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Mrityu Katha and Other Posts of 1 to 3 Sept 2023

 विनोद कुमार शुक्ल की कविताओं की कुछ पंक्तियां

"जीवन इसी तरह का
जैसे स्थगित मृत्यु है
जो उसी तरह बिछुड़ा देती है,
जैसे मृत्यु"
और
"जो लगातार काम से लगे हैं
मैं फुरसत से नहीं
उनसे एक ज़रूरी काम की तरह
मिलता रहूंगा।
इसे मैं अकेली आख़िरी इच्छा की तरह
सबसे पहली इच्छा रखना चाहूंगा"
***
आधे - अधूरे
•••••
कल इंदौर के लिये हम तो समय पर निकले थे फ़िल्म देखने, परन्तु ऐसा ट्रैफिक जाम था कि हम फ़िल्म देखने समय पर पहुंच ही नही पायें
बहरहाल, आख़िर के लगभग 48 मिनिट ही देख पायें और जो भी देखा वो बहुत बढ़िया, प्रेरणा देने वाला और हर हिसाब से एकदम सम्पूर्ण था - कही कुछ कमी पेशी नज़र नही आई
फ़िल्म के अंत में बाहर जिस तरह का उत्साही पारिवारिक माहौल था - उसकी कल्पना मुश्किल थी, इतना जोश, बधाइयां और तमाम तरह के सार्थक कमेंट्स , परिचित लोग जो अरसे बाद दिखें और मिलना - जुलना इस शाम को ऐतिहासिक बना गया
सुधांशु और उनकी टीम को हार्दिक बधाई, Sonal के लिखें गीतों की गूंज रात भर कानों में बजती रही, पर दोबारा पूरी फ़िल्म देखने पर ही सम्पूर्ण रूप से समझ आयेंगे गीत - खेल पर फ़िल्म और उसमें गीत लिखना जोखिम भी है और चुनौती पर दो गीत सुनकर लगा कि सोनल इस चुनौती को सफलता से निभा ले गई
एक जमाना था जब निदेशक, गीतकार और लेखक, कैमरामैन, कलाकार आदि किसी स्वप्न सा लगता था पर अब अपने आसपास के समर्थ, दक्ष और कौशलों से परिपूर्ण मित्रों और साथियों को गहरी लगन और मेहनत से फ़िल्म जैसी विधा में निष्णात रूप से काम करते देखता हूँ तो गर्व भी होता है और खुशी भी होती है कि सब कुछ श्रमसाध्य होकर भी कितना सहज है, कल जिस अंदाज़ में सोनल और सुधांशु लोगों से मिल रहे थे और चर्चा कर रहें थे, लोगों के संग सेल्फी खिंचवा रहें थे - वह इसकी बड़ी मिसाल है कि कैसे कोई पारंगत और निपुण होकर भी एकदम सहज और सरल हो सकता है
अपने भतीजों Parth Chaturvedi और Kanishk Chaturvedi का जिक्र किये बिना यह टिप्पणी अधूरी रहेगी जो इस फ़िल्म के निर्माण में महत्वपूर्ण कड़ी रहें है
सबको हार्दिक बधाई
जरूर जाकर देख आईए फ़िल्म #LoveAll

***


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