कहते है प्रभु श्रीराम को रावण जैसे महाविदवान को मारने के बाद बेहद गंभीर पश्चाताप हुआ तो उन्होंने हिरन्यकश्यप की राजधानी के समीप एक जगह पर अपने जादूई प्रताप से एक कुण्ड की रचना की और उसमे अपने आप को नहलाकर अपने ह्त्या के पाप से मुक्त किया. कहते है कि जिसने भी ऐसे या कोई और भी पाप किये हो तो वो यहाँ आकर अपने आपको मुक्त कर सकता है.
इस जगह का नाम है "हत्याहरण" पहले तो मुझे आश्चर्य हुआ कि ऐसी कोइ जगह होगी या Proper Noun के रूप में किसी गाँव या कसबे का नाम ऐसा कैसे हो सकता है परन्तु जब आज कुछ दफ्तरी काम से गया तो आज देखा कि सब सच है, आज सौभाग्य (?) से अमावस्या थी ऐसा वहाँ दान दक्षिणा की अपेक्षा करने वाले पंडित जी ने बताया कि जजमान आज बड़े मुहूर्त से आये हो तो सारे पापों से मुक्त हो जाओगे बस फिर क्या कुण्ड में सैंडिल पहनाकर ही पाप मुक्त हो गए.....
इस कुण्ड के मुहाने पर एक इंटर कॉलेज बना है जहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य गहरे अन्धकार में तो है ही साथ ही सुना कि यहाँ रूपये लेकर परीक्षा पास करवाने का भी धंधा होता है. खैर...आप चित्र देखकर पाप मुक्त होईये..
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