चलो अब ढंग से काम धाम पर लगो............लोकतंत्र है हार-जीत सब चलता है और सबको सब मान लेना चाहिए, मै लोगों के मतों की इज्जत करता हूँ और देश के चार राज्यों को हार्दिक बधाई देता हूँ कि कांग्रेस से और गांधी परिवार से पहली बार गत सात दशकों में छुटकारा मिला है.
अब बारी केंद्र में बदलाव की है और देश के अन्य दीगर राज्यों में भी जैसे उप्र में सपा और बसपा से मुक्ति की कामना, बिहार में नितीश और लालू से मुक्ति की कामना, बंगाल में ममता और दक्षिण में क्षेत्रीय पार्टियों से मुक्ति की कामना में लोग कुलबुला रहे है........
बस हम सबको राहत मिलनी चाहिए, बिजली, सड़क, पानी के अलावा गैस प्याज से लेकर सीमा पर नित रोज मर रहे हमारे सिपाहयों की मौत से, शिक्षा स्वास्थ्य, महिलाओं के अधिकार और समतामूलक समाज, हिंसा और अलगाववाद की हर उस कोशिश से जो देश को देश नहीं रहने देती. हमें अपने किसानों की चिन्ता है जो सरकारी नीतियों की वजह से आत्महत्या कर रहे है , अब समय है कि इन मुद्दों पर तसल्ली से काम करो बजाय चुनाव परिणामों का विश्लेषण और पोस्टमार्टम करने से.
देश के जिन युवाओं ने आपको साथ दिया चाहे कमल या झाडू को उनके लिए कुछ करो कब तक इन्हें अपने मकडजाल में आप फंसाते रहेंगे, कब तक इस्तेमाल करते रहेंगे, खाकी निक्कर पहनाकर बेरोजगार रखेंगे या धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल में शामिल कर अपनी भीड़ बढाते रहेंगे? इनकी भी अपनी जिन्दगी है ख्वाब है परिवार बसाना है अपने माँ-बाप की सेवा करनी है और भले ही एक आम आदमी की तरह पर जिन्दगी जीना है, दुनिया के सबसे बड़े युवा मुल्क की चिन्ता करिए रोजगारों का सृजन करिए और हर हाथ को झाड़ू नहीं काम दीजिये नरेगा के भ्रमजाल से निकलिए.
देश के सारे फ्लेगशिप कार्यक्रमों को बंद कीजिये-जैसे सर्व शिक्षा अभियान, कुपोषण बनाम पोषण आहार, शौचालय निर्माण, नरेगा, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, आदि जैसे कई ढकोसले है, चूँकि ये राज्य के मामले है अतः इन्हें राज्यों को विकेन्द्रित ढंग से हल करने दीजिये और देशी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को भी कहिये कि बॉस काम करो वरना फूट लो यहाँ से, यूनिसेफ जैसे निकम्मे और मगरूर संस्थाओं का लायसेंस कैंसिल करिए- देश की समस्याएं हमारी है हम निपट लेंगे इन्हें बाहर करिए पहले और तमाम ऐसी जगहों पर जो काले लोग बैठे है उन्हें भी देश के प्रति जिम्मेदार बनाईये मुफ्तखोरों के मारे देश परेशान है. योजना आयोग के लोगों को बदलिए और सिर्फ कागजी शेरो को दहाड़ मारने के बजाय फील्ड में भेजिए.
एनजीओ कल्चर और कार्यशैली पर प्रतिबन्ध लगाईये और जो बहुत ही घटिया किस्म के लोग बगैर सोच समझ और विचारधारा के इस एनजीओ में घूस गए है उन्हें काले पानी की सजा दे दीजिये और कहिये कि फील्ड में जाओ काम करो वरना दूकान बंद.......!!!
मीडिया को बेलगाम होने से रोकिये और इस मीडिया को भी सबक सीखाईये क्योकि देश का नब्बे प्रतिशत नुकसान आपने नहीं, इस मीडिया ने किया है और इस बात को गंभीरता से लें वरना दो हजार चौदह में ये फिर कोई नंगा नाच करके सारा खेल बिगाड़ देगा.........सतर्क रहिये........सावधान रहिये, जानते है ना आप एक प्रचलित नारा कि"सावधानी हटी और दुर्घटना घटी"
केंद्र में भी सत्ता सम्हाल लो हम भारत के लोग आज दिनांक 9 दिसंबर को आपको दिल्ली की गद्दी हवाले करते है डा मनमोहन सिंह ने इस्तीफा दे ही दिया है यह मान लो..............बस हमारे मुद्दों पर काम करो प्लीज़...........
अब बारी केंद्र में बदलाव की है और देश के अन्य दीगर राज्यों में भी जैसे उप्र में सपा और बसपा से मुक्ति की कामना, बिहार में नितीश और लालू से मुक्ति की कामना, बंगाल में ममता और दक्षिण में क्षेत्रीय पार्टियों से मुक्ति की कामना में लोग कुलबुला रहे है........
बस हम सबको राहत मिलनी चाहिए, बिजली, सड़क, पानी के अलावा गैस प्याज से लेकर सीमा पर नित रोज मर रहे हमारे सिपाहयों की मौत से, शिक्षा स्वास्थ्य, महिलाओं के अधिकार और समतामूलक समाज, हिंसा और अलगाववाद की हर उस कोशिश से जो देश को देश नहीं रहने देती. हमें अपने किसानों की चिन्ता है जो सरकारी नीतियों की वजह से आत्महत्या कर रहे है , अब समय है कि इन मुद्दों पर तसल्ली से काम करो बजाय चुनाव परिणामों का विश्लेषण और पोस्टमार्टम करने से.
देश के जिन युवाओं ने आपको साथ दिया चाहे कमल या झाडू को उनके लिए कुछ करो कब तक इन्हें अपने मकडजाल में आप फंसाते रहेंगे, कब तक इस्तेमाल करते रहेंगे, खाकी निक्कर पहनाकर बेरोजगार रखेंगे या धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल में शामिल कर अपनी भीड़ बढाते रहेंगे? इनकी भी अपनी जिन्दगी है ख्वाब है परिवार बसाना है अपने माँ-बाप की सेवा करनी है और भले ही एक आम आदमी की तरह पर जिन्दगी जीना है, दुनिया के सबसे बड़े युवा मुल्क की चिन्ता करिए रोजगारों का सृजन करिए और हर हाथ को झाड़ू नहीं काम दीजिये नरेगा के भ्रमजाल से निकलिए.
देश के सारे फ्लेगशिप कार्यक्रमों को बंद कीजिये-जैसे सर्व शिक्षा अभियान, कुपोषण बनाम पोषण आहार, शौचालय निर्माण, नरेगा, राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, आदि जैसे कई ढकोसले है, चूँकि ये राज्य के मामले है अतः इन्हें राज्यों को विकेन्द्रित ढंग से हल करने दीजिये और देशी अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों को भी कहिये कि बॉस काम करो वरना फूट लो यहाँ से, यूनिसेफ जैसे निकम्मे और मगरूर संस्थाओं का लायसेंस कैंसिल करिए- देश की समस्याएं हमारी है हम निपट लेंगे इन्हें बाहर करिए पहले और तमाम ऐसी जगहों पर जो काले लोग बैठे है उन्हें भी देश के प्रति जिम्मेदार बनाईये मुफ्तखोरों के मारे देश परेशान है. योजना आयोग के लोगों को बदलिए और सिर्फ कागजी शेरो को दहाड़ मारने के बजाय फील्ड में भेजिए.
एनजीओ कल्चर और कार्यशैली पर प्रतिबन्ध लगाईये और जो बहुत ही घटिया किस्म के लोग बगैर सोच समझ और विचारधारा के इस एनजीओ में घूस गए है उन्हें काले पानी की सजा दे दीजिये और कहिये कि फील्ड में जाओ काम करो वरना दूकान बंद.......!!!
मीडिया को बेलगाम होने से रोकिये और इस मीडिया को भी सबक सीखाईये क्योकि देश का नब्बे प्रतिशत नुकसान आपने नहीं, इस मीडिया ने किया है और इस बात को गंभीरता से लें वरना दो हजार चौदह में ये फिर कोई नंगा नाच करके सारा खेल बिगाड़ देगा.........सतर्क रहिये........सावधान रहिये, जानते है ना आप एक प्रचलित नारा कि"सावधानी हटी और दुर्घटना घटी"
केंद्र में भी सत्ता सम्हाल लो हम भारत के लोग आज दिनांक 9 दिसंबर को आपको दिल्ली की गद्दी हवाले करते है डा मनमोहन सिंह ने इस्तीफा दे ही दिया है यह मान लो..............बस हमारे मुद्दों पर काम करो प्लीज़...........
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