस के प्राण एक तोते में बसते थे पर इस राक्षस के प्राण पाँच तोतों में बसते है - दो मुम्बई, एक देवास और दो अमेरिका में है और ये ही मेरी ताकत है , अब इन्हीं बच्चों के लिए जीना है - बाकी सब बेकार है
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