एक बहुत पुराना और प्यारा सा दोस्त है देश के जाने माने शिशु रोग विशेषज्ञों में उसकी गिनती है जब हम लोग छोटे थे तकरीबन नवमी, दसवी में तब से वो डाक्टर बनने के सपने देखता. खूब जी तोड पढाई करके वो डाक्टर बना और पिछले बीस बरसों से वो अपोलो, एस्कार्ट, फोर्टीज और मियो जैसे बड़े संस्थानों में काम कर रहा है. पिछले कई दिनों से वो कह रहा है कि यार संदीप मै जो कर रहा हूँ उसमे मजा नहीं है रूपया बहुत है पर जिन बच्चों का मै इलाज करता हूँ वो सब विदेशी है और मुझे अपने इलाके के बच्चों का दर्द महसूस होता है. धार- झाबुआ-बड़वानी जैसे इलाके में बच्चे कुपोषण से मर जाते है शर्म आती है मुझे अपने पढाई और ज्ञान पर, कुल मिलाकर लब्बो लुबाब यह निकला कि हम दोनों मियाँ बीबी मिलकर एक ऐसे बच्चों का अस्पताल खोलना चाहते है जहां विश्व स्तर की सुविधाएं हो, निशुक या न्यूनतम शुल्क पर हो और पिछड़े इलाकों में लोग इसका इस्तेमाल करें- कोई बच्चा इलाज के अभाव में दम ना तोड़े.
अब सवाल कई है यह दोस्त कहता है कि आई सी यु की भीतर की मशीने महंगी है और जो कंपनिया इन्हें बेचने का धंधा करती है वो लागत मूल्य से कई गूना ज्यादा वसूलती है, क्या हिन्दुस्तान में आई आई टी या कोई ऐसे इंजिनियर है जो उसकी मदद करें सस्ती मशीने बनाकर दें जैसे कंप्रेस्ड एयर के लिए छोटी मशीन की जरुरत है जिससे डिस्पोजेबल वेंटीलेटर बनाए जा सके जिससे जिन्दगी के चांसेस ज्यादा हो जाते है और ये सस्ते होने चाहिए. डाक्टर दोस्त बहुत ईमानदारी से अच्छे इंजिनियर तलाश रहा है जो कुछ मशीने बनाने में मदद कर सके. वो कहता है या तो मै मेडिकल छोड़कर फिजिक्स में चला जाऊं और काम करूँ या मै ऐसे कुछ सरफिरे इंजीनियर्स को बताता रहूँ और मशीने बन जाए ताकि इलाज बिलकुल सस्ता हो जाए जैसे मात्र दस रूपये या सौ रूपये.
ध्यान रहें कि यह डाक्टर दोस्त नवजात शिशुओं के ह्रदय रोगों का फिजिशियन ही नहीं देश के छः सात सर्जनों में से एक है और सालाना तनख्वाह करोड़ होगी, पर उसे लगता है कि वो अपने इलाके के बच्चों को कुछ दे नहीं पा रहा. पति पत्नी दोनों इस पेशे में जितने काबिल है उनका समर्पण और ईमानदारी काबिले तारीफ़ है. आपकी नजर में कोई ऐसा सिरफिरा इंजिनियर है? एक प्रतिष्ठित और रचनात्मक इंजिनियर अरविंद गुप्ता का नाम मैंने सुझाया है जो विज्ञान में खिलौने बनाते है मशीने भी पर इस बारे में अरविंद के अतिरिक्त........कोई और आपकी निगाह में हो जों इस काम में मदद करें, जूनून की तरह लगकर तो हम सब साथ है. रूपयों की कमी नहीं है और हाँ इज्जत और बाकी सब भी मिलेगा नाम, यश और पेटेंट भी........ सवाल मदद का है.
जितनी जल्दी हो सके बताईये चाहे वो दुनिया के किसी कोने में हो अगर जज्बा और जूनून है तो दूरी मायने नहीं रखती और गर्व है अपने प्यार दोस्त पर,और हाँ यदि किसी को कोई बच्चा शिशु रोग से पीड़ित खासकरके ह्रदय रोग वाला तो मुझसे बिंदास संपर्क करें. धन्यवाद मित्रों.
संदीप नाईक
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