राष्ट्रीय शिक्षा दिवस पर मौलाना आजाद को याद करते हुए सभी शिक्षाविदों को बधाई, सभी शिक्षकों को मुबारक शुभकामनाएं. आज के दिन स्व. विनोद रायना और अनिल सदगोपाल जैसे जमीन से जुड़े शिक्षाविदों को याद करना स्वाभाविक है. भोपाल में अनिल हर साल एक बड़ा और अच्छा आयोजन करते है.
और एक अनुरोध कि शिक्षा को शिक्षा ही रहने दें, अपने ख्याली, हवाई, घोर नवाचारी और निजी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ ना करें.
सभी एनजीओकर्मी जो भले ही शिक्षा का 'श' ना जानते हो, भले ही ट्रेक्टर बेचते जीवन बीत गया या खेती किसानी करते, या गैरेज पर टेम्पो और पुरानी सुवेगा या बजाज का स्कूटर सुधारते पर आप मेहरबानी करके अपने दिमागी तनाव और व्यक्तिगत फ्रस्ट्रेशन को बेचारे बच्चों और ट्रेंड शिक्षकों पर ना लादे. अपने अनपढ़, दसवीं या बारहवीं पास कार्यकर्ताओं को कम से कम स्कूल से दूर रखें जो स्कूल में जाकर बच्चों को गतिविधि शिक्षण के नाम पर कूड़ा परोसकर आते है और सारा समय अपने साथ जानकारियों का पुलिंदा भरते रहते है कि देश में इतना प्रतिशत बढ़ गया.
सभी फंडिंग और युएन एजेंसी में काम करने वाले तमाम नोबल पुरस्कार प्राप्त करने लायक महान विकास कर्मियों से भी अनुरोध है कि अपने कुत्सित विचार और बेफालतू के मुगालते ना पालें कि आपके दिए चन्द रूपयों, बेहद घटिया और अनुपयोगी परन्तु चिकने चुपड़े कागजों पर चार गुना भाव पर छपी सामग्री से देश के हर बच्चे को शिक्षा मिल जायेगी और सब शिक्षा के अधिकार क़ानून का फ़ायदा उठा लेंगे. आप सिर्फ अपनी मोटी टेक्स फ्री कंसल्टेंसी, हवाई यात्रा, गाडी के एसी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से मधुर समबन्ध, उनकी बीबियों की जायज-नाजायज मांगों और पीपीटी तक ही सीमित रहकर देश की बड़ी मदद कर सकते है, आपके द्वारा अपने चापलूस और भाई-भतीजे और काम के बदले एसी कमरों में सिर्फ अंगरेजी में गिटिर पिटिर करने वाली छदम जेंडरियां और ऐसे तमाम पाले हुए बेहद अप्रतिबद्ध टुच्चे, एक रूपये ज्यादा पाने पर नौकरी बदल देने वाले समाज सेवा की डिग्रियां खरीदकर लाने वाले महान शूरवीर लोग भी शिक्षा से दूर रहे तो देश पर बड़ा कर्ज होगा.
मीडिया में एनजीओ को दूह कर फेलोशिप जुगाड़ने वाले और बगैर अपनी दिमागी समझ के शिक्षा से लेकर हनोई वार्ता पर ज्ञान बघारने वाले, यहाँ वहाँ संपादकों के पाँव पड़ने वाले लेखक पत्रकार भी शिक्षा को छोड़कर लिखें अभी बहुत मुद्दे है देश में जिस पर आपंके एक्पर्ट ओपिनियन की जरुरत है- जैसे प्याज के भाव, मन मोहन सिंह और आडवानी के बीच सत्ता के सह सम्बन्ध, मोदी और मुलायम का आर्थिक गणित, अमित शाह और अशोक गेहलोत का चुनावी पैक्ट आदि.
हमारा शिक्षक जो अभाव में, घोर अव्यवस्थाओं के बीच, भले ही अप डाउन करके बच्चों को पढ़ा रहा है उसे पढ़ा लेने दीजिये, आप तो चले जायेंगे अपना प्रोजेक्ट ख़त्म करके मेहरबानी करके किसी को दिवास्वप्न ना दिखाएँ.
कुल मिलाकर प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो.
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