मप्र में तमाम प्रयासों के बाद भी जमीनी स्थितियां सुधरी नही है, 18 वर्षों से मामा भांजी और भांजों के नेक, पवित्र रिश्तों के बावजूद भी मामा का साम्राज्य बढ़ा और भान्जे भांजियों को अकाल मौत मिली ये आंकड़े यही कहानी कह रहे है, अब यह मत कहना कि कांग्रेस दोषी है या बसपा या सपा या कोई और स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग के बीच ना समन्वय है और ना Convergence और ऊपर से #Unicef जैसी मक्कार संस्थाएँ पत्रकारों को रुपया दे देकर बकवास की सफलता वाली कहानियाँ छपवा कर अपना अस्तित्व यहाँ बनाये रखती है, उजबक किस्म के कंसल्टेंट घर बैठकर समुदाय प्रबंधन पर काम कर रहें हैं, सिवाय आंकड़ेबाजी के कुछ नही होता, भोपाल की पलाश होटल से लेकर जहाँनुमा या नूर उस सभा में रंगीन चमकीले पीपीटी के प्रदर्शन के कुछ नही होता ; मप्र के गुना, शिवपुरी और श्योपुर यूनिसेफ के जहागिरदारी वाले जिले है और सबसे ज़्यादा कुपोषण और मृत्यु के केस यही से आते है, यह शासन, सत्ता का असली चेहरा है जिसे सुशासन कहते है और minimum govt & maximum governance कहते है मजेदार कहूँ या दुखद कि जवाबदेही लेने को कोई तैयार नही है - जबकि आंगनवाड़ी से लेकर...
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