Skip to main content

राम भजन में चौकस रहना - मल्हार धूनी संस्थान में कबीर के भजन





















राम भजन में चौकस रहना 
हरी भजन में चौकस रहना
इक दिन चोर आयेगा....

देवास के ऐतिहासिक श्री मल्हार धूनी संस्थान में आज की शाम (17 अगस्त 2014) कबीर के भजन आयोजित किये गए। इस अवसर पर स्टेनफोर्ड विवि अमेरिका की प्रो. लिंडा हैज़, बंगलोर की शबनम वीरमणि विशेष रूप से उपस्थित थी। इस अवसर पर धूनी संस्थान की भजन मंडली और शबनम ,लिंडा ने भी मालवा के कबीर भजन प्रस्तुत किये।

कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय संदीप नाईक ने दिया। कार्यक्रम में डा प्रकाश कान्त , जीवन सिंह ठाकुर ,रोहित भौरास्कर , कैलाश सोनी , वैदेही, अमेय कान्त , अम्बुज सोनी, बहादुर पटेल , सर्वेश राठौर ,अमर येवले , राजकुमार दिघे , सुभाष शर्मा शशिकांत यादव, नारायण देल्मिया, दिनेश पटेल , विक्रम सिंह , अजय कानूनगो , प्रवीण जोशी श्रीकांत उपाध्याय, संजीवनी कान्त , मधु ठाकुर, पारुल रोड़े, अनूप सक्सेना , दयाराम सारोलिया , महेश पटेल,  अरविन्द सरदाना, स्वराली आदि गणमान्य लोग उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में एक ख़ास बात थी कि इसी बहाने से शीलनाथ महाराज के कामों और उनके आध्यात्मिक स्वरुप पर काफी जानकारी मिली। लिंडा ने अपनी किताबों में और शबनम ने अपनी फिल्मों में इस संस्थान का बार बार जिक्र किया है।



Bahadur Patel Amey Kant Parul Rode Ambuj Soni Vaidehi Singh Dinesh Patel Prakash Kant Rohit Bhoraskar Mahesh Patel Swarali Bs Purushottam Agrawal




































Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...