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"इस बार फ़िर गलत होने को मन करता है"



अक्सर यह होता है कि चौराहों पर से 
गुजरते हुए सही रास्ता जो मै सोचता हूँ 
वो आगे जाने पर गलत निकलता है,
जो उम्मीद मै लगाता हूँ वो अक्सर 
नाउम्मीदी मे बदल जाती है मित्रों.

जब भी कही कुछ अच्छा होने की 
संभावना दिखती है वही सब चौपट 
हो जाता है और सब कुछ नष्ट प्रायः सा 
दूर कही से आते बादल पास आकर 
एक धूल भरे बवंडर मे बदल जाते है.

जब खेतों से गुजरता हूँ खड़ी फसलें बिछ 
जाती है अक्सर सूख जाता है उनका रस 
पानी के पास से गुजरता हूँ तूं तो रीत जाते है स्रोत 
बस्तियों से गुजरता हूँ तो चीखें सुनाई देती है 
प्यार की उम्मीद मे अक्सर जहर मिलता है. 

छोटे बच्चों से मिलता हूँ प्यार से तो तडफ उठते है   
गीत और सौग गाती महिलाएँ क्रंदन करने लगती है 
हंसते लोग अक्सर दुखडा सुनाने लगते है 
उडते पंछी लहुलूहान होकर गिर जाते है जमीं पर 
मै अच्छा सोचता हूँ सबके बारे मे बावजूद इसके 

अक्सर कहते है मित्र कि साला पनौती है
शुभ मौकों पर दूर कर देते है मुझे
मोहित कहता है काली जुबान अक्सर 
घर द्वार मे बोलने से रोक दिया जाता है 
कह नहीं सकता पर सच कहता हूँ मै.

आजकल सारे लोग एक उम्मीद के सहारे 
जीवन और समाज की खुशियों के स्वप्न  
देख रहे है और इसके पीछे दमक रहा है 
एक तानाशाह का विद्रूप चेहरा, जो हंसता है 
मुझे लगता है ऐसा हो जाये ताकि मै फ़िर गलत होऊ 

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