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बिहार से आगे बढ़े - एक कदम 4 Aug 2018



बिहार से आगे बढ़े - एक कदम 
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बिहार की घटना पर सवाल यह भी कि माननीय हाई कोर्ट पटना और सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर नीतीश बाबू को बर्खास्त क्यों नही किया

यह बहुत बड़ी लापरवाही है और गम्भीर चूक
इस बहाने देश भर के इस तरह के सुधार सह संरक्षण गृहों के वास्तविक हालात सामने आ जाते
टाटा सामाजिक संस्थान देश मे एक ही है और पटना में उनका एक केंद्र भी है पर देश के बाकी राज्यों में गाहे बगाहे ऐसी घटनाएं सामने आती रहती है तो अब यह गम्भीरता से सोचना चाहिए कि क्यों ना एक बार देश भर की सभी एनजीओ की नब्ज टटोल ली जाए , समाज कल्याण बोर्ड के माध्यम से चल रहे सभी सुधार गृहों का जायजा ले लिया जाये और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हर राज्य में होंगे ही तो उनकी अगुवाई और प्रतिष्ठित महिला कार्यकर्ता, विश्व विद्यालयों के महिला अध्ययन और जेंडर स्ट्डीज के प्राध्यापक युवा छात्र मिलकर यह महती कार्य करें
इसके अलावा हर राज्य में सामाजिक अध्ययन का एक ना एक संस्थान है ही जैसे मप्र की बात करें तो उज्जैन में सामाजिक शोध संस्थान, महू में डाक्टर अम्बेडकर राष्ट्रीय विवि, भोपाल में बरकतुल्लाह विवि में महिला अध्ययन केंद्र है जो विशुद्ध सरकारी है और वहां गम्भीर समझ वाले और विशद दृष्टि वाले लोग है - यह कार्य शीघ्र होना चाहिये
मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज जी यह स्वतः संज्ञान लेकर पहल करें तो अन्य राज्यों के लिए यह फैसला एक नजीर साबित हो सकता है , इसमें किसी को डरने की जरूरत नही है इस बहाने से बेटियों की सुरक्षा और चौकसी, उनके खाने पीने और पढ़ाई से लेकर सामाजिक विकास का एक तरह से अंकेक्षण हो जाएगा
साथ ही अनुदान पर पल रही संस्थाओं के क्रिया कलापों में भी पारदर्शिता क्या और कितनी है का पता चल जाएगा , बस यह ध्यान रखना होगा कि राजनैतिक स्वार्थ और चुनावी हित आड़े ना आये अन्यथा सबको नुकसान हो सकता है
मुझे लगता है कि मप्र में भी यह होता है और आये दिन मैं दबी छुपी आवाज में बड़ी बड़ी संस्थानों से लेकर आदिम जाति कल्याण विभाग के हॉस्टलों के किस्से सुनता रहता हूँ , मप्र और छग के होस्टलों में ये सब हुआ है और उस पर क्या कार्यवाही हुई वह अभी तक सामने नही आया है , अस्तु यह आवश्यक है कि यह कार्यवाही तुरंत की जाएं
क्या मप्र मानव अधिकार आयोग, राज्य महिला आयोग, मप्र राज्य बाल आयोग इस दिशा में पहल करेगा
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* SC ST एक्ट में सुधार- भाजपा
* शाहबानो प्रकरण के बाद एक्ट में सुधार - काँग्रेस
यार ये सफेद हाथी जो कोर्ट कचहरी के नाम पर पलते है और चवन्नी अठन्नी का धंधा करने वाले वकील घूमते है - इनकी जरूरत क्या है फिर
देश मे जब सब कुछ निकम्मों, गधों और अपढ़, कुपढ़ नेताओं को करना ही है एक्ट बनाकर तो सब बन्द कर दो
तुष्टिकरण कांग्रेस भी करती थी जिसमे जैलसिंह जैसे आठवी पास थे - यहां भी पार्टी विथ डिफरेन्स वाले है जो चुनाव में अपना जनाधार खिसकता देख दलितों को पहले पीटते है, भेदभाव करते है और फिर एक्ट बनाकर वोट की राजनीति करते है और इनके पास तो डिग्री भी नही चौथी फेल की
इन्हें क्या लग रहा है यह सब करके ये दिल जीतेंगे , चन्द्रशेखर से लेकर प्रो साईबाबा को गिरफ्तार कर रखा है और ऊना से लेकर देश के कोने कोने में सरकारी तौर पर विशुद्ध जातीय भेदभाव और दंगे कराने में माहिर उस्तादों के उस्ताद बैठे है
ये जजमेंट के खिलाफ एक्ट लाकर कानून बदलने की दुष्प्रवृत्ति बहुत घातक है चाहे कोई भी मुद्दा हो - प्रमोशन , छुआछूत, तलाक या कल मंदिर मस्जिद का होगा - सिवाय घटिया और ओछी मानसिकता के यह कुछ नही
देश मे पहले ही जजों की कमी है , करोड़ों मुकदमे लंबित है ऐसे में आप किसी की मेधा और योग्यता पर शक कर महज वोट पाने के लिए उनके निर्णय देश उर्फ स्वार्थ या पार्टी हित मे बदलेंगे तो कौन आएगा ज्यूडिशियरी में , जैसे फौज में अफसर नही आ रहे वैसे आप भी रोते रहेंगे, आपको तो निकाल देगी जनता 5 साल में पर जो गोबर करके जाएंगे उसे कौन ढोएगा जनाब
कभी देश हित मे दीर्घकालीन भी सोचा करिये , नेहरू और मनमोहन को गाली देने से ही राजनीति नही होती, उतनी पढ़ाई और अक्ल भी चाहिए जिसकी इस समय सबसे ज़्यादा जरूरत है तुम लोगों को
ठगाचार्य काने देव का च्यवन प्राश क्यों नही खाते बै
[ दलितों के मसीहा पहले पढ़ लें फिर यहां आए और सन्दर्भ समझ ना आये तो कमेंट ना करें , जब देश ही नही रहेगा तो क्या कर लोगे - ये लोग नाटक कर रहे यह समझ विकसित करो पहले ]

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एक केजरीवाल है जिसने दिल्ली में बिजली कंपनी को टाईट करके लोगों को महंगे बिलों से मुक्ति दिलवाई
और एक हमारे मप्र में शिवराज जी है " मामा " जिन्होंने वोट के चक्कर में तथाकथित गरीबों के जिनके घरों में ट्रेक्टर और अकूत संपत्ति है - के चार चार लाख के बिजली के बिल माफ़ करके जो ईमानदारी से बिल भरते है उन पर दस गुना बिल का बोझा लाद दिया वह ले डूबेगा याद रखना शिवराज जी
कितना दीवालियापन है राज्य सरकार में और इन्हें कौन सुझाव देता है उनकी समझ पर तरस आता है , भाजपा को लगता है कि गरीबों को बिल माफ़ करने से वोट मिलेगा तो मुगालते है , जो ईमानदारी से दस गुना ज्यादा बिल भर रहे है और 7. 70 पैसा प्रति यूनिट बिल भर रहे है वे गोबर खाते है और सारी अक्ल का ठेका आपने ही ले रखा है तो अपने जाले साफ़ कर लें सरकार चुनाव दूर नही है
जब नाश मनुज पर छाता है तो विवेक सबसे पहले नष्ट हो जाता है सुन रहे है ना महोदय

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