Skip to main content

Corona Govt of India - Policy and Some Notes 19 March to 24 March 2020

उद्दंड आशा और सकारात्मकता ( जो कल देशभर में जुलूस के रूप में प्रकट हुई ) से सतर्कता भरी निराशा और नकारात्मकता हजार गुना बेहतर है और लोकतंत्र में समालोचना करना स्वस्थ और जागरूक नागरिक होने का गुण है - अपनी सरकार, अपने राज्य प्रमुख और देश के नेताओं से सवाल करना कतई ग़लत नही है
उदय प्रकाश जी सही कहते है
"कुछ नही बोलता आदमी

मरने के बाद
कुछ नही सोचता आदमी
मरने के बाद
कुछ नही बोलने और
कुछ नही सोचने से
आदमी मर जाता है "

***
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबरों के हवाले से मित्र संदीप नाईक बता रहे हैं
कुछ कड़वी हक़ीक़तें भी जान लीजिए
◆◆◆

टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक
भारतीय स्वास्थ्य सेवा फिलहाल covid 19 के पेंडेमिक से जूझने से लिये विशेष प्रोटेक्टिव क्लोथ्स (PPE that is quality personal protective equipment) से जूझ रही है

इंडियन मेन्युफेक्चर्स का कहना है वे जानते नही उन्हें क्या बनाना हैं उन्हें अभी तक हेल्थ मिनिस्ट्री से स्पेसिफकेशन नही मिले है, उनकी वजह से हेल्थ वर्कर में इंफेक्शन के चांस बढ़ रहे है, उससे मेडिकल फ्रेटरनीटी में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक उन्हें 7.25 लाख बॉडी कवर और 60 लाख N-95 mask और 1 करोड़ 3 प्लाई मास्क चाहिए थे - वो भी वर्तमान हालातो में, राज्यो की अपनी मांग के मुताबिक इसमे बढ़ोतरी होनी तय है
प्रोटेक्शन वियर मेन्युफेक्चर्स एसोसिएसन के चेयरमैन का कहना है वे अलग - अलग ब्यूरोक्रेट्स के किसी निर्णय पर ना पहुंचने के निर्णय से फ्रस्ट्रेटेड हो गए है - " हम उन्हें 12 फरवरी से लगतार लिख रहे है और मिल रहे है, ऐसे में कोई भी कंपनी बिना तय मापदंडो के कुछ बना देगी और स्वास्थ्य कर्मियों को इंफेक्शन का चांस बना रहेगा "
अब बताईये सकारात्मकता कहाँ से लाये कोई और यह खबर मैंने रसोई में नही बनाई है - कल देश ने जिन लोगों को याद करके इतना बड़ा महान काम किया और ताली बजाई - सरकार बहादुर के आव्हान पर क्या हमारे स्वास्थ्य मंत्री त्वरित निर्णय नही ले सकते, इसलिये कहता हूँ कि 73 वर्षों से नागनाथ और सांपनाथों पर भरोसा करना छोड़िए - कथनी करनी के भेद वाले ये लोग महज आत्म मुग्धता के गम्भीर मरीज है और हम आप सब इनके शिकार
***
A Literary Appeal
◆◆◆

Wash Hands Like LADY MACBETH.
Seclude Yourself Like MISS.HAVISHAM.
Postpone Your Tasks Like HAMLET.
Eat Like FALSTAFF.
Wear Masks like BENEDICT.
Be Proud Like DARCY and Avoid Dancing With LIZZIES.
Don't Touch Or Steal Others' Kerchiefs Like IAGO.
Unlike ROMEO, Avoid Meeting JULIETs Who wait in the Balconies. Let Them Wait Till Morrow.
Don't Wander Around Like Ulysses.
Be Wise Like Beatrice.
Let The West Wind Blow
Listen to Nightingales,
Admire Daffodils.

Stay Home, Stay Safe.
***
जनता कर्फ्यू के आगे
◆◆◆

कल के थाली पीटो अभियान, 2024 के चुनाव जीतने की अग्रिम खुशी और शर्मनाक हरकतों के बाद 20 घण्टों की प्रशासनिक और मोदी जी की अपील व्यर्थ रही, हम मूर्खों ने मान लिया कि 12 - 14 घँटे घर मे रहकर कोरोना की त्रासदी खत्म हो गई
यह कर्फ्यू अब "जनता कर्फ्यू नही प्रशासनिक कर्फ्यू " हो कम से कम 31 मार्च तक पूरे देश में अनिवार्य रूप से - सुयोग्य पुलिस अधिकारियों के नेतृत्व में और इस सावधानी के साथ कि पुलिस की सुरक्षा भी सर्वोच्च हो स्वास्थ्यगत :-
●उन्हें हर तीन घँटे में विश्राम आवश्यक
● दवाई / सेनिटाइजर देना
● पर्याप्त मास्क आदि का प्रावधान हो
● कर्फ्यू के दौरान पौष्टिक भोजन
● जीप, छायादार वाहनों की व्यवस्था हो

उन्हें सभी प्रकार की भीड़, ध्वनि विस्तारकों को जब्त करने की प्रशासनिक ताकत, वाहनों को राजसात करने की ताकत और आवश्यक वस्तुओं के नाम पर दुकान खोल बैठे अड्डेबाजी कर रहे लोगों को भगाने की ताकत दी जाए
[ ताकत से यहाँ तात्पर्य state sponsored power से है ]
वे भी हमारे ही वृहद परिवार के हिस्से है पर बुजुर्गों की तरह जो सही ग़लत बता सकते है
स्थिति बहुत गम्भीर है और कल के जश्न को देखते हुए लगता है कि हम अभी मैच्योर नही कि किसी जननेता की अपील को सही मायनों में समझ सकें - सीधी सी भाषा में कहूँ तो लातों के भूत बातों से नही मानते
***
कल फिर गैलीलियो और ब्रूनो को मारा और जलाया गया
बस देश अलग था
***

ट्रेन बंद कर दी
75 शहर लॉक डाउन है
कई राज्य भी इसी तर्ज पर है
डॉक्टर्स, नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ है नही
लेब नही, दवाईयां नही, बजट नही ढाँचे नही
गम्भीरता से मुद्दों को लेने के बजाय देश को जमुरा बना रहे है और कार्यवाही के नाम पर कुछ नही - धन्य है सरकार बहादुर - बहुत खूब , हम भी सभी सेवा कर्मियों के प्रति आजीवन आभारी रहेंगे पर नौटँकी बाज नही हम
कुछ नही कर पा रहे तो बंद करने के अलावा कोई विकल्प नही, डर यह है कि लोग अस्पताल जाएंगे तो दंगे, प्रदर्शन होंगे, तोड़फोड़ होगी - लोग सवाल पूछेंगे और जवाब नही है किसी के पास
अब कांग्रेस को भी दोष नही दे सकते 6 साल कम नही होते और अधिकांश राज्यों में खुद है या गठजोड़ की सरकार और जहां नही वहाँ रुपये की महिमा से खरीद ली
तो घण्टा बजाने के अलावा है क्या और सरकार के पास , जो लोग आज थाली और घण्टा बजा रहें है उनके हाथ में आखिर में सिवाय 🔔🔔🔔 के कुछ आना नही
पहले कार्यकाल में बड़ी आपदाओं से निपटे है आपकी ही सरकार ने इससे बड़े मामले भूकम्प हो या केदारनाथ त्रासदी तब ताली नही बजाई, घँटे नही बजे - आज स्वास्थ्य विभाग पर ये अचानक मेहरबानी क्यों - इमोशनल अत्याचार करके उन्हें चुप रखने की साजिश कि वे व्यवस्थागत कमियां जनता को ना बताएँ और बीमा कंपनियों का फायदा करवा दें इस दौर में
बवासीर के मरीज को शँख बजाना मना है और इस देश को बवासीर की बड़ी बीमारी है बजाइये घण्टा, गाली दीजिये आपकी समझ ही उतनी है ना घण्टा जितनी तभी थाली और तालियां पीट रहें है
आईये गाली दीजिये और अपना कूड़ा कचरा फैलाइये
आभारी हूँ कि इसे लिम्का गिनीज बुक में नाम लिखवाने की जिद नही की कम से कम उतनी मेहरबानी की - धन्य हो गया देश
***
हो गया जनता कर्फ्यू
पटाखे फोड़कर लग रहा कि युद्ध जीत गए है
सब सड़कों पर है, थोड़ी देर में दुकानें भी खुल जायेंगी और कल से फिर वही
जैसी प्रजा होती है उसको अपनी किस्मत अनुसार राजा मिल ही जाता है
भक्ति, मूर्खता और पिछलग्गू की परीक्षा में हमें 100 / 100 अंक - मुबारक, बधाई
मंगल गाओ , द्वार सजाओ - आज रंग है री
***
सच में यह देश विचित्र किंतु सत्य है - तभी ना कोई भी आता है और हांककर ले जाता है - अम्बानी हो, राम रहीम हो, आशाराम हो, चिन्मयानंद या महामहिम
आज मान लिया कि गांधी के बाद आप ही हो जिसकी अपील जनता मान लेती है
जियो हो लल्ला, ऐसी अपील गरीबी, शिक्षा , कुपोषण, जातिविहीन समाज, छुआछूत , महिला समता, समतामूलक समाज और आर्थिक बराबरी के लिए भी कर दो ना तो दुनिया के इतिहास में अमर हो जाओ
***

जज़्बाती, मूर्ख और भयानक किस्म के चिपकू अभी भी वाट्सएप पर मंत्र, स्त्रोत, फालतू की बकवास और घटिया वीडियो भेज रहें है , गुरु घण्टाल लोग अलग नही मान रहें अपने भक्तों को विशुद्ध मूर्ख बना रहें है - जो गुरु घण्टाल काजू बादाम ख़ाकर मोटी दक्षिणा वसूल लेते है और छुआछूत करते है आम दिनों में वे आज जन हितैषी बन रहे है
अफसोस है कि मेरे संगी साथी वेद, ऋचाओं, धर्म पुराण, कुरान और ध्वनि के सुप्रभावों की बात करके मेरे जवाब देने पर बदतमीजी कर रहें है, जो लोग विज्ञान में परास्नातक है, विज्ञान के प्रचार प्रसार के नाम पर दुकानें चला रहें है, बड़ी बड़ी फैक्ट्रियों में बड़े पदों पर काम कर रहें है और पूरी तरह से मैकेनाइज्ड मशीनों पर काम कर रहें है - वे भी मूर्खता की पराकाष्ठा पार कर चुके है - शर्म आती है कि ये लोग इतने अंधविश्वासी और मिथक प्रिय है और बल्कि जानबूझकर इस गोरख धन्धे में शामिल है
धर्म गुरु भी अपना धंधा चला रहे है - अजीब अजीब धर्म खातों, पुराणों और कुरान से सन्दर्भ निकालकर बेवकूफियां फैला रहें है जबकि यदि यह सब इतना सशक्त होता और कोई डिवाइन पॉवर सच में होता तो मन्दिर, मस्जिद और गिरजाघरों या गुरुद्वारों पर क्यों ताले जड़ दिए जाते - सुरक्षित रहिये, अरे जिंदा रहोगे - तभी ना नमाज होगी या पूजा पाठ
बहरहाल, इसके अलावा WHO के नम्बर डिलीट कर करके थक गया हूँ , वीडियो के कचरे से मोबाइल हैंग हो रहा है , वैज्ञानिक पक्ष पर बात करने से गालियां अलग खा रहा हूँ - हम सब एक बर्बर युग में जी रहें है
कृपया कोरोना पर ज्ञान बांटना बंद कीजिए इनबॉक्स में आकर ग़दर मत करिए, वाट्सअप पर भी बकवास भेजना बंद कीजिए
मोदी के जनता कर्फ्यू को लेकर शपथ लो और सपोर्ट करो वो विशुद्ध चुतियापा है ही, कुछ बोल दो तो घटियापन पर उतर आते कमीने - भाषा तल्ख ही रखना होगी तब तक इन जल्लादों से मुक्ति सम्भव नही
शर्मनाक है यह सब
***
अपील मित्रों, परिजनों एवं साथियों से
◆◆●

● जो मित्र देवास शहर से दूर है, देश विदेश में है और उनके वृद्ध माता पिता या परिजन यही है और यदि उन्हें किसी प्रकार की मदद की जरूरत है तो कॉल करने, वाट्सएप्प करने या फेसबुक सन्देश देने में संकोच ना करें
● मैं अगली 31 तारीख तक यही हूँ, किसी भी प्रकार की मदद के लिए हिचकियेगा नही - अच्छा लगेगा मुझे
● इसके अलावा शहर में अचानक होने वाली किसी भी सम्भावित त्रासदी और घटना , दुर्घटना के लिए भी मित्रगण सम्पर्क कर सकते है
● हम जहां है जैसे है यदि किसी के काम आ सके तो अतिउत्तम होगा
● सनद रहे
● जो साथी इस मुहिम के साथ जुड़ना चाहे देवास या जहाँ है वहाँ से यहाँ जुड़ सकते है , इनबॉक्स में अपना मोबाइल दे सकते है
***
4 दिन बाहर था
आते - जाते समय किसी भी स्टेशन पर कही भी ना स्क्रीनिंग हुई और ना किसी ने कुछ पूछा - देवास या शिवपुरी में
रेल में टीटी साहब भी बेतकल्लुफ़ी में थे , ऐसी अटेंडेंट भी बगैर मास्क और बगैर सावधानी के
हाँ, सफाई कर्मचारी बहुत मुस्तैद थे, हर एक घँटे में सफाई, शौचालयों की सफाई, पोछा और दवाई छींट रहे थे - उन्हें फीडबैक फॉर्म में श्रेष्ठ भी बोला, नगद इनाम भी दिया उन बच्चों को
लोग जनरल में भरकर घरों में जा रहें है उनके लिए कुछ नही
कर्मचारियों की कमी, सरकार की मजबूरी, विशाल जनसँख्या और सीमित संसाधनों की कमी से वाकिफ़ हूँ पर फिर यह कहना कि हम तैयार है, काम हो रहा है, व्यवस्थाएँ माक़ूल है, इंतज़ामात पर्याप्त है - यह सब बेमानी है फिर
सकारात्मक सोच रखूँ ज्ञानी कहते है, भाषा तल्ख है मेरी - मेरे गुरु कहते है, साथी मोदी विरोधी कहते है - एक बात बताईये मेरी क्या प्रधान मंत्री से व्यक्तिगत दुश्मनी है - घूमता हूँ जगह जगह, कमियां देखता हूँ नीति कुछ कहती है और क्रियान्वयन कुछ और दिखता है तो ना बोलूं और तल्ख भाषा नही मुद्दे है, बड़ी आबादी उपेक्षित हो रही है, लोकतंत्र में सवाल करना ग़लत है क्या और क्या प्रधान के बजाय विपक्ष से पूछूँ या किसी ब्यूरोक्रेट से जो आज मछली, कल खनिज विभाग और परसो केंद्र / विदेश में प्रतिनियुक्ति पर चला जाता है और उस जनसेवक की प्रतिबद्धता गत 72 वर्षों से संदिग्ध है
अब कोरोना को लेकर ही देखिये रेलवे लगातार कह रहा है कि हम सब कर रहें है पर इतनी गैर जिम्मेदारी वाला काम है यह, जबकि देवास तो जंक्शन है फिर क्यों सारी बागड़ खोलकर रख दी है
***
क्यों स्पेन , इटली के ताली वीडियो से 🔔 के वीडियो अच्छे होना चईये कि नई
तो 21 को कर्फ्यू और 22 को घण्टा घड़ियाल, ढोल, ताशे, तबला, मृदंग, बैंड बाजे, पखावज, भोंपू , शँख, ताली सब बजाओ, दुनिया में सबसे अच्छा अपना प्यारा देश
जिसको पूरी लाल मिर्च लगती है वो यहाँ उल्टी ना करे
***
जनता कर्फ़्यू
कल मप्र में कमलनाथ सरकार की डोली उठ रही है, देश भर में बचे खुचे लोकतंत्र के अनुयायी, मुठ्ठीभर कांग्रेसी प्रदर्शन कर सकते है इसलिए भी मोदी ने यह मुमकिन ना हो इसलिये जनता कर्फ्यू का नया शब्द लाकर इशारे किये है कि पुलिस एवं प्रशासन के लिए कि दो दिन है - तैयारी रखें
***
सरकार की क्या तैयारी है इस पर एक शब्द नही है
घर में एक दिन रहने के बजाय लगातार यह बना रहे
तीसरा, घण्टा या ताली बजाने का वैज्ञानिक तथ्य क्या है मतलब गणपति को दूध पिलाने जैसा मामला है
कालाबाजारी ना करें कहकर व्यापारियों को रास्ता दिखा दिया , अभी से बाजार में हड़बड़ी मच गई है
सरकार यह बताएं कि राज्य और केंद्र ने क्या ठोस कार्यवाही की - सेनिटाइजर 240 रुपये में बेच रहे है केमिस्ट वो भी नकली कहाँ और किसको शिकायत करें
आवागमन, परिवहन आदि का प्लान क्या है,आवश्यक व्यवस्थाएं क्या है
अस्पताल में जांच के लिए ना जाएं तो क्या सरकार यह मान चुकी है कि हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था बहुत ही कमजोर और अपर्याप्त है
ब्लेक मार्केट वालों के लिए सजा का प्रावधान या खौफ क्या है
जनता कर्फ्यू रविवार को क्यों - सोमवार क्यों नही जब सब लोग काम पर होते है
थोडा सोचिये फिर कमेंट करिये, उजबक टाईप कमेंट्स का कोई मतलब नही
***
22/3 को शाम 5 बजे बालकनी में खड़े होकर 🔔🔔🔔 बजाएं ताली बजाएं
गो कोरोना , गो कोरोना, गो कोरोना वालों की ग़जब समझ
बहुत गम्भीर संदेश दे रहें है हुजुरे आला
घण्टा बजाने का वैज्ञानिक पहलू क्या है - मित्रों आप तो पढ़े लिखें है ना
***
जनता कर्फ्यू
मतलब कुछ बड़े खेल होंगे देश में और
***
चेरनोबिल, भोपाल गैस त्रासदी, मानव निर्मित त्रासदियाँ है और अब इसी क्रम में एड्स, स्वाइन फ्लू, इबोला के बाद कोरोना नई त्रासदी है और ये सारी हरकतें किसी एक या दो मनुष्य की अपेक्षा, रुपयों की हवस और नया कुछ करने की वजह से उत्पन्न हुए संताप है
हमें विकास के क्रम में यह भी सोचना लाज़मी होगा कि आखिर हम कहाँ जाना चाहते है और अंततः क्या पाना चाहते है कोख से कब्र के सफ़र में कुल मिलाकर पचास साठ बरस का जीवन है और बग़ैर यह सोचें कि हम क्या छोड़कर जा रहें हैं, के बजाय हम इस धरा पर हिंसक और विध्वंसक होते जा रहें है
शिक्षा और सार्वजनिक जीवन से मूल्य समाप्त होना और परिवारों का विघटन इसका एक बड़ा कारण है , आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी आवश्यकताएं सीमित कर वृहद दृष्टि, समझ और कल्याण की बात सोचें, किसी के पिछलग्गू ना बनते हुए अपने लक्ष्य, उद्देश्य और प्राप्ति को पुनः निर्धारित करते हुए जीवन को अपनी बनाई राहों पर चलने का प्रयास करें
यह दर्शन नही बल्कि आज के समय की आवश्यकता है - समझने वालों के लिए है, नासमझों को दूर रहने की हिदायत

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही