जेंडर और स्त्री स्वतन्त्रता के मुद्दे - शनिशिंगणापुर या शबरी माला तक सीमित नहीं है. सदा सुहागन रहो, दूधो नहाओ, घर की इज्जत, पति के चरणों में स्वर्ग है, ससुराल ही स्वर्ग है, चुड़ियों से लबरेज, मातृत्व के बिना अधूरी है स्त्री, जैसे मुहावरों से मुक्ति पाओ. आर्थिक स्वालम्बी बनो, अपने आने जाने पर पाबंदी हटवाओ, घर - परिवार से लेकर समाज के हर निर्णय में भागीदारी करो, अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से खुलकर जियो, श्मशान में जाने की हिम्मत करो, अपने लोगों को मुखाग्नि देने का हौंसला रखो, शक्तिशाली बनो, छेड़छाड़ करने वाले को पटकनी दो, बलात्कारी को ऐसा सबक सिखाओ कि कही मुंह दिखाने लायक ना रहें, अपनी मर्जी से पसंद के आदमी से शादी करो या एकाकी जीवन बिताओ, दुनिया घूमो, राजनिती में आओ और सत्ता पर काबीज हो, आदि ऐसे मुद्दे है जिन पर लड़ाई करना है. मस्जिद , गिरजे, गुरुद्वारे और मन्दिर में घुसकर और एक पत्थर पर तेल चढ़ा लेने से कोई क्रान्ति नही होगी, संतान को प्राप्त करने के लिए जैविक प्रबंध करो, बाबाओं के आशीर्वाद और मन्नत मनवाने बैठी पाषाणकाल से उपेक्षित और जर्जर हो चुकी पत्थर की मूर्तियों से संताने...
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