तुम्हारे लिए...............सुन रहे हो...............कहाँ हो तुम..............
जब ये सब छूटना ही था तो आया क्यों था जीवन में और यही से होकर गुजरना था तो ठहर क्यों नहीं गया सब कुछ........................... ...बस
इसी उधेड़बुन में लगा हूँ कि कहाँ से कैसे बचकर निकल लिया जाए और फ़िर वही
आरोह अवरोह और...............सरोकार के झूठे स्वर और
स्वरलहरियां........... "जग से नाता छुटल हो" ............आये किसे देस से
तुम...........
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