कल देवास के सांसद चुनाव को लेकर एक पोस्ट लिखी थी
एक भक्त का अभी फोन आया बोला " आप सरकार के खिलाफ लिखते हो, माना कि आप हिंदी भाषा के बहुत बड़े गणितज्ञ हो, पर ऐसा मत लिखा करो "
मैं हैरान हो गया , क्या गजब की समझ है भक्तों की
मित्रों , देवासियों - भोपाल चौराहे से बीएनपी जाने वाली सड़क पर एक बार चलकर देख लो , 26 साल से सड़क नही बनी, इसी रोड पर नगर निगम के सभापति का घर देख लो किसका विकास हुआ , महापौर जी का स्कूल, गार्डन, बंधन बैंक की बिल्डिंग का विकास देख लो और शहर की सड़कें देख लो, पूरा शहर खोद कर ठेकेदार भाग गया सबने कमीशन डकार लिया - अधिकारी तो निकल लिए , नेता यही रह गए खालिस नेता
पार्षद से लेकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति तक तुम्हारा था 10- 15 साल से , क्या विकास किया जरा बता दो शहर का - बात करते है विकास की
भाषा के गणितज्ञ कहते हो - जरा अपनी भाषाई समझ ही देख लो ज्ञान के अड्डों से निकले चूजों - इसी समझ से जगसिरमौर बनाओगे भारत को , हिन्दुराष्ट्र भी
अबे क, ख, ग, घ तो सीख लो
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देवास शहर में 1970 से बैंक नोट मुद्रणालय की शुरुवात के साथ जो औद्योगिकीकरण हुआ था आज वह दम तोड़ गया
नोटबन्दी, जी एस टी और शिवराज सरकार के कुप्रबंधन के कारण 3000 से ज्यादा इकाईयां बन्द हो गई पिछले 5 वर्षों में और तो और टाटा इंटरनेशनल और इसकी 3 महत्वपूर्ण जैसी इकाईयां बन्द हुई, गत 5 वर्षों में, रैनबैक्सी जैसी बड़ी इकाईयां बिक गई, न्यू प्रिशिजन बर्बाद हुआ, गाजरा ग्रुप की अधिकांश इकाइयाँ खत्म हो गई बाकी छोटे उद्योगों की मजाल कहां कि वे देश प्रेम में जिंदा रह पाते
भयानक बेरोजगारी और आर्थिक संकट से जूझते लोग जिसमे देश भर की जनसँख्या यहां आकर बस गई थी आज दो रोटी के लिए तरस रही है, पूर्व भाजपा के विधायक सिर्फ नगर निगम इंदौर से पानी खरीदकर नर्मदा सप्लाय का श्रेय लेते रहें बाकी उन्होंने क्या किया यह सबको ज्ञात है, भाजपा के थावरचंद गहलोत से लेकर मनोहर ऊंटवाल ने सांसद बनकर भी यहां कुछ नही किया, नगर निगम में भाजपा काबिज रही, जिला पंचायत में भी पर शहर और गांवों की स्थिति बदहाल ही हुई है , थावरचंद जी यह बता दें कि इस अजा सीट पर इतने साल रहकर दलितों का क्या ठोस काम या भला किया तो कुछ बात बनें - अपनी एक उपलब्धि बता दें या बाद के सांसद ने अपने पुत्र को विधायक बना दिया सोनकच्छ में बाकी काम या देवास का क्या भला किया
ऐसे में अब जो उम्मीदवार भाजपा ने पोज़ किया है वह निश्चित ही योग्य, युवा, गरीबी की समझ रखने वाला और पढ़ा लिखा है स्वागत किया ही जाना चाहिए पर उनका ओपनिंग स्टेटमेंट था कि "दस साल न्यायपालिका में रहकर दम घुट रहा था" भला बताईये कि यह क्या बात है, शहर में कोई हलचल नही ना ही मोदी लहर है - कुछ लोग प्रज्ञा ठाकुर या बाकी बाहरी मुद्दों की ठेकेदारी करके जबरन माहौल बिगाड़ने का काम कर रहें पर लोग शालीनता से सब सुन रहें है और रिस्पांड नही कर रहें, वे सब समझ रहें है कि कौन क्या और कितने पानी में हैं
दूसरी ओर कांग्रेस के उम्मीदवार भी बाहरी ही है जिला सीमांकन की दृष्टि से पर वे बेहतर इंसान, समझदार और व्यापक दृष्टि और विश्व की बड़ी समझ रखते है वे धर्म को बड़े स्वरूप में ना मात्र जानते समझते है बल्कि समाज मे पिछले 30 - 40 वर्षों से दलित और सवर्ण समाज मे बेहतर मनुष्य बनाने और उच्च कोटि के मूल्यों को ठेठ गांव देहात से अमेरिका और दुनिया के वृहत्तर देशों में फैलाने का महत्वपूर्ण कार्य कर रहें है
इसलिए मेरा मानना है कि यहां पार्टी से परे जाकर और देश प्रेम जैसे फर्जी नारों और निहायत फिजूल खर्च और सिर्फ प्रचार प्रसार कर बदतमीजी, गाली गलौज और दूसरों को सिर्फ बदनाम करने की हेय मानसिकता से मोदी एंड पार्टी जो काम कर रही है , उसके ठोस और श्रेष्ठ विकल्प के रूप में देवास के लोगों को इस सज्जन व्यक्ति को ही चुनना चाहिए
कांग्रेस का मैं प्रखर विरोधी रहा हूँ पर यहां दो सज्जन व्यक्तियों की तुलना कर अपना पक्ष रख रहा हूँ, यह पहली बार ही संयोग बना है कि देवास से दो शिक्षित और सुयोग्य व्यक्ति, वो भी आरक्षित सीट से, मैदान में है इसलिए बजाय मोदी के चमकीले भाषण और फर्जी वादों के स्थानीय मुद्दों, बेरोजगारी और मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अब एक अनुभवी व्यक्ति को मौका दें
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कन्हैया को जीतना ही होगा और फिर इन तीन चार अलित दलित और कुंठित बुद्धिजीवियों की हालत देखेंगे जो सारे के सारे जबरन रायता फैला रहें हैं, इनकी जलन यह है कि ये अपने आका दिलीप मण्डल के द्वार से भी हकाल दिए गए है - ना अक्ल है ना समझ बस कुंठा और जलन के मारे जातीय विद्वैष में आकर ये आग उगल रहें है जे एन यू ना जा पाने का ( आरक्षण के बावजूद भी ) मलाल हताशा में बदल गया है और ये मारे दुख संताप और अवसाद में होश खो बैठे है
कन्हैया जीत गया तो ये आत्महत्या कर लेंगे देख लीजिएगा और नही तो जनता इन्हें मारेगी चौराहे पर मिर्च की धूनी देकर उल्टा लटकाकर और नंगाकरके
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टीवी नही देख पा रहा हूँ पर जो भी यहां वहां देखा उससे यही समझ आया कि दो कौड़ी के आदमी को देश ने गलत जगह बैठा दिया
वस्तुतः कुछ भी नही एक घटिया सी भाषा, नाटक और दिमाग में गालियों के अलावा कुछ नही
ऊपर से रही सही कसर एक जमात ने अपनी कुसंगति, कुटैव और नीच संस्कारों की वजह से अपढ़ कुपढ को आसमान चढ़ा दिया
एक अक्षय कुमार और एक विशुद्ध दलाल सुधीर इस देश का नरेटिव्ह लिख रहे है यह औकात है तुम्हारी देश वासियों और निहायत नाटकबाज लोग लोकतंत्र का खुले आम मज़ाक उड़ाते हुए तुम सबकी शिक्षा दीक्षा की वाट लगा रहे है
हमारे बुद्धिजीवी प्राध्यापक, डाक्टर, वकील, इंजीनियर अपने होश खोकर इस चूतियापे में शामिल होकर एक निम्न स्तर की मानसिकता और कार्पोरेट्स की कठपुतली को अक्ल गिरवी रखकर समर्थन दे रहें है
तुम लोगों को शर्म भी नही आती और अपनी औलादों की चिंता भी नही - गला घोंट दो उनका और डूब मरो कही जाकर , मैं अक्षय और सुधीर का सामाजिक बहिष्कार करता हूँ और देश में इस तरह की सभी घटनाओं, भाषणों और नीच हरकतों का विरोध करता हूँ वो फिर कोई भी पार्टी हो या व्यक्ति
आइये और भुगते अगले कुछ और हसीन पल
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जिस शहर में वीर शहीद हेमू कालानी , "सिंधी वीर हेमू कालानी" हो जाएं उसका क्या कहना
विश्लेषण जारी है और नतीजा यह है कि इतने सिंधी वोट, हिन्दू इतने, मराठी इतने और फलां ढिकाना इतने - जीत पक्की !
[ इंदौर में हेमू कालानी की प्रतिमा पर लिखा है "सिंधी" - कोई दिक्कत नही है जी, बस भाजपा और संघ समता, और जातिवाद मिटाने की बड़ी बात करते है और यह पोज भी किया गया इंदौर में पहले मराठी अस्मिता और अब सिंधी अस्मिता ]
72 वर्षों बाद जाति सम्प्रदाय और संविधान के परिपेक्ष्य में यह सब देखना समझना चाहिये
हम लोग जो यहां आरक्षण से लेकर भेदभाव पर ज्ञान बांटते है, कन्हैया को लेकर जो कुछ लोग विष वमन कुंठा में कर रहे हैं उनसे पूछ रहा हूँ कि अब बोलो दम हो तो नही तो उखाड़ लो जो बनें इनका
बहुत ज्ञान , पद और प्रशासनिक अधिकारी से लेकर मीडिया या बुद्धिजीवी होने का गर्व है ना - दो कौड़ी की औकात नही बची
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