Skip to main content

Subah Sawere 6 August 2018 & Friendship 5 Aug 2018




Subah Sawere 6 August 2018

clip


मित्रों को मित्रता दिवस की बधाईयाँ
लड़ाई झगड़े, प्यार मुहब्बत बनी रहें
मतभेद हो , मनभेद ना हो
गलतियां करता हूँ और झगड़ता भी हूँ पर अपने लोगों से ही राह चलते किसी अनजान से नही , तर्क कुतर्क करता हूँ इसलिए कि आपसे ही सीखूँगा और अपने मे सुधार करूँगा
उम्र के ऐसे दौर में हूँ जहाँ आसानी से बहुत बातें मन मानता नही - जिद्दी अड़ियल हो जाता हूँ पर ये नख़रे अपने और अपनों के सामने ही होते है ना इसलिए कि सब लोग थाम लेंगे
I never loose certainty because I know in the back ground there are arms open to receive me and the arms are of you all.
Stay blessed and keep smiling , let's make the world a better place with affection, love and solidarity
आमीन

अक्सर किसी का परिचय देते हुए कहता हूँ यदि कोई साथ हो और कोई अन्य पुरुष पूछ लें कि ये कौन तो-
* परिचित है पुराना या नया
* प्रसिद्ध कवि, कहानीकार, आलोचक है
* मास्टर, डाक्टर, वकील, प्रोफेशनल या एनजीओ कर्मी है
* पत्रकार है , दलाल है, अधिकारी है या ब्रोकर है
* भाई है , रिश्तेदार है या मुहल्ले वाला है
* साथ पढ़ा है या चाकरी साथ करता था
* चोर है, लफ़्फ़ाज़ी करता है, कॉपी पेस्ट एक्सपर्ट है
* आत्म मुग्ध है, बुद्धिजीवी है या बड़े पद पर है कहीं
*आत्मग्लानि या अपराध बोध का शिकार है
*महत्वकांक्षी या काँधे पर चढ़ कान में ... वाला है
आज तक बहुत ही कम लोगों के बारे में कहा कि
" मेरा दोस्त है " और ये ही मेरी निज कमाई और उपलब्धि है कम्बख़्त
[ बस जीवन मे लोगों को बहुत बारीकी से पकड़ना और पहचानने का हुनर सीखा है और इसे गंवाना नही चाहता ]

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी वह तुमने बहुत ही