प्रगति के रास्ते बाई ओर खुलेंगे - सकारात्मक बने रहिये
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आया समय बड़ा बेढंगा
नाच रहा नर होकर नंगा
- स्व प्रदीप
भूख, गरीबी, पलायन, कुपोषण, सुशासन, बेरोज़गारी, तानाशाही, बदइन्तजामात, शोषण, देश भक्ति के नाम पर आज फिर आम आदमी का मखौल उड़ाया गया संगठित स्तर से बड़े पैमाने पर
इस देश मे टैक्स पेयर्स, जीएसटी और तमाम तरह के कर्जों के तले दबे लोगों के रुपयों की बर्बादी यह सरकार या तो इस तरह से करती है या कुछ हरामखोर उद्योगपतियों के कर्ज माफ करके करती है या अम्बानी अडानी जैसे आकाओं को सबका रुपया सौंपकर करती है या विजय माल्या और नीरज मोदी को देश से भगाकर करती है या मूर्तियां बनवाकर करती है - जैसी अक्ल वैसी करनी
इतिहास याद रखेगा कि 40 हजार से ज्यादा लोग महामारी से पीड़ित थे और प्रतिदिन लोग मर रहें थे तो सरकार के नीरो तमाशेबाज बनें वाहवाही कमाने में लगे थे
धूर्त व्यापारियों से और क्या उम्मीद कर सकते है जो लाशों की भीड़ में इमोशन का सौदा करके ख़ुश हो रहें है , गरीब मजदूरों से घर जाने का किराया मांग रहे पर इस तरह की नौटँकी के लिए रुपये की कमी नही - शर्म है या नही पता नही
और जनता - जी हाँ, हम मूर्ख और गंवार ताली पीट रहें हैं - पीटो क्योकि मूर्खों को मूर्ख ही मिलते है और राजा नंगा है - कहने की हिम्मत अब सिर्फ कथाओं में ही होगी
डॉक्टर्स और सफाई कर्मचारी कोई फुरसती कांवड़िए नही जिन पर फूल फेंककर उनका
समय बर्बाद कर दिया आज क्योकि फेंके गए फूल झेलना भी उनका सरकारी दायित्व था वरना DE हो जाती
पढ़ने और कमेंट करने को अरबों खाते है - फेसबुक पर, भक्त यहाँ गोबर ना फेंके और सेना की धूर्तता और भ्रष्टाचार से वाकिफ हूँ - महू में काम किया है, मेरी जन्मभूमि भी है महू - गली गली में YOs की गुंडागर्दी और धूर्त भ्रष्ट अफसरों की कहानियाँ गूंजती है यहाँ और सुन लो महू का अर्थ - " MHOW - Military Head Quarters of War " - इसलिए ज्यादा ज्ञान पेलना मत वरना रही सही देश भक्ति भी धूल में मिल जाएगी सच सुनने पर
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तुम्हारे कदमों की नीचे जमीन तक नही
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कुछेक को भाव देना बन्द कर दें - थोड़े दिन - एकदम असंपृक्त हो जाये, निर्मोही होकर दूर हो जाये फिर देखिए बिलबिलाहट इन उड़ते परिंदों की
आज दो - चार फर्जी और स्वयम्भू सेलिब्रिटी के फोन आये - लाईक क्यों नही आ रहें आपके, कमेंट्स भी नही, लाइव पर तो आप आते ही नही - वाट्सएप पर ब्लॉक कर दिया क्या - हुआ क्या, कल से बुक माय शो पर रहूँगा - लिंक भेज रहा हूँ ज्वाइन करिये प्लीज़
अच्छा तो अब बात यहाँ तक पहुंच गई है - खूब बेचा - सब कुछ बेचा, बड़े एलीट बनें रहें और दो माह से इनकम बन्द, तालियां बंद - तो वो याद आ रहे जो फेसबुकिये थे, कस्बाई लोग, इमोशनल किस्म के लिजलिजेपन के रिश्ते निभाने वाले लोग
निकल लो गुरु, ना तुम्हारा पढ़ेंगे, ना देखेंगे और अब जीवन के चौराहे पर मिल भी गए तो तुम्हे नज़र अंदाज़ कर निकल लेंगे ठहाका मारकर भरी भीड़ में
सुन लो बै, तुम्हारा एटीट्यूड रखो तुम्हारे पास, जिन देशी - विदेशियों को गले में सांप की तरह लटकाकर घूमते थे ना, फैब इंडिया के झब्बे और बड़ी बिंदी वाली तितलियों से घिरे रहते थे ना, उजबक कपड़ों और गले में कैमरों की नरमुंड नुमा वाले असली मर्दों की अगुवाई करते थे ना, दिमाग़ में हवस - होठों पर सिगरेट और मस्त मौलाओं के हुजूम में आत्म मुग्ध रहकर परजीवी बने रहते थे ना या बने हो अभी भी - अब उन्ही की गोद मे चित्त हो जाओ
कोरोना ने जो दुनिया बदली है ना - उससे हम कम अक्ल मजदूर तो निभा ले जायेंगे - मालवा में कहते है 'नंगे के नौ ग्रह बलवान' पर तुम्हारा क्या - वो लालियाँ और तालियाँ अब भूल जाओ भंते, बहुत बेच लिया - संस्कृति, परम्परा, द्वैत, अद्वैत, साहित्य, सूफी और सब - बस बेट्टा अब आ जाओ मैदान में गेती, फावड़ा और तगारी लेकर
सबकी जै जै तो तुम्हारी भी होगी अब खूब ज़ोरदार
जिसे यह पोस्ट नकारात्मक लग रही हो -वे शुचिता वादी और संस्कृति के भौकाल यहाँ ज्ञान पसारने ना आये - क्या है कि हम गेहूँ और चने काटने के बाद
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आकाश की जात बता रे भैया
जमातियों को बहुत कोस लिया
बस जानकारी के लिए बता दूँ पंजाब में नांदेड़ से पहुंचे लोगों में 334 पॉजिटिव है
उस समय तो किसी को कुछ पता नही था पर ये तो लॉक डाउन के दूसरे दौर की तस्वीर है, पंजाब में 700 से ज्यादा मरीज हो गए है
अब किसे दोष दें - तब्लीगी जमात को
जब तक हम इंसान को सिर्फ इंसान के रूप में नही देखेंगे कुछ नही हो सकता, थोड़ा दिमाग़ लगाइए बजाय भक्ति संगीत सुनने के
कोरोना किसी जात, धर्म, नस्ल, देश और सीमा को नही देख रहा, मनुष्यगत कमजोरियां, राजनीति और कारगर नीतियों के सन्दर्भ में ही फोकस रहने दीजिए - सब फेल है - मोदी हो, ट्रम्प, जीनपिंग, शिंजो आंम्बे, किंग कॉन्ग या कोई गरीब गुर्गा नत्थूलाल
इसे किसी समुदाय विशेष या जाति से जोड़कर देखना निहायत ही घटिया सोच है, जरूरत है लोगों को मदद करने की, सुविधाएं बढाने की , प्रोत्साहन की और सही देखरेख की ; हमारे पुलिस के जवान भी संक्रमित हो गए है बड़ी संख्या में - सेना के जवान एवं अधिकारी मर रहे है और हमारे हुक्मरान 3 मई को नौटँकी करवा रहै है - मेहरबानी करके ये नाटक बंद कीजिए, डॉक्टर्स को काम करने दीजिए और टैक्स पेयर्स का रुपया बचाकर रखिये
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इस समय में जनसँख्या रोकने पर बात करना राजनीति है या नही - कुछ अति शिक्षित मित्रों को दुविधा है, मेरा मानना है कि जनसँख्या पर बात करना ही राजनीति है सिर्फ भारत ही नही दुनिया भर में - यदि किसी की यह भी समझ नही तो बहस करने का कोई मतलब ही नही
जिन्हें यह समझ नही कि गरीब के चार बच्चों के हाथ उसकी मदद करने वाले और आठ कमाने वाले हाथ है और भारत मे जनसँख्या की समस्या नही , समाज में पूंजी और संसाधनों का असमान वितरण है - तो बहस का क्या अर्थ है - क्या सरकार गरीब को एक बच्चा पैदा करें और रखें तो उसके जीवन बचाने की ग्यारंटी देगी
मजेदार यह है कि ये जनसँख्या रोकने की बात वो करते है जो पैदा हो चुके है और आर्थिक रूप से सक्षम है और खाये पीये पेट से है, अच्छी खासी पूंजी पर होल्ड रखते है - यह सीधा सा मुस्लिमों, दलितों और आदिवासियों को फोकस करते हुए टारगेट करने का षड्यंत्र है और यह सब सवर्ण समाजों का सुव्यवस्थित प्लान है, कोरोना लॉक डाउन के ठीक पहले सरकार भी इन्हीं कुछ इरादों के साथ संसद में बिल रखकर पास करने का इरादा कर चुकी थी
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टीकाकरण करवाएं - यह अनिवार्य है
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देशभक्ति का बूस्टर 3 मई को लगेगा
17 मई तक बढ़ाना ही पड़ रहा है लॉक डाउन - जाहिर है लोग भड़केंगे ही - फिर हमारी भलाई इसी में है कि घर में रहो, खाना बनाओ , फिलिम देखो और एन्जॉय करो - एकदम झकास
ख़ैर, अबकी बार फिर देशभक्ति को सँजोने - सँवारने को पेश है - सेना, नौसेना और वायुसेवा के जांबाज़ और अनोखे करतब , यही काम शेष रह गया था - एक बार आएंगे फिर भी देख लेना पर अभी हिम्मत नही - मजदूरों और समस्याओं का कोई हल नही है दोनो के पास, डॉक्टरों को तो जीवनभर मरीज ही ठीक करने है - कब तक उनके लिये झुनझुने बजाना पड़ेंगे - उन्हें किसी ने पीले चावल नही दिए थे - डाक्टर बनना उनकी चॉइस थी - यह सही है कि इस समय मे वे कड़ी मेहनत कर रहें हैं पर ठीक इसके विपरीत हमने बड़े निजी डॉक्टर्स का घिघौना चेहरा भी देखा है
फिर मत कहना कि मनोरंजन में कोई कमी थी - अब क्या जान लोगे सरकार की मित्रों, इतिहास में पहली बार पेश है रंगारंग कार्यक्रम और बाकी सब धीरे - धीरे , यह भी सोच लो इस देशभक्ति की नौटँकी और निहायत ही मूर्खतापूर्ण कदम के लिए जनता का रुपया कितना बर्बाद होगा - कोरोना दिमाग़ में घुस गया या अक्ल मारी गई
सत्ता खरीदने की हवस और व्यवस्थाएँ चाक चौबंद ना रखने की लापरवाही का नतीजा क्या होता है - इस बात के लिए मोदी और शाह को इतिहास याद रखेगा, और जनता को थाली, घँटे, डीजे बजाने, जुलूस निकालने और पटाखे चलाने की सजा इससे ज़्यादा मिलना ही चाहिए
[भक्तों टैक्स का रुपया मैं भी देता हूँ और सकारात्मता तुम्हे ही मुबारक, ज्यादा ज्ञान पेलना मत ]
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2020 में विवाह योग्य लड़कियों की अपेक्षाओं में भारी बदलाव...
लड़का भारत मे जॉब करने वाला हो - चीन,इटली,अमेरिका, दुबई, रूस जैसे फालतू देशों में जॉब करने वाला न हो..
भारत में भी दिल्ली, मुम्बई, बैंगलोर, पूना, भोपाल, इंदौर जैसे महानगरों का बिल्कुल न हो
देवास, हाटपिपल्या, बरोठा , बागली, सांवेर, देपालपुर, शिप्रा, मांगलिया, हरदा, आगर, महिदपुर, शाजापुर, बेरछा आदि का ही चाहिए
किराने की दुकान करने वाले, खेती किसानी वाले, पंचर जोड़ने वाले, खाद बीज बेचने वाले लड़कों को विशेष प्राथमिकता रहेगी..
जो विदेश जाता हो, भीड़ और क्लब का शौकीन हो, चौराहै पर ठिलवई में यार दोस्तो के संग रहना चाहता हो वो अपनी मांगलिक कोरोना ग्रस्त कुंडली ना भेजें मेरे बापू को
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