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इन्सुलिन के जनक डॉ. फ़्रेडरिक सेंगर

Photo: डॉ. फ़्रेडरिक सेंगर का कल निधन हो गया। 

डॉ. सेंगर ने इंसुलिन नामक प्रोटीन को सीक्वेंस (सूचीबद्ध) किया था और इसी के कारण डायबिटीज़ के मरीज़ों को इंसुलिन उपलब्ध हो पाया। इस खोज के लिए 1958 में डॉ. सेंगर को रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया।

1980 में उन्हें एक बार फिर से रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया! इस बार उन्हें यह सम्मान न्यूक्लिक एसिड को सीक्वेंस करने के लिए दिया गया था। इससे विभिन्न जीवों के डी.एन.ए. को समझने में मदद मिली और बहुत-सी बीमारियों के बेहतर इलाज की खोज आसान हुई।

डॉ. सेंगर जैसे वैज्ञानिक मानवता के रत्न हैं। इंसुलिन की उपलब्धता ने करोड़ों जाने बचाई हैं और करोड़ों लोगों को बेहतर जीवन का वरदान दिया है। डॉ. सेंगर मेडिकल रिसर्च काउंसिल से जुड़े थे -मुझे गर्व और खुशी है कि इसी संस्थान के लिए मैंने भी थोड़ा-सा कार्य किया। डॉ. सेंगर को हार्दिक श्रद्धांजली।



दुखद खबर परन्तु घटिया राजनैतिक खबरों के बीच एक अच्छी जानकारी देने वाला मित्र ललित कुमार का स्टेट्स. आज इसको पढ़कर इस महान व्यक्ति के बारे जान पाया, जिस इन्सुलिन को सन 1975 से अपने परिजनों के लिए उपयोग कर रहा था और शायद अब अपने लिए भी करना पड़े, के जनक को नमन. ऐसी खबरों का स्रोत फेसबुक से बेहतर कोई और नहीं हो सकता. धन्यवाद भाई ललित

डॉ. फ़्रेडरिक सेंगर का कल निधन हो गया। 


डॉ. सेंगर ने इंसुलिन नामक प्रोटीन को सीक्वेंस (सूचीबद्ध) किया था और इसी के कारण डायबिटीज़ के मरीज़ों को इंसुलिन उपलब्ध हो पाया। इस खोज के लिए 1958 में डॉ. सेंगर को रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया।



1980 में उन्हें एक बार फिर से रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिया गया! इस बार उन्हें यह सम्मान न्यूक्लिक एसिड को सीक्वेंस करने के लिए दिया गया था। इससे विभिन्न जीवों के डी.एन.ए. को समझने में मदद मिली और बहुत-सी बीमारियों के बेहतर इलाज की खोज आसान हुई।



डॉ. सेंगर जैसे वैज्ञानिक मानवता के रत्न हैं। इंसुलिन की उपलब्धता ने करोड़ों जाने बचाई हैं और करोड़ों लोगों को बेहतर जीवन का वरदान दिया है। डॉ. सेंगर मेडिकल रिसर्च काउंसिल से जुड़े थे -

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