भगवान के लिए एक बार अपने जीवन में झांककर देखिये कभी तो आपको कोई बेहतरीन रचनात्मक सुझाव या विचार दिमाग में आया होगा.......बस उठाईये कलम और घिस डालिए चार-छः पन्ने और फिर इन्ही पन्नों को जीवन भर चलाते हुए अपने को इतना महान बना दीजिये कि बेचारे गरीब लोग आपको उत्कृष्ट बना दें, आपको महान व्यक्ति का दर्जा दे दें और फिर दुनिया भर के लोग आपको रूपया पैसा देने को तैयार हो जाए (भले ना दें पर आप कम से कम यह तो हर बार कह ही सकते है कि इस बार मेरे पीछे कई लोग पड़े है कि फंड ले लो, फंड) और फिर उन्ही चन्द पन्नों को जोड़ जाडकर पोथे बनाते रहे और इस तरह ताजिंदगी आप बेहतरीन, नए विचारों वाले, खुले स्वतंत्र और बढ़िया व्याभिचारी-कम-नवाचारी शख्स तो इस भारत जैसे देश में बन ही सकते है क्योकि यहाँ सब चलता है धंधा है, गंदा है, और फिर आप तो आप है गधे के.............!!!
दस्तावेज, रपट और लिखने पढ़ने के नाम पर आप बहुत सालों तक दुनिया को विशुद्ध रूप से बेवक़ूफ़ बना सकते है. मैंने अपने जीवन में कईयों को सारी उम्र एक ही तरीके से, एक ही विचार पर लिखते-पढ़ते और चुतिया बनाते हुए देखा है, इनकी झोली में दुनिया भर की सामग्री के नोट्स, फोटोकॉपी और चन्द पन्नें होते है जिनके सहारे इनकी उम्र बीत जाती है. ये ना एक लाइन लिख पाते है ना कुछ सार्थक गढ़ पाते है. बस बकलोल किस्म के चन्द मार्केटिंग वाले लोग इन्हें महान बनाकर इनके साथ अपनी भी रोजी रोटी चलाते रहते है. दूसरा रपट, दस्तावेजीकरण का धंधा जोरो से देश में पनपा है जिसका कुछ सर पैर नहीं होता. लोग एक बात को इतनी बार लिखते है कि मूल कृति की ह्त्या हो जाती है और ड्राफ्ट पर ड्राफ्ट बनते रहते है जिसको ठीक करने में बेचारे कुछ लोग ठीक उस मुसहर की तरह हो जाते है जो गाय के गोबर के बड़े भारी पोटे में से गेहूं के कुछ अधकच्चे दाने चुनता है और अपना करम बार बार ठोकता है कि हे भगवान क्यों मेरे जिन्दगी में यह काम मेरे मत्थे मढ दिया और कुछ लोग तंग आकर कह देते है कि बस बहुत हुआ अब नहीं, और कभी नहीं
सन्दर्भ: काम चालू आहे, अब नई संस्कृति दिल्ली से आने वाली है बहुत जल्दी आपके द्वारे, इस सबमे माहिर लोग एक बार फिर अपने भोथरें हथियार पैने करने में लग गए है, सावधान इंडिया.
नौकरी में अनुभव का मतलब संस्था या तंत्र द्वारा अभी तक की गयी सभी मूर्खताएं, गलतियां और चुतियापों को खूबसूरती से ढक देनेवाला और सारी उलटबांसियों को व्यवस्थित तरीके से "प्रेजेंटेबल फ़ार्म" में लाने वाला एक अदद मूर्ख और चाहिए होता है इसलिए अक्सर कहा और पूछा जाता है आपको कितना अनुभव है इससे पहले का...?
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