Naiduniya 01 April 2018
आज का दिन मुर्ख दिवस से मंसूब है ,लेकिन आज के ज़माने,इस दौर में नीति और न्याय की बात करने वाला भी मूर्खों की श्रेणी में आता है,तो आज का दिन हम सब के लिए शायद अपने आप को समर्पित करने वाला दिन है | बड़े भाई संदीप नायक समय समय पर अपनी पोस्ट के साथ साथ देश के कई हिस्सों और सुदूर (कु)शासन से छिटके क्षेत्रों में अपने गमनागमन से स्वयं और चाहने वालों को मुतहर्रिक /आंदोलित करते रहते हैं | उनकी चिंताएं किसी भी समझने वालों की चिंताएं हैं ,जिनमें मुख्यतः शिक्षा ,स्वास्थ्य , युवा शक्ति ,बाल-महिला विकास और उनकी समस्याओं पर ध्यान केंद्रित रहता है ,संगीत नाटक लेखन की सभी विधाओं समेत उनकी कविताएं भी स्ट्रांग एक्शन मांगती हैं ,,,,आज तरंग में प्रकाशित उनकी कविता भी अपने प्रतीकों समेत सभ्य समाज के चलन के अनुरूप क़ालीन के नीचे झड़ गयी धूळ की तरह न दिखते हुए भी पूरे सत्य से साक्षात्कार कराती है ,जिसे कभी कभी झटकने से छींक पूरे समाज के सर को आमूल-चूल हिलानें का माद्दा रखती हैं ...आप भी पढ़ें
Javed Khan on Face Book 01 April 2018
वृद्धाश्रम से बनते घर
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अपने सुख दुख और शहर के बजाय
चर्चा में शामिल है उनकी जीवन के अहम प्रश्न
वाकड़ से कोरेगांव की दूरी
ठाणे से बोरीवली की बस के फेरे
गुड़गांव के सेक्टर 25 में सब्जियों के भाव
दिल्ली की रोहिणी में दो बेडरूम वाले कमरे
बेंगलोर में टी नगर की महकती कॉफ़ी
रेल के टिकिट, रेड बस के एप, जेट इंडिगो
चर्चा में शामिल है उनकी जीवन के अहम प्रश्न
वाकड़ से कोरेगांव की दूरी
ठाणे से बोरीवली की बस के फेरे
गुड़गांव के सेक्टर 25 में सब्जियों के भाव
दिल्ली की रोहिणी में दो बेडरूम वाले कमरे
बेंगलोर में टी नगर की महकती कॉफ़ी
रेल के टिकिट, रेड बस के एप, जेट इंडिगो
ये चार छह बुजुर्ग है जो कस्बों में रहकर
अपने नौकरी शुदा बच्चों की बात करते है
अघाते नही कि मेरा बेटा काम वाली को ही
आठ से दस हजार दे देता है और
बहू उठती है सुबह नौ बजे सीधे दफ्तर जाने को
कामवाली बाई भली है और मुम्बई में तो
गजरा लगाकर आती है महकता सा
और ये कहानी अब घर की हो रही है
अपने नौकरी शुदा बच्चों की बात करते है
अघाते नही कि मेरा बेटा काम वाली को ही
आठ से दस हजार दे देता है और
बहू उठती है सुबह नौ बजे सीधे दफ्तर जाने को
कामवाली बाई भली है और मुम्बई में तो
गजरा लगाकर आती है महकता सा
और ये कहानी अब घर की हो रही है
घर की चारदीवारी पार जाकर बच्चों की दुनिया नई हो गई है
दोस्त - यार, सप्ताहांत और पार्टी
माँ बाप के उनके घरों में आने से गड़बड़ा जाता है सुकून हड़बड़ा जाते है
फोन पर मिलने की इच्छा व्यक्त करने पर या
शादी के सवाल टाल जाते है और फट से रुपया भेज देते है
दोस्त - यार, सप्ताहांत और पार्टी
माँ बाप के उनके घरों में आने से गड़बड़ा जाता है सुकून हड़बड़ा जाते है
फोन पर मिलने की इच्छा व्यक्त करने पर या
शादी के सवाल टाल जाते है और फट से रुपया भेज देते है
पांच दस हजार अकाउंट में कि कुछ खरीद लेना
और ये गर्व से बदल लेते है वाशिंग मशीन
और ये गर्व से बदल लेते है वाशिंग मशीन
कस्बों की कॉलोनियां सूनी है सुबह से रात,
रात से सुबह कटना एक भयावह सजा है मानो
स्वस्थ है सब शरीर से , पर मन बीमार है बस
सुकून ये है कि कम से कम दुबे जी की तरह नही वो लोग
जिनका बेटा विदेश में है और आने में दो दिन लगें
नीलाक्षी भाभी अकेली थी तो बेटा आ नही पाया
कॉलोनी के लोगों ने किया संस्कार मरने पर
शुक्र हमारे तो यही है दो घँटे में पहुंच सकते है
रात से सुबह कटना एक भयावह सजा है मानो
स्वस्थ है सब शरीर से , पर मन बीमार है बस
सुकून ये है कि कम से कम दुबे जी की तरह नही वो लोग
जिनका बेटा विदेश में है और आने में दो दिन लगें
नीलाक्षी भाभी अकेली थी तो बेटा आ नही पाया
कॉलोनी के लोगों ने किया संस्कार मरने पर
शुक्र हमारे तो यही है दो घँटे में पहुंच सकते है
बड़ी कॉलोनियों के घर सूने हो गए है खंडहर नुमा
आवाजें शांत हो गई है और फोन की घण्टियाँ घुर्राती रहती है दिन भर
यह समय से परे जाने का समय है मित्रों
घर , घर नही रहें बस सालाना उत्सव हो गए है।
आवाजें शांत हो गई है और फोन की घण्टियाँ घुर्राती रहती है दिन भर
यह समय से परे जाने का समय है मित्रों
घर , घर नही रहें बस सालाना उत्सव हो गए है।
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