2. अभी गयी है सुबह के काम निपटाकर आपा, नाम क्या है यह शायद ही किसी को पता होगा, पर कॉलोनी की सभी बाईयों में मुस्लिम महिला वही है आपा जो कम से कम तीस घरों के बर्तन, झाडू - पोछा और खाना बनाने का काम करती है. अकेली आती है, सुबह छः बजे से और फिर लौटती है इसी समय, हाँ, दोपहर में - मेरे घर के सामने आंगनवाडी में दलिया खा लेती है कभी मेरे घर से कुछ मिल जाता है या कभी सामने जया दे देती है या "मिश्रा काका के यहाँ खाकर आई हूँ" यह कहकर मुस्कुरा देती है. शाम को फिर पांच बजे से रात को नौ बजे तक कॉलोनी में ही रहती है और लौटती है, साल में सिर्फ ईद पर छुट्टियां मनाती है आठ दिन की और फिर भिड जाती है. इसके पहले छोटी थी काम वाली - जिसे उसकी बड़ी बहन उषा लेकर आई थी, बाद में उषा इंदौर चली गयी तो छोटी ने सब घर पकड़ लिए, पर टी बी हो गयी, पति मर गया, लड़का कुछ करता नहीं था सिवाय गांजा पीने के, तो उसकी बेटी भावना घर - घर आने लगी काम करने, आठ बरस की थी पर अभी जब वह काम छोड़कर घर गयी तो उसकी उम्र पंद्रह साल हो गयी थी, अच्छा खासा यानी करीब आठ हजार कमा लेती थी पर छोटी को टीबी थी और इलाज हो नहीं पा रहा...
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