Skip to main content

Asharam and Afzal Rana 24 April 2018


आशाराम दोषी और उनके अनुयायी संगी साथी भी दोषी है
जय हो भक्त काल के महानायक की और भारतीय जनता की भी और कपिल सिब्बल से लेकर राम जेठमलानी जैसे महानतम बड़े वकीलों की - जो इस पापी को बचाने कोर्ट में आये, हद यह है कि हमारे ये वकील रुपयों के लिए अपनी माँ बहन को भी भूल सकते है और पैरवी कर सकते है ऐसे घटिया लोगों की
अभी भी चलने दो प्रवचन, जलसे, चंगाई समारोह और निकलने दो जुलुस सड़कों पर झूमते झामते हुए, जनता यह सोचें कि अरबों रुपये इस सबमे बर्बाद हो तो, होता रहें कोई फर्क नी पड़ता हम भारत के लोगों को
भक्ति और खिदमत के नाम पर सुबह से लेकर देर रात तक भोपू , पर चलने दो सब कुछ - भाड़ में जाएं - माननीय हाई कोर्ट के ध्वनि प्रदूषण वाले आदेश और कलेक्टरों की निषेद्याज्ञाएं
जब तक वोट बैंक की मूल अवधारणा खत्म नही होगी तब तक इस देश का कोई कुछ कर सकता
यह फ़ैसला नजीर बनें तभी कोई बात बनें वरना तो सब चल ही रहा है और 70 वर्षों से चली आ रही मूर्खताएं अब चरम और पराकाष्ठा पर है ही
शिक्षा, स्वास्थ्य, खेती, विकास और वैज्ञानिक चेतना के प्रसार पर ध्यान दिए बिना और पर्याप्त बजट रखें बिना यह सम्भव नही है
आईये एक बेहतर समाज की ओर हम सब साथ चलने का प्रयास करें और ऐसे नासूरों को जड़ मूल समेत उखाड़ फेंकें

***
कल रामफल को लेकर एक पोस्ट लिखी थी।
आज बचपन के मित्र भाई Afzal Rana अपने खेत से एक खूब बड़ा एकदम ताज़ा रामफल लेकर आये।
अफ़ज़ल मेरे बचपन के मित्र है, देवास में रहते है और हम साथ पढ़े भी है। बेहद जहीन, इल्म और तरक्की पसंद अफ़ज़ल की दोनो बिटियाएँ डाक्टरी पढ़ रही है। एक तो भोपाल के चिरायु चिकित्सा महाविद्यालय में MBBS उपरांत इंटर्नशिप कर रही है, दूसरी अभी प्रथम वर्ष में है।
अफ़ज़ल आज सफल व्यवसायी है और बहुत शांत व्यक्तित्व के मालिक है, दो बार हज कर आये है और हर साल उमरा पर जाते है । अल्लाह को मानने वाले पांच वक्त नमाज़ पढ़ने वाले अफ़ज़ल हमेंशा अपने काम मे मगन रहते है और दीन दुखियों की सेवा में व्यस्त रहते है। वे कहते है दुनिया बदल रही है और बच्चों को अच्छी शिक्षा हमने नही दी तो ख़ुदा मुआफ़ नही करेगा, हदीस में भी इसी बात को लिखा गया है।
अफ़ज़ल जैसे दोस्त दोस्ती की अप्रतिम मिसाल है । आज लगभग 20 साल बाद तसल्ली से हम लोग मिलें, सड़कों पर राम राम हो जाती थी पर जी भरकर बातें नही , आखिर रामफल बहाना बना और घर बैठकर डेढ़ दो घँटे स्मृतियों को ताज़ा करते रहें पुराने मोहल्ले और स्कूल की बातें।
शुक्रिया भाई

Image may contain: 1 person, smiling

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...