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मालवा में संतों का सच्चा समागम- संदर्भ डा सुरेश पटेल, इंदौर 2 सितम्बर, 2017


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मालवा में संतों का सच्चा समागम
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मुझे याद पड़ता है एकलव्य में किया अपना कार्यकाल सन 1990 - 91 का - जब हम जिले में कई प्रकार की प्रक्रियायें आरम्भ का रहे थे, शिक्षा के साथ जन मद्दों पर व्यापक समुदायों को जोड़ना क्योकि देश का माहौल विचित्र था लगभग आज की तरह और इस सबमे ६ दिसंबर की दुर्घटना हो गई थी. कई कामों के साथ कबीर भजन एवं विचार मंच का काम शुरू किया था, क्योकि पक्का कबीर गाने वाले तो महफ़िलों और अपनी आत्म मुग्धता में व्यस्त थे. मालवा में कबीर की वाचिक परम्परा के अध्येत्ता बहुतेरे मिल जायेंगे पर जमीनी स्तर पर काम करके कबीर को गाने वाले और कबीर को अपने जीवन में साक्षात उतारने वाले सिर्फ और सिर्फ मालवा में ही मिलेंगे.
नारायणजी, टिपान्याजी, कालूराम जी, मांगीलाल जी, ताराचंद जी, देवनारायण जी हो या कोई और हर गाँव में कबीर को जिन्दा रखने वाले ये परिश्रमी साथी मालवा की ताकत भी है और ऊर्जा भी. ये किसी भी ऊँची, महंगी और कमाई वाली महफ़िलों से दूर रहकर काम करते आ रहे है और वाचिक परम्परा को जीवित रखकर इतिहास बना रहे है. डा सुरेश पटेल, पनागार, जबलपुर के रहवासी और भारतीय कपास निगम में वरिष्ठ अधिकारी पर साहित्य के दीवाने और “डा लाल के साहित्य” पर विक्रम विवि, उज्जैन से पीएचडी करने वाले ऐसे प्यारे इंसान और जुनूनी शख्स कि आप एक बार मिलें तो इनके मुरीद हो जाएँ - सहज, सरल और अपनत्व की भावना से परिपूर्ण वाले इस व्यक्ति के काम का अंदाज लगाना थोड़ा मुश्किल होता यदि आज अनुज और मित्र छोटू भारतीय उनकी सेवा निवृत्ति पर एक छोटा पारिवारिक आयोजन ना करते तो. छोटू ने सबको यह कहक्र आमंत्रित किया कि यह छोटा सा पारिवारिक आयोजन है - पर जिस तादाद में लोग देश भर से जुटे थे आज इंदौर के जाल सभागृह में सारा दिन और वे भी विभिन्न क्षेत्रों से जिसमे बनारस से महंत विवेक दास भी थे और ठेठ गाँव से भजन गाने वाले हमारे साथीगण भी, प्रदेश के बड़े अधिकारी भी थे और वरिष्ठ वकील साहेबान भी.
सुरेश भाई एक सांगठनिक व्यक्ति ही नहीं, प्रतिबद्ध कार्यकर्ता ही नही बल्कि वे एक ऐसे शख्स है जिन्होंने देश के हर क्षेत्र के व्यक्ति और कला साधकों को जोड़ रखा है अकादमिक क्षेत्र हो, गायन हो, वादन हो, बौद्धिक हो, मीडिया का हो या नाटक का क्षेत्र! ऐसी कौनसी जगा नहीं है जहां इनके मित्र ना हो – आप कही से भी फोन लगाएं – सुरेश भाई संकट मोचन की तरह आपको किसी का भी संदर्भ देकर हर विपदा से बचा लेंगे. आज वे सेवा निवृत्त नहीं हुए बल्कि अब ज्यादा जोश खरोश से मैदान में है और एक लम्बी पारी के अनुभवी सिद्धहस्त खिलाड़ी की तरह से हम सबके साथ है. आज के आयोजन में आये लोगों के समूह में कस्तुबा ग्राम के गांधीवादी भी थे और अम्बदेकर समूह के साथी भी, भाजपा के विधायक भी थे और प्रगतिशील तबका भी. वरिष्ठ अधिवक्ता भी थे और अहमदाबाद, भोपाल, दिल्ली से आये उनके शागिर्द भी, मालवा के कबीर गायक भी थे और विश्व विद्यालयों में अकादमिक विषय पढाते अध्यापक भी.
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हमारे अनुज छोटू ने जो आयोजन की संकल्पना की थी आयोजन उससे दस हजार गुना बेहतर शानदार और व्यवस्थित हुआ. उपस्थित वक्ताओं ने उनके कार्यों को ना मात्र सराहा बल्कि उनके जोश और इस दूसरी पारी के लिए अशेष शुभकामनाओं से भी नवाजा. बस आज अखर यह गया कि लाडला बेटू सूर्यांश और एक छोटी बिटिया नहीं थे कार्यक्रम में, क्योकि सूर्यांश मुम्बई में नाटक पढ़ रहा है और बिटिया अमेरिका में नौकरी में है पर आज उस सभागार के तले बैठे हम सब लोग एक चुम्बकीय ऊर्जा से जुड़ा महसूस कर रहे थे और जिस सहजपण, अपनत्व और आत्मीयता से बात आर रहे थे - वह सच में अप्रतिम और अद्दभुत था. इधर मैंने वर्षों से इस तरह के आयोजन नहीं देखे है – समृद्ध, महंगी और राजनीति से ओत-प्रोत संगीत की महफ़िलें, आतंकित करने वाले सेमीनार या जन सम्मेलन पर उन सबमे रिश्तों और एक होने का कोमल धागा कही मिसिंग था, और इसका पूरा श्रेय भाई सुरेश पटेल के व्यक्तित्व को जाता है और इसे मूर्त रूप देने में छोटू भाई का जो दो माह में जो पसीना निकला है उसका परिणाम है. मंच पर हार फूल ना देकर आम और नीम के पौधों को जल अर्पित किया गया या रिटर्न गिफ्ट में सबको गुलाब के पौधे दिए गए - वह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, वरन गहरी सूझबूझ और दूर दृष्टि से अपने काम, नेक इरादे, अपना सॉलिड एक्शन प्लान और मैदान में पूरी तैयारी के साथ जूझने का दृढ संकल्प है. “कबीर जन विकास समूह” के माध्यम से अपनी उर्जावान टीम जिसके हम सब संवाहक और कार्यकर्ता है आने वाले दिनों में मालवा और प्रदेश में बेहतर कार्य करके अपने लिए, आने वाली पीढ़ी के लिए एक नया समतामूलक समाज बनाएगी यह विश्वास है. आज डा लिंडा हैस की बहुत याद आई, जो खुद भी अभी सेवा निवृत्त हुई है स्टेनफोर्ड विवि, अमेरिका से. वे आज होती तो ख़ुशी से झूम उठती यह जनसमुदाय, भजन गायकों और प्यार मुहब्बत देखकर.
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सुरेश भाई, भाभी और बच्चों को बधाईशुभकामनाएं और छोटू को एक बड़ा सलाम जो आज से बडकू हो गया है......

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