कुछ
चीजें कालातीत नहीं होती और वे जल्दी ही छिन्न-भिन्न हो जाती है. कितने
दिनों तक इसे इस्तेमाल ही नहीं किया था कि मोहित ने यह गिफ्ट दिया है जब वो
भोपाल आया था. बहुत दिनों तक सम्हाल कर रखा पैक मे फ़िर जब मोहित ने फ़ोर्स
किया तो उपयोग करना शुरू किया और फ़िर
लगातार घिसते रहा. पर कल तो एकदम जवाब दे दिया इसने और कुछ रूपये जो
बमुशिकल माह के अंत मे आम तौर पर जैसे कि पड़े रहते है, गिर गये बस फ़िर क्या
था, मैंने सोचा अब इसे तिलांजलि देना ही होगी. बस आज इसे आख़िरी बार
इस्तेमाल करके यहाँ श्रद्धांजलि स्वरुप तस्वीर लगा रहा हूँ. बहुत साथ दिया
इस बटुवे ने बहुत हिम्मत रखी- मेरी सफर मे, दोस्तों मे और कई ऐसे मौकों पर
लाज रखी- जब यह बिलकुल खाली था. मुफलिसी का एहसास नहीं होने दिया और हमेशा
मैंने अपने आपको बिल गेट्स से कमतर नहीं समझा. अब समय आ गया है कि इसे
अलविदा कहकर अपनी धरोहर मे सुरक्षित रख दूँ जहाँ यह एकदम सारी मेरी
इस्तेमाल की हुई चीजों के साथ जगह पायेगा और विश्राम पायेगा दौड़ धूप से,
सर्दी-गर्मी से और बरसात से और सबसे ज्यादा अब इसे मेरी चिंता करने की
जरुरत नहीं कि वो खाली है या भरा हुआ.......... शुक्रिया कहकर इसका अपमान
नहीं कर सकता पर हाँ बहुत सहा है इसने मेरे लिए...........काश कि जीवन मे
कुछ लोग माँ-बाप के अलावा ऐसे हो पाते ......तो जीवन संवर जाता हर किसी का.
— with Mohit Dholi in Lucknow, Uttar Pradesh.
आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...
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