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शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा - गुलजार साहब को जन्मदिन मुबारक..






"शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालों के लिये दिल नहीं थोड़ा करते"

भोपाल की उस सर्द सुबह को भारत भवन के ओसारे में मैंने जब गुलजार साहब से जब गर्मजोशी से हाथ मिलाया था तो बहुत कोमल हाथ था उनका, मानो स्याही उन हाथों से कागज़ पर उतर आती हो और वे लिख देते है एक जिन्दगी, मैंने सिर्फ पूछा था कि आपको अभी भी तकमील की तलाश है.........और वे हंस पड़े कुछ नहीं बोले और कहा.......कभी जिन्दगी रही तो लिखूंगा तुम्हारा सवाल बड़ा जायज और मानीखेज है.

बहुत देर तक मेरी बांह पकड़कर बातें करते रहे थे जिन्दगी की और फिर बोले यह तलाश कभी पुरी नहीं होती बरखुरदार, जीवन तो चलता रहता है और हम सब यूँही गुजर जाते है चुपके से यकायक, और हमें ही मालूम पड़ता है कि अब वो घड़ी आने वाली है, बस अपना काम करते रहो एक रंगरेज बैठा है ऊपर और एक कुम्हार है नीचे जो घड रहा है हमें, हर पल को, हर सांस को और हम है कि लगे है इसमे........पेच लगाने में.....

गुलजार साहब को जन्मदिन मुबारक..............


 — with Aditya Shukla.


Comments

Anonymous said…
बहुत खूब...........
15बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (19-08-2014) को "कृष्ण प्रतीक हैं...." (चर्चामंच - 1710) पर भी होगी।
--
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
15बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (19-08-2014) को "कृष्ण प्रतीक हैं...." (चर्चामंच - 1710) पर भी होगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (19-08-2014) को "कृष्ण प्रतीक हैं...." (चर्चामंच - 1710) पर भी होगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (19-08-2014) को "कृष्ण प्रतीक हैं...." (चर्चामंच - 1710) पर भी होगी।
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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