एक
उदास सा जीवन गुजारते हुए और जीवन की आपाधापी में अपराध करने को मजबूर और
तंगहाल सा लंबा वक्त बीत ही नहीं रहा, अपना नाम भी अपने होने को सार्थक ना
करता हो, और दूसरों के दिए हुए अड़े-सड़े नाम जिनसे सिर्फ एक क्रूरता का ही
एहसास होता हो, लगातार पीसते हुए बोझिल घटनाओं के बीच से यदि कही प्यार की
एक बयार आती भी है तो सारे लोग दुश्मन हो जाते है दो पाटन के बीच में
घिसटते हुए कही अंतिम छोर पर एक हल्की सी किरण
दिखाई देती है कि चलो उस पार जीवन सुखद हो पर कहा हर बार अपने आप को
समझाकर और नए इरादों के साथ जमाने की शर्तों पर और खुद को ठग सा महसूस करते
हुए भी जीने का माद्दा बना हुआ है पर इस प्यार के बीच दो पल तो जी ले सुकून
से ............और आख़िरी में अपने ही किसी के द्वारा मौत को गले लगाने की
बेबसी और फ़िर यह दर्शन की "जीवन में यादो का बोझ मत रखना, जीवन बहुत
मुश्किल हो जाता है गुजारना................." बस यही कुछ कहानी है जन्नत 2
की, और यही जन्नत खोजने में हम सब लगे है जिसे कबीर कहता था दो पाटन के
बीच में साबुत बचा ना कोई......................
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