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Change in MP Again BJP 10 March 2020

पानी से पानी मिले, मिले कीच से कीच,
ज्ञानी से ज्ञानी मिले, मिले नीच से नीच!

सौजन्य - Girish Malviya


असली समस्या दिग्विजय सिंह है मप्र में
कांग्रेस ,कमलनाथ और सिंधिया में बस घरेलू टाईप के झगड़े है जो छत के नीचे निपट जाते है , पर ये राजा साहब किसी को चैन से रहने दें तब ना - शिवराज और कैलाश विजयवर्गीय से इनकी यारियां जग जाहिर है ही


सोनिया, प्रियंका और राहुल गांधी यदि कांग्रेस छोड़कर राजनीति से कम से कम दस साल के लिए सन्यास ले लें तो फिर कोई संभावना है कि कांग्रेस दस साल बाद रिवाइव कर जाए
दूसरा, कांग्रेस को दलित, आदिवासी और मुसलमानों की सहानुभूति पाने वाली छबि से मुक्त होकर व्यापक देश के मुद्दों पर स्पष्ट बात करना होगी , बेरोजगारी - जाति प्रथा, आरक्षण, धर्म और योजनाओं के प्रशासनिक क्रियान्वयन पर साफ़ सुथरा व्यवहारिक रोड मैप रखना होगा
दलित, आदिवासियों और मुस्लिम नेताओं से परहेज कर मनुष्यों से नाता जोड़े तो बेहतर होगा - अभी सबसे ज्यादा नुकसान इन तीनों किस्म के भ्रष्ट नेताओं ने किया है
रॉबर्ट वाड्रा से लेकर चिदम्बरम जैसे तमाम विवादास्पद लोगों को कानूनी प्रक्रियाओं के तहत फ़ास्ट ट्रेक की अनुमति राष्ट्रपति से लेकर सुप्रीम कोर्ट से त्वरित न्याय करवाना होगा
काँग्रेस और गांधी परिवार में जब तक छत्तीस का [ कम से कम दिखावटी ] आंकड़ा नही दिखेगा तब तक जीर्णोद्धार संभव नही है
मप्र में कांग्रेस को डुबोने में कांग्रेस के अलावा कोई नही था, जिन नये विधायकों को मौका देकर पार्टी ने सोचा था कि वे शिक्षित है उन्होंने सबसे ज्यादा कमलनाथ के गड्ढे खोदे और जवानी और पढ़ाई की हेकड़ी में सरकार डूबो दी, मज़ा तो अब आएगा जब ये नौकरी और धन्धा छोड़कर अपने अपने क्षेत्रों में जो करोड़ों का इन्वेस्टमेंट करके बैठे है - उसका डिसइनवेस्टमेंट करना पड़ेगा तब ससुरों को होश आएगा
खतरा बसपा, निर्दलीय और सपा वालों से नही था, नव निर्वाचित विधायकों के दलालों और एजेंट्स ने, [ जो मूल रूप से संघी थे और कांग्रेस सरकार में भाजपा के गुप्तचर थे ] ने सरकार के समक्ष इनका उपयोग कर अपनी रोटी सेंकी और इन अबोध बच्चो को कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया जो कि शर्मनाक था
अब बजाना घण्टी और फिर बजाना सीटियां - कोई नही सुनेगा याद रखना

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