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Showing posts from May, 2016

Posts of 31 May 16 SNCU Dewas MG Hospital and High Death rate

SNCU यानी नवजात शिशुओं की देख रेख की विशेष इकाई। देवास में जनवरी से 29 मई 2016 तक कुल 505 नवजात भर्ती हुए और 87 बच्चे मर गए , 39 बच्चों को रेफर किया गया। अब बताईये, बच्चे सिर्फ एम व्हाय में नही मर रहे, रीवा में जलने के खतरे पर नही, सब जगह यही हालत है। देवास में यह इकाई  ‪#‎ यूनिसेफ‬  के सहयोग से चल रही है पर पिछले कई माहों से इसमें ना डाक्टर है और ना ही उपकरणों की मरम्मत हो रही है, अप्रशिक्षित और तदर्थ डाक्टरों के भरोसे चल रही है यह यूनिट। सब उपकरण खराब पड़े है - 20 में से 8 वार ्मर, सक्शन 5 में से 4, सी पॉप मशीन दोनों, सीरीज मशीन 14 में से 5, एसी 11 में से 9, और मल्टीपेरा मीटर 5 में से 3 खराब है महीनों से ऐसे में आप उम्मीद करते है कि जो बच्चे भर्ती है या रोज लाये जा रहे है इलाज के लिए वो ज़िंदा बचेंगे ? अधिकाँश अनट्रेंड स्टाफ बच्चों को डील कर रहा है। जो राज्य अपने बच्चों के सुरक्षित जीवन के लिए पहल नही कर सकता या माकूल इंतजाम नही कर सकता वह घोर लापरवाह और निकम्मा राज्य है और वहाँ का पूरा प्रशासन हत्यारा है इन पर बाकायदा रिपोर्ट की जाना चाहिए। इसी राज्य ने आठ दिन पह...

उफ़ गोविंदा ...........बकलम सुबोध शुक्ला 28 May 16

उफ़ गोविंदा ...........बकलम Subodh Shukla *************************************************** सुबोध ने एक वर्जित फल की तरह से बुद्धिजीवियों के बीच अछूत गोविंदा और उनके पूरे फिल्मी संसार को जिस अंदाज में लिखा है पिछले सात दिनों में यकीन मानिए मै तो क्या आप भी गोविंदा से प्यार करने को मजबूर हो जायेंगे. और हाँ सिर्फ इतना कि एक लगभग विक्षप्त, निर्लज्ज छबि को समाज में स्थापित करने वाले एक हीरो और एक विशेष दर्शक वृन्द को संबोधित करने वाले हीरो को हमारा साहित्य का अनुरागी और एक जवान होता युवा कैसे देखता था, आज जब वह पलटकर अपने उस काल को देखता और विश्लेषित करता है तो कैसे पूर्वाभासों और बदलाव को देखता है. यह छोटा सा प्रयोजन मूलक लेखन बहुत गहरे इशारे भी करता है और सतर्क भी. ____________________________________________________ I नब्बे के दौर में जवान होने के लिए गोविंदा एक वर्जित फल की तरह काम्य और निषिद्ध दोनों था. गोविंदा हमारी जवानी का सूचकांक था. भद्रता की पतलूनों में हम उसे चोर-जेब की तरह रखते थे. वह हमारे संस्कारों का रेड लाइट एरिया और आस्वादों का कॉफ़ी-हाउस हुआ...

Satna Rewa Tour 25 to 30 May 16

पानी, भूख और आजीविका की समस्या देखना हो तो आईये बघेलखण्ड के दूर दराज बसे आदिवासी गाँवों में। यहां साम्राज्य है गरीबी, बेहाली और अव्यवस्था का पर है कोई जो इनकी बात मप्र की सरकार तक पहुंचाए जो धर्म, ऐयाशी और पाखण्ड में राज्य को डुबोना चाहती है ? शिवराज जी के इतने मान मनोवल के बाद भी ये लोग पाप धोने उज्जैन नही आये जहां सरकार ने इतना पानी बहाया और साधू सन्तों ने इतना खाना खिलाया कि इन जैसे दस बीस गाँव तो दस वर्ष खा सकते थे और खेती भी कर सकते थे पर ये पिछड़े लोग सुधरना नही चाहते अ ब बारह साल भुगतेंगे !!! यहां स्थितियां इतनी खराब है कि यदिं कोई बहुत ही संवेदनशील शख्स हो तो बुद्ध बन जाए या संसार त्याग दें, पर प्रशासन से लेकर सरकार को कोई फ़िक्र नही इनकी। सिरमौर के विधायक भी मिलें पर उन्होंने अगले चुनाव की गोटी खेलना शुरू कर दिया है। एक दूरस्थ ग्राम ओवरी में हमारे सामने बिजली स्वीकृत हो गई है और जल्द ही गाँव में आ जायेगी जैसा झुनझुना बजाकर फुर्र हो गए जबकि इस गाँव में आज तक कोई अधिकारी नही पहुंचा है। जाने का रास्ता नही इस गाँव में और ठीक इस बस्ती के ऊपर से आये खैरवार आदिवासी संकटों से...

Posts of 23 May 16 बच्चे जब दूर हो जाते है......

जिन बच्चों को हम जान हथेली पर रखकर पालते है उन्हें एक दिन भीड़ में छोड़ देते है हमेशा के लिए खो देने को और फिर वे भीड़ में भीड़ होकर हमें भूल जाते है और अक्सर हम उनकी परछाईयों से मिलते और जुदा होते है. जब तक बच्चे घरों में रहते है महानगरों से लौटकर वे वाट्स एप, फेसबुक चलाते रहते है और जाने के बाद फोन पर लम्बी बात करते रहते है......असल में एक समय के बाद हम सबकी दुनिया अलग होती है और फिर सिर्फ अपनी तन्हाईयों में ही रहते है, यह भी एक प्रकार की खुशी है जिसे हम कड़े दुःख के बाद स्वीकार लेते है. घर का खाली हो जाना एक दहशत से कम नही जब बच्चे चले जाते है उन शहरों और नोकरियों पर जहां खोजने पर बच्चों की जगह समय सारणी में बंधे हाड मांस के मशीनीकृत लोग मिलते है जो सिर्फ हूँ हाँ कहकर अक्सर फोन पर भी बात करने असमर्थ हो जाते है कई बार।

Posts of 22 May 16 - MP Board Results and Suicidal Tendency Among Adolescents

कोटा शहर से फ़ैली आग अब मप्र के छोटे कस्बों में भी दानावल के रूप में जल रही है. जिस तादाद में किशोर वय के बच्चे आत्महत्या कर रहे है और मर रहे है वह कितना घृणास्पद है, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा कि 75 प्रतिशत से नब्बे प्रतिशत तक अंक लाने के बाद भी किशोर बच्चे निन्यानवें के फेर में मर रहे है और राज्य सरकार का मुखिया रोज अपील कर रहा है, विशेष अभियान चलाकर पुनः पास होने का मौका दिया जारहा है फिर भी बच्चों की आत्महत्या का सिलसिला रुक नहीं रहा है. कहाँ आ गए है हम आज क्या यही सर्व शिक्षा अभियान और सबके लिए शिक्षा की परिणिती थी ? इसकी जड़ों में जाए तो महत्वपूर्ण कारक बड़े पद,आरक्षण, पॅकेज बंद नौकरियां, चमकीली और तड़क भड़क भरी जीवनशैली, बाजार, प्रतिस्पर्धा, विदेश यानी सिर्फ अमेरिका से एमएस या पीएचडी करने के ख्वाब, अपनों के बीच सर्वश्रेष्ठ होने का गुमान और स्कूल और कोचिंग संस्थाओं के भयानक दबाव, माँ-बाप के पारंपरिक धंधों - जैसे नर्सिंगहोम या वकालत या कंस्ट्रक्शन कंपनी, को चलाये रखने के लिए इनका जीवन स्वाहा करना एक आम बात है. दूसरा महत्वपूर्ण कारण है देश भर में राष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं क...

उज्जैन सिंहस्थ 16 के आयोजन में पुलिस का सक्रीय योगदान Posts of 19 May 16

उज्जैन गया था, भीड़ तो जरुर थी पर अब वह जोश नहीं दिखा, साधू संत और कर्मचारी सब थक गए है इसलिए गन्दगी और कूड़े कचरे ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है, सफाई कर्मचारी घाट का कचरा सोरकर नदी में ही झोंक रहे है. पुलिस के जवान भी थके है.  जाहिर है सब इंसान है और कितना करेंगे भीड़, धर्म और आस्था के नाम पर, इन पर अब दया आने लगी है. आज उज्जैन में मुझे सबसे ज्यादा दुःख पुलिस को देखकर ही हुआ, उनकी आँखे लाल थी, नींद ना आने से, रात 12 बजे मुश्किल से ठंडा खाना खा रहे है, सोने की कोई व्यवस्था नहीं है, नहाने को समय नहीं है, लोगों ने उन्हें पागल कर रखा है, कुछ गलीज कमीने लोग वाहन में धक्का भी लगवा लेते है, सामान उठवा रहे है जवानों से अरे जब उठता नहीं तो घर से पूरे जिले का लगेज लेकर क्यों आये? और गालियाँ अलग खानी पड़ती है. बेचारे नई उम्र के अधिकाँश बच्चे / युवा एकदम गल गए है इस गर्मी में , शरीर बेधम हो गया है और ऊपर से निकम्मे साधूओं के नखरे .......उफ़ बहुत बुरी हालत है, सबसे ज्यादा मेहनत और सबसे ज्यदा दुःख पुलिस को, अगर आज व्यवस्थाएं माकूल है और सिंहस्थ सफल है तो इसका सफल होने का पूरा श्रेय पुलिस...

साध्वी प्रज्ञा NIA and Clean cheat, Chakmak May_16 - Posts of 14 May 2016

31% बहुमत में NIA जैसी एजेंसी को गुलाम बना दिया , आईये पूरे देश की ग्राम पंचायतों से लेकर नगर निगमों, विधानसभाओं, लोकसभा और राज्यसभा में इन्हें जगह दे दो फिर देखों नंगा नाच इनका। देश का जमीर जब मर जाता है और विद्वान् लोग इस फेसबुक जैसे माध्यम पर भी विरोध दर्ज नही करते, उस देश में कोई भी सुरक्षित नही और ना ही उस देश में अब कोई उम्मीद बाकि है। बेहद शर्मनाक है गुजरात नरसंहार, हत्याओं का प्रणेता सत्तासीन पार्टी का अध्यक्ष हो जाता है, एक प्रधान हो जाता है देश को झांसे देकर, एक ग ुंडा टाइप शख्स एक शांतिप्रिय राज्य में चुनी हुई सरकार को गिराने का घटिया षड्यंत्र करके देश का समय और रुपया बर्बाद करता है, एक बलात्कारी मंत्री बना रहता है, 56 हत्याओं में शामिल शख्स राज्य का मुखिया हो जाता है, निर्दोष आदिवासियों को जड़ मूल सहित उखाड़ने वाला राज्य प्रमुख बना रहता है, नकली मिलावटी सामान बेचने वाला बाबा हो जाता है, उद्योगपति देश का रुपया लेकर जिम्मेदार मंत्री की शह पर देश से भाग जाता है, बाकि लोग पंत प्रधान के काँधे पर हाथ रखकर बैंकों से लोगों का रुपया हड़प लेते है, जन प्रतिनिधि के भेष में स...

Posts of 12 May 16 Amey Passed XII Board Exam with 75 %

Amey Naik  Congrats for securing 75% in XII Board Exams for 2016.  We are proud of you buddy. The real.life begins now ... Good Luck for up coming dazzling Future. Students who have passed XII Board Exams today in MP. Congrats to all. The real challanges are starting now and lot more successes and failures, learnings are yet to come in life.  Remember guys - % and marks are mere reflection of stupid exam pattern and nt the parameters of your hidden competence and wonderful inbuilt skills.  Keep the spirit up. Be positive, choose the line, career you want to do things in life, dont go by others, take a path you want to walk on and with full efforts and enthusiasm Crack the World. Think beyond imagination and do toil to achieve 100% in Life. Do what you enjoy.  Lets celebrate this joy with family, friends and your self.  Stay blessed. ***** 4411 दोस्तों में से लगभग दस प्रतिशत युवा मित्रों से पूछता हूँ तो कहते है दिल्ली, इलाहाबाद या कह...

Posts of 11 May 2016 विभावरी में सम्मान और रूप वाणी का उज्जैन में कार्यक्रम राम की शक्ति पूजा

मुझे और बहादुर को प्रतिष्ठित वागीश्वरी पुरस्कार मिलने पर अग्रज सुनील चतुर्वेदी और सोनल ने एक बेहद ही नितांत अपने घरेलू माहौल में सम्मानित किया, देवास में हम पांच छः ही लोग है जो बहुत मजबूती से जुड़े है और सुनील भाई हम सबके संकट मोचक है. सोनल से दार्शनिक और दुनियावी मुद्दों पर बात होती है . कल इस छोटे से कार्यक्रम से बहुत अच्छा लगा. सुनील भाई के दो उपन्यास आ चुके है, और दो वर्ष पूर्व वे भी वागेश्वरी से सम्मानित हो चुके है और सोनल का एक कविता संकलन भी आया है जो पिछले दिनों चर ्चित रहा है. अपने ही लोग जब सामान्य उपलब्धियों और लेखन का सम्मान करते है तो संकोच होता है और ग्लानी भी होती है पर दिल से बहुत खुशी होती है, इससे ताकत भी मिलती है और लगता है कि अभी बहुत कुछ होना संभव है और उम्मीदें बाकि है. काली चाट से पानी निकलेगा कि नहीं - पता नहीं, पर शब्दों की बहुत संभावनाएं है और बूंदों के बीच उभरी प्यास से नमक जरुर आयेगा और संसार की सारी महामायाओं के बीच बेचैनी की कथाएं बारम्बार लिखी जायेगी. ***** उदासी यहां बहती है ****************** जब डूब जाता है सूरज क्षितिज...

Posts of 10 May 16 PM Insurance Scheme and Khandwa Collector's order for Principals

याद है आपको देश में जब शिक्षा पर बहस हो रही थी तो राज्यसभा में मात्र कुल 35 सांसद मौजूद थे और अगस्ता डील के समय सारा सदन मौजूद था. शिक्षा हमारे लिए क्या है यह देखना हो तो राजनीतिकों और ब्यूरोक्रेट्स के माध्यम से देखना चाहिए. इस तस्वीर को देखें जो जिला कलेक्टर, खंडवा, मप्र ने सिंहस्थ के मद्दे नजर ओंकारेश्वर में परियोजना अधिकारी शहरी विकास के नेतृत्व में जिले के चार उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के प्राचार्यों की ड्यूटी आने वाले यात्रियों के जूता चप्पल के संधारण में लगाई है. आ श्चर्य नहीं करना चाहिये कि शिक्षकों, प्राचार्यों से गैर शैक्षणिक कार्यों में गाय, भैंस, कुत्ते, बिल्ली गिनने, मुर्गा मुर्गी गिनने, नसबंदी के आपरेशन करवाने से लेकर जनगणना और चुनाव जैसे राष्ट्रीय महत्त्व के कामों में लगाया जाता है, इस कलेक्टर, खंडवा ने देश के इतिहास में पहली बार जूते चप्पल की व्यवस्था की जिम्मेदारी राजपत्रित अधिकारी यानि प्राचार्यों को दी है, पहले मुझे लगा था कि यह फर्जी आदेश होगा पर अभी यह लिखने के पहले वहाँ के जिम्मेदार अधिकारी से बात की - जिन्होंने कहा कि यह गलत छपा है, व्यवस्था में स...

संगीत का सफ़र - यादों की स्मृतियों के संग

दिन - दूसरा  1966 में आई थी फिल्म ममता और रोशन लाल के संगीत से निबद्ध इसके गीतों ने धूम मचा दी थी, मजरूह सुल्तानपुरी के गीत मतलब मानो किसी ने दिल काटकर सामने रख दिया हो, और फिर लता जी की आवाज में यह गीत जब सुचित्रा सेन पर फिल्माया गया तो लगा कि सुचित्रा इसी गीत के फिल्मांकन के लिए ही फिल्म जगत में आई हो, एकअल्हड जवानी का प्यार, द्वंद और मासूम से चेहरे पर जो हिकारत और तंज में वो अभिनय किया कि अशोक कुमार की बेचैनी पूरे परदे पर हर उस दर्शक ने अपने अन्दर महसूस की जो इस परिस्थिति से दो चार हु आ हो. ग़ालिब ने लिखा था- बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले क्योकि उस जन्नत में सेवफल खाकर आदम और हौव्वा को ज्ञान आया जिसे अंगरेजी के मशहूर कवि जॉन मिल्टन ने अपने महाकाव्य 'पेराडाईज लॉस्ट' की शुरुवात भी इसी सन्दर्भ से की है जॉन खुद देख नहीं सकते थे पर सूरदास की तरह उनके पास अंतर्मन में वो आँखें थी जो सब कुछ देख लेती थी, मजरूह साहब ने भी कूचा शब्द का बेहतरीन प्रयोग इस गीत की दूसरी पंक्ति में किया और बल्कि मै तो कहूंगा कि उन्होंने कूचे से बाहर आकर अपने को गुनहगार भी मान लिया. पूर...

Posts of 7 May _16 वागेश्वरी पुरस्कार 2015 की घोषणा में मेरे संकलन को पुरस्कार

मित्रों, सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि सन 2015 का प्रतिष्ठित हिन्दी कहानी केलिए वागेश्वरी पुरस्कार मेरे संकलन "नर्मदा किनारे से बेचैनी की कथाएं" को और कविता के लिए मित्र  Bahadur Patel  के संकलन को मिला है. यह देवास के लिए गर्व की बात है कि एक साथ कहानी और कविता के लिए पुरस्कार मिला. आभारी हूँ डा प्रकाशकांत जी का जिनके सानिध्य में मैंने अक्षर ज्ञान सीखा और लिखना भी. यह सिर्फ खबर नहीं बल्कि एक आश्वस्ति है मेरे लिए और एक स्वीकार्यता कि मेरे लिखे को नयी भाषा, कथ्य और स्वरुप  में प्रस्तुत करने के पर भी कहानी माना गया और व्यापक स्तर पर स्वीकारा गया. यह पुरस्कार सभी मित्रों, अपने पाठकों को समर्पित है, एक का नाम लेकर मै किसी को छोटा नहीं करना चाहता, यह प्यार और संबल ही मेरी कसौटी और चुनौती भी है. दिल से आभारी हूँ और सच में शुक्रगुजार हूँ  Palash Surjan  जी और उनकी टीम का, निर्णायकों का जिन्होंने मुझे इस लायक समझा. अंत में इस सारी यात्रा में मेरे अपने घर के लोग, मेरे बच्चे जो मेरा जीवन और सम्पत्ति है, नहीं होते तो मै शायद कुछ भी नहीं कर सकता था. सवाल पुरस...

Crisis of Leadership Posts of 4 to 6 May 16

मेरे जैसे लोग आरक्षण के बारे में कुछ लिख दें तो यहाँ जनता मेरा खून करने पर उतर आती है और फोन पर बदतमीजी करने लगती है और मप्र में सिंहस्थ में 12 मई को राज्य प्रायोजित समरसता स्नान और भोज सिर्फ और सिर्फ दलितों के लिए अलग से उज्जैन में आयोजित किया जा रहा है, जिसमे अमित जी भाई शाह दलितों के साथ डूबकी भी लगायेंगे नर्मदा, क्षिप्रा और शहर के गंदे नालों से मिले हुए सीवेज के (आज की ताजा खबर है कि शहर का पूरा गंदा जल क्षिप्रा में मिल गया और प्रशासन की चाक चौबंद व्यवस्थाएं मिट्टी में मिल गयी, हाय मेला, हाय मेला और हाय- हाय मैला) मिश्रित गंगाजल में और भोजन भी करेंगे तो कोई कुछ बोल क्यों नहीं रहा और मजेदार नाम आज भास्कर में पढ़ा "शबरी स्नान" , वाह जैसे प्रभु राम ने शबरी ट्रीटमेंट किया था वैसे ही आधुनिक सरकार के उद्धारक अमित जी दलितों को ट्रीटमेंट देंगे. वैसे धर्म के जानकार और हिन्दू धर्म के ज्ञानी - ध्यानी मुझ जैसे सवर्ण बदमाश की जिज्ञासा शांत करेंगे कि सिंहस्थ में यह परिपाटी पुरानी है या परम पूज्य सरकारानन्द हिन्दू क्षत्रप इसे आरम्भ कर रहे है ? राज्य प्रायोजित भेदभाव और छुआ...

Posts of 3 May 16 आलोचना और छपास का हिन्दी में योगदान......रविशकुमार का अजीम मय हो जाना

"मेरा पेशा मेरा काम" पर  ‪#‎ रविशकुमार‬  ने अजीम प्रेम विवि में बेंगलोर में व्याख्यान दिया, आखिर कठपुतली सामने आ ही गयी, बकैती की, हवाईयात्रा तो अजीम प्रेम टुच्चे बच्चों को करा ही देता है प्रवेश के लिए जाने वालों को, मोटा माल मिला होगा वो अलग. कोई गलत नहीं है कही जाना औरज्ञान देना, यह समाजसेवा और बदलाव का चोला फेंक दो बॉस, जाने से पहले यह तो सोचना था कि जिन कार्पोरेट्स के "प्रेम में पड़कर आप ज्ञान देते है" फिर वह सब बंद कर दीजिये और अब प्लीज़ कुतर्क मत करिएगा कि बच्चों से बात  करने गया था आदि, आपने शोध कर ही लिया होगा कि ये निजीकरण करके सरकारी स्कूल्स को चौपट कर रहे है और एक अच्छा खासा वृद्धाआश्रम चला रहे है चुके हुए घोर अकर्मण्य शिक्षाविदों का आजकल. अजीम प्रेम विवि से लेकर फाउन्डेशन इस समय में शिक्षा में निजीकरण के सबसे बड़े व्यापारी है जो स्कूल कॉलेज बंद करवाकर अपने धंधे बढ़ा रहे है नवाचारियों और व्याभिचारियों को बंधुआ बनाकर और गिरवी रखकर. रविश यह काला चेहरा अपने होम वर्क में नहीं दिखा तो लानत है. दुःख तो नहीं हुआ, बहरहाल असली चेहरा सामने आया कि...