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Posts of April First Week April 2019

फेसबुक पर 21 से 30 साल तक के जवानों के परिचय में लिखा होता है
Civil Services Aspirant
Home town - some remote village
Current city - Delhi, Allahabad
कल से कोई दिखा नही शेर बहादुर जो कहें कि मेरा चयन हो गया है, ससुरे गायब हो गए सबके सब
काहे गर्दा मचाये रहते हो - घर जाओ मेहनत मजूरी करो, बाप महतारी का हाथ बंटाओ, कुछ नही तो ट्यूशन पढ़ाओ
साले ठलुओं दिल्ली में पड़े रहते हो - पैसा उजाड़ रहें हो, जबरन की भीड़ बढ़ा रहे हो और फेकबुक पर झक मार रहे हो, कविता लिखकर फ्रस्ट्रेट हो गए हो , बकैती के उस्ताद हो गए हो और काले - पीले - नीले- घोड़े - गधे -कुत्ते बिल्ली पढ़ते रहते हो और ऐसे लेखकों का मसाला बन जाते हो
काली गोरी लड़कियों के ख्वाब देखकर और राजपथ पर दो घड़ी उनकी 36 इंची कमर में हाथ डालकर सेल्फी लेना ; खान मार्केट और सरोजिनी मार्केट में उसको शॉपिंग करवाकर बाप का दिया सारा रुपया उजड़ गया, कंगाल हो गए, मेट्रो में उसे घूमाया और खुद दस किलो मीटर पैदल चलकर काया का स्वास्थ्य भी "ख्वाबों में बर्बाद कर दिया" और लड़कियां नौकरी लगते ही उड़ गई - उनकी किताब में तुम सिर्फ मुड़े हुए एक पन्ने हो महज, हार्ड बाऊंड का चमचमाता कव्हर कोई और है जिसकी कीमत पढ़कर तुम्हे दस्त लग जाते है और वो लड़की एक लव का स्माइली देकर निकल लेती है - कमबख्त तुम समझते हो कि वो तुम्हारे अंधेरे कमरे में बने चिकन की तारीफ करते करते तुम्हारी दुल्हन बनेगी, उसके ग़म में वामपंथी बन जाते हो या 377, 497 के पैरवीकार या मीडिया में दलाल बनने के ख्वाब देखते हो
शर्म करो - उम्र बीत रही है , कब तक धक्के खाते रहोगे दिल्ली - इलाहाबाद - जयपुर- इंदौर - भोपाल - कोटा में रहकर , जो चयनित होते है - ना वो कविता लिखते है ना ओपन माईक में जाते है ना फेकबुक पर बकलोली करते है
किताबें पढ़कर और फेकबुक पर बकैती कर कुछ नही होता गुरु, घर जाओ माँ बाप इंतज़ार कर रहें है , अपना गांव ,कस्बा ,जिला या देहात तुम्हारा इंतज़ार कर रहा है - ये दिल्ली बड़े बड़ों को लील गई है तुम तो दो कौड़ी के सेकेंड क्लास या थर्ड क्लास ग्रेज्युएट या हिंदी , समाजशास्त्र या राजनीति के घटिया विद्यार्थी हो समझे और इतिहास नृतत्व शास्त्र छह माह में पढ़कर घण्टा नही उखाड़ लोगे
यह भी जान लो कि हिंदी मीडियम की नाजायज औलादों की इस देश में इज्जत एक चवन्नी बराबर नही और फिर आई आई टी से निकले घसियारे नही पास होंगे तो सड़े खाद स्कूलों से निकले और नक़ल कर रोते झिकते पास हुए तुम ग्रेस मार्क्स वाले अफसर बनोगे - बहुत सीधे हो या पैदा होते ही गोबर खाने लगे थे
घर जाओ - घर , और किराने की गुमटी खोलो, अंडे की दुकान लगाओ, ट्यूशन पढ़ाओ और नही तो खेत मे उतरो पाजामा पहनकर मिट्टी राँधौ और फसल उगाओ कसम से जब दस का नोट हाथ में आएगा ना पसीने से गमकता तो जिंदगी बन जाएगी, एक बार पटवारी या बहु उद्देशीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता की या आशा , एएनएम की परीक्षा ही दे दो या राशन की दुकान ही जुगाड़ लो बड़े पंडित हो गए हो ना - चार किताबें पढ़कर
अपने बाप माँ को मरने के लिए अकेला मत छोड़ो कम्बख्तों लौट आओ , घर लौट जाओ
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"रामनारायण बाजा बजाता" कहानी सम्भवतः 1994 से पूरी करने की कोशिश की पर पूरी ही नही होती , यह मेरी काहिली कह लीजिये या कुछ लोगों के प्रति सम्मान और लिहाज़ पर मैं निराश नही हूँ अब
40 पेज हो चुके हैं और अब शायद मज़ेदार परिस्थितियां उत्पन्न हुई है और कई सारे घटनाक्रम नजरों के सामने है - समाज से लेकर शिक्षा, ब्यूरोक्रेट्स, नवाचारी, व्याभिचारी, गायक - गायिकाएं और कई सारे सुप्तावस्था में बैठें लोग जाग गए है, शहर बदल गया है और उस समय के जवान अब सेटल हो गए है इसी शहर में कुछ चोर मक्कार निपट गये है और श्मशान से लेकर कब्रगाह में जागकर शहर को बददुआएं दे रहें हैं
आसमान से वरदान और श्राप टपकते है और इस मीठे तालाब से लेकर लैंडे तालाब तक फैले शहर में अरकटी, परकटी काली गोरी मेमों से लेकर कई लोग आकर डोसा भकोस कर निकल गए है
कुत्तों बिल्लों और सियारों के शहर में अचानक कुछ ऐसा हुआ है जो इस शहर को बवासीर और गुप्त रोगों से निकालकर खालिस मर्द बनाने के नुस्खों के कारखानों में तब्दील करेगा और जरूरत से ज्यादा शुक्राणु लिए अब यहां वीर्यबैंक स्थापित होंगे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक क्रांति के
अब कहानी पूरी करूँगा जल्दी ही , क्योकि अब मैदान में जबरजस्त ट्विस्ट आया है - रामनारायण के साथ दूसरा चरित्र भी एकाएक बहुत बढ़िया तरीके से प्रवेश कर गया है
बहुत उत्साहित हूं देखने, सुनने, सुनाने और लिखने को बेताब हूँ - बस हाथ और हड्डियां सुरक्षित रहें
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ये वही कल्याण सिंह जो 6 दिसम्बर 1992 को उप्र में मुख्य मंत्री थे
जब ढांचा गिरा तो एक पत्रकार ने पूछा था तो ये बोले थे " मैं सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले और कंटेम्प्ट मानूँ या राम लला के मंदिर की फिक्र करूँ "
मेरी निगाह में राज्यपाल मात्र केंद्र के एजेंट है और इनके दफ्तरों से लेकर इनको और इनके दलालों को पालने पोसने में बहुत खर्च होता है, बेहतर है यह पद समाप्त कर दिया जाये
जनता की मेहनत का रुपया सफ़ेद हाथियों को पालने में लगाना कौनसी बुद्धिमता है
ख़ैर, चेहरे उघड़ते जा रहें हैं, विधान सभा में मप्र की राज्यपाल ने भी कोई कम कसर नही छोड़ी थी
धन, बल, पदों का दुरुपयोग और हर स्तर पर जाकर कुछ भी करेगा - सत्ता के लिए हर कोई कुछ भी करेगा -केरल भी जाएगा अंडमान भी , फेंकेगा भी और फर्जीवाड़ा भी करेगा
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हमारी हिंदी का कवि इत्ता आत्ममुग्ध है कि अपने बेचारे मोदी जी शर्मा जाएं , कसम से एक से एक माल पेलेगा, एक से एक विचार ले आएगा, एक से एक कबाड़ परोस देगा और घटती लोकप्रियता या नये जुगाड़ के लिए मरे खपे की प्रशस्तियाँ लाकर धप्प से रख देगा कि लो कम्बख्तों , अब रिटायर्ड होने वाला हूँ फिर भी देखो कितना महान और प्रासंगिक हूँ मैं अभी भी
बल्कि वो स्त्रैण बनकर साड़ी पहनकर नाच भी सकेगा और मस्त गायेगा ताली पीटते हुए
शीला की जवानी .........
ये फेक बुक नी होता तो कसम से तड़फा तड़फा कर बीबी या घर वाले ही मार डालते ससुरे को
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ग़ज़ब का झटका लगा है निभाएंगे हम
ससुरे कल से बिलबिला रहें हैं कमबख्त अभी भी सेना का पल्लू पकड़कर रो रहें है
भाषा का मखौल देखिये बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे बुलंद करते है उसे समझना हो तो इनके 56 इंची की भाषा देखिये आज बंगाल की शेरनी को स्पीड ब्रेकर कह डाला पर वो भी कम नही उसने भी जीते जी श्राद्ध कर डाला बोली एक्सपाईरी प्रधान
सबमें मज़ा तो है पर ये ही सारे चोर 23 मई के बाद गलबहियाँ करेंगे और लोकसभा के चरण चूमेंगे तब हम आप फिर लुटा पीटा महसूस करेंगे और हम तो यारी दोस्ती रिश्तें गंवा बैठेंगे पर ये चोट्टे एक हो जाएंगे
ख़ैर मजे लीजिए देश भर में टैक्स फ्री बल्कि विशुद्ध फ्री मोदी से लेकर राहुल ममता माया अखिलेश से लेकर सारे जोकर इस समय मैदान में है इनके अलावा एंकर, स्ट्रिंगर्स, मीडिया दलाल भी राज्यों के दूरदराज के इलाकों में पहुंच गए है पाँच साला वसूली करने और भकोसने को
दिल्ली में मनोरंजन से लेकर रजत, सुधीर अर्नब और अंजना से लेकर रुबीना तक की फौज पगला रही है अपने अपने आकाओं और कुलदेवताओं को महान सिद्ध करने में
सबसे बड़े मनोरंजन दो ही है - एक महामना और दूसरा ☺️☺️☺️
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कुछ लोग है जो इस समय बेहद डरे हुए दिखाई दे रहें है और शान्त है , कुछ नही लिख रहे - जनता समझ रही कि सच में बुद्धिजीवी है और राजनीति की गंदगी में नही पड़ना चाहते है
मैंने तलाशा अपने आसपास तो 7 प्रकार के लोग दिखें - आप इसमें जोड़ेंगे तो और रँगे सियार सामने आयेंगें
1 - बरसों से एक ही स्कूल, कॉलेज , दफ्तरों में जमे बैठे है किसी अंगद की तरह , ना काम करते है ना पढ़ाते लिखाते है और ना कुछ भी ढेला सरकाते है कुल मिलाकर भयानक मक्कार और हरामखोर है , ज्ञान के केंद्र विश्विद्यालय भी एकदम निठल्ले और नीच हो गए है , सबसे पहले समाज को यहां घुसकर इन भ्रष्ट आततायियों को नँगाकर हकालना चाहिए या कॉलर पकड़कर पूछना चाहिए कि अब बोलो तुम क्या करोगे
2 - मोहल्लें में ढ़ेर सारी जमीन पर अतिक्रमण कर बैठे है, बगैर इजाजत के चार पांच मंजिल मकान बना बैठे है शेरू , भुरू, कालू ,लालू ,टॉमी, चेरी ,अनिता ,सुनीता सबसे दोस्ती है - कांग्रेस हो या भाजपा सब को चाय से लेकर भाँग पिलाते है और खी खी दाँत निपोरते है
3 - आंगनवाड़ी से लेकर अफसरों के घरों में दलिया दारू सप्लाय करने का धंधा है तो क्यों दुश्मनी मोल लें, कुछ तो लड़कियां भी सप्लाय कर रहे है क्या करें इनका जो सफेदपोश है भेड़िए दलाल कही के
4 - एनजीओ की दुकान है अभी किया हुआ एक कमेंट भारी पड़ेगा आने वाले देशी - विदेशी फंड्स, तगड़ी मलाई वाली फेलोशिप और अनुदान पर भारी पडेगा, फिर ब्राजील से लेकर ट्रम्प के देश की यात्रा भी खत्म समझो, बाहर अफ्रीका में जाकर संडास करके आने वाली बहनें पूरे समय क्रांति करेंगी पर अभी चुप है - वही अफ्रीका के कमोड में जाने की सुविधा अनुदान के रुपयों से बन्द हो जाएगी
5 - कवि, कहानीकार , आलोचक या लेखक है तो लेखन में क्रांति दिखेगी, कामरेडी मिजाज़ के साथ सबको ज्ञान बाटेंगें पर इस समय गोदड़ी ओढ़कर सोये है - भरी गर्मी में कि एक शब्द शहद और मलाई से दूर कर देगा , उस पर सरकारी नौकरी बजाने वाले महान ठलुए लेखन में खूब व्यवस्था को गरियाएँगे पर मजाल कि कम्फर्ट ज़ोन बिगड़े और कमीशन का हिस्सा कही और जाएँ, कमसिन महिलाओं और अधेड़ उम्र की लेखिकाओं के सड़ियल लेखन को दिन रात बैठकर टाईप भी करेंगें और पत्रिकाओं में छपवा भी देंगे पर सामाजिक हालत से आँख मिलाने की औकात नही क्योकि इससे उनकी बाड़ी में प्रेम नही उपजेगा ना
6 - व्यापारी है तो देवी भी पूजेंगे और भेरू भी, रामदेव का ओटला भी और काल भैरवों को दारू भी चढ़ा कर आएंगे - क्योकि मिलावट से लेकर गेहूं के दानों में कंकड़ पत्थर तो मिलाना ही है
7 - और अंत में दो कौड़ी का मीडिया जिसके साथ भरी सड़क पर कोई भी निपटाकर , बलात्कार कर शान से अपने सीने पर तमगे गांठकर जा सकता है - इनकी तो बात करना, सुनना और समझाना ही बेकार है, पोर्टल में नेता के श्राद्ध का विज्ञापन मिल जाएं या एक पव्वा काफी है बाकी तो इनको पूछता कौन है - कैमरा टाँगकर, एम जे की डिग्री लेकर घूमने वाले चुतियाओं की कमी नही इन दिनों
लब्बो लुबाब यह है कि हम रीढ़ विहीन तंत्र में रहते है और जो लोग कह रहे है कि हमने तीन माह राजनैतिक लिखने वालों को अनफॉलो कर दिया है - वे सबसे बड़ी नपुंसक राजनीति कर रहें है - अरे मूर्ख हरामखोरों , गंवारों - जिस तंत्र में सारे निर्णय राजनीति से तय होते है वहां तुम निरपेक्ष या तटस्थ बनकर सबसे बड़े दोगले बन गए हो तुम इन राजनेताओं से ज्यादा घटिया और मक्कार हो
देश को राजनेताओं से नही तुम जैसे अध्यापक, प्राध्यापक, डाक्टर, वकील, इंजीनियर, एनजीओ कर्मी, मीडिया, लेखक और व्यापारियों से खतरा है - तुमसे तो किन्नर ज्यादा बेहतर है जो नॉन प्रोडक्टिव होते हुए भी समाज में अपनी स्पष्ट विचारधारा और प्रतिबद्धता के साथ आये है सामने और चुनाव लड़ भी रहें है
तुम्हारी दलाली, अनुदान की भूख, वीज़ा प्रमाणपत्र और कमीशन की हवस ने ही देश बर्बाद किया है - ब्यूरोक्रेट्स तो होते ही गिरगिट है पर तुम तो सांप हो दूध पीकर जहर ही बढ़ता है तुम्हारा - तुम लोगों को ना लिखने पढ़ने - पढ़ाने का हक़ है ना समाज मे खादी के झब्बे पहनकर दुनिया भर में देश की गरीबी, महिला मुद्दें, शिक्षा, स्वास्थ्य और विकास के आंकड़े बेचने का अधिकार है
शर्म आती है कि तुम सब संगठित होकर इस समय बिलों में छुपे हो और 23 मई के बाद छाती पीटते हुए फिर अगले पांच साल का दाना पानी जुगाड़ोगे
धिक्कार है तुम्हारे होने और नामर्दानगी पर - किसी का भी समर्थन करो पर अपनी असलियत दिखाते सामने तो आओ
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मोदी ने ना मात्र देश बर्बाद किया बल्कि जेटली जैसे वकीलों की मेधा को भी बर्बाद कर सरेआम गधे से बदतर कर दिया
देशद्रोही कानून से लेकर 295 A तक के कानून सिवाय देश के लोगों को परेशान करने के अलावा कुछ नही, इसे हटाना ही चाहिए
शिक्षा में 6 % निश्चित ही स्वागतयोग्य है पर मोदी से लेकर स्मृति तक के बारहवीं पास कुपढ़ क्या समझेंगे, इनको तो एक कन्हैया अर्नब और शेहला राशिद ने शिक्षा का अर्थ बता दिया
आज का घोषणापत्र भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है कोई भी हारे जीतें पर अनपढ़, कुपढ़ और जेटली जैसे अति शिक्षित मूर्खों के लिए एक करारा जवाब है और जिस अंदाज में सारे के सारे बिलबिला रहें है वह स्वागत योग्य है
72000 से लेकर आज का घोषणापत्र सारी फर्जीकल स्ट्राइक, अंतरिक्ष की बेवकूफियां और देश को बरगलाने के हवाई किस्सों से तो सौ गुना आशावादी है और सम्भव है
मोदी है तो इससे ज्यादा ध्वंस मुमकिन है , अभी भी समय है कि संघ इन दो लोगों पर लगाम लगाएं वरना देश मे भाजपा का नाम मिट जाएगा
कल वर्धा में जिस घटिया तरीके से भाषण हुआ वह पतन और मानसिक दिवालियेपन की इंतेहा है, सब जानते है कि आजादी के पहले से सम्प्रदायवाद कौन फैला रहा है और हिन्दू मुस्लिम की लड़ाई की मूल जड़ कहां है
भाजपा ने 5 सालों में दो लोगों पर भरोसा कर एक बड़ा साम्राज्य खो दिया है यह संघी भी समझ रहें है पर नमक खाकर बैठे है ना तो बवासीर के बारे में बोलेंगे थोड़े ही
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एक बात की तारीफ़ करना पड़ेगी बन्दे में आत्म विश्वास, फेंकूपन, वाकपटुता और उल्टे पुल्टे जवाब देने की क्षमता अप्रतिम और अदभुत है
मैं भी चौकीदार कार्यक्रम बहुत बड़े स्तर पर बड़ी सूझ बूझ से प्रायोजित किया गया अनूठा कार्यक्रम है, अमित शाह और मोदी की जोड़ी ने चुनाव और लोकतंत्र का मखौल उड़ाते हुए भाषा की मर्यादाएं तोड़कर संविधानिक अभिव्यक्ति का जो दुरुपयोग किया वह ऐतिहासिक है, यह कार्यक्रम मुझे अमेरिकन राष्ट्रपतिय बहस की याद दिलाता है पर क्या चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान नही लेना चाहिए
बस कोई और इनपर ना सवाल उठाए और इनके ख़िलाफ़ लिखें - यदि कोई बोलें और लिखें या सवाल करें तो लोया नामक हल हर पल हाजिर है
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वैज्ञानिक ने बताया कि कैसे हुआ मिशन शक्ति पूर्ण और क्या टेक्नॉलॉजी इस्तेमाल हुई
मतलब ग़जब की बकैती चल रही है , जनता से लेकर माईक तक मुखौटों की दुनिया है
एक फर्जी वाल्मीकि समाज का आगरा नगर निगम ने कार्यरत कर्मचारी जिस तरह का सवाल पूछ रहा है बल्कि सवाल है ही नही - उसने कहा कि कांग्रेस झूठ बोल रही हैं, क्या एक सरकारी कर्मचारी को सवाल पूछने की इजाज़त है और क्या प्रधानमंत्री को इस तरह से मुखौटे लगे सरकारी कर्मचारियों को सम्बोधित करने का अधिकार है
#भारतनिर्वाचनआयोग इस पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही करेगा ?
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