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Khari Khari and Pranay 's Shivanand Tiwari s statement - Posts of 28 April to 2 May 2023

हिंदी पत्रकारिता में डेस्क पर बैठने वाले युवा छर्रों के हालात बहुत ही खराब है
अभी देवास में स्व पंडित कुमार गन्धर्व समारोह सम्पन्न हुआ तो मैंने दो - तीन पोस्ट्स डाली थी, एक बड़े अख़बार के युवा पत्रकार का आज सुबह फोन आया, बोला -"सर, आपकी रिपोर्ट लगा दूँ -अपने नाम से, यह बता दीजिए कुमार गन्धर्व क्या कुमार विश्वास के बड़े भाई है, आजकल कहाँ नौकरी कर रहें है और क्या वे बिहार से है, बिहारी लगाते है ना - कुमार मुकुल, कुमार मनीष, कुमार आलोक या कुमार राजीव"
मैंने कहा - "मित्र, जरूर छाप लो अपने नाम से, और यह बात कुमार विश्वास से पूछ लो कि बड़े भाई है या छोटे और जहाँ वे नौकरी कर रहें है वहाँ तुम्हे भी लगवा दूँ क्या, और वे बिहार से ही थे खगड़िया जिले से" थोड़ा तो पढ़ लो, कम्बख़्त गूगल ही कर लो किसी से बात करने के पहले, क्या प्रोडक्ट निकल रहें है - पता नही चम्पादक कैसे इन्हें चयनित करते है और क्या पैमाने है अख़बार में काम करने के - आजकल सबसे ज्यादा कचरा ऑनलाइन पर आ रहा है और कारण स्पष्ट है कि ये जिन्न हर जगह है
मतलब हालात इतने बुरे है कि डेस्क पर बैठने वाले ये 25 से 30 हजार प्रतिमाह पाने वाले युवा तुर्क कहते है "गांधी की हत्या नेहरू ने करवाई, इंदिरा गांधी की हत्या में उनके घर वालों का हाथ था, अंबेडकर का जन्म सूडान में हुआ और वे बैरिस्टरी पढ़कर भारत में दलितों का उत्थान करने आये और सँविधान बनाकर अमेरिका चले गए "
पत्रकारिता के विवि से जुड़े प्राध्यापक मित्रों ये क्या प्रोडक्ट निकल रहें हैं यारां, भगवान से डरो यारां, हमको बख़्श दो यारां, हे भगवान
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"सर पर मैला ढोना ईश्वरीय काम है- नरेंद्र मोदी " - शिवानंद तिवारी, [पूर्व राज्यसभा सदस्य] का संस्मरण
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी ने अपने मन की बात का सौंवा संस्करण कल पूरा किया. 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद महीना में एक बार देश की जनता को अपने मन की बात सुनाने का सिलसिला उन्होंने शुरू किया था. कल उस सिलसिले का सौंवा संस्करण पूरा हुआ. देश भर में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता, नेता, तथा मंत्रियों ने अपने अपने यहाँ चौपाल लगाकर मोदी जी की मन की बात का सामूहिक श्रवण किया.
नरेंद्र भाई गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो मुख्यमंत्री के रूप में भी उनका प्रवचन नियमित रूप से हुआ करता था. जहाँ तक मुझे स्मरण है सरकार के पदाधिकारियों के बीच नियमित रूप से वे अपने मन की बात सुनाया करते थे. उनके मन की बातों का संग्रह होता था और किताब की शक्ल में उसको छपवाया जाता था. मेरी नज़र उस पर उस समय गई जब मैंने किसी अख़बार में पढ़ा कि दक्षिण भारत के अनुसूचित जाति के संगठन के लोग नरेंद्र भाई के प्रवचनों वाली किताब को जलाकर अपना विरोध प्रकट कर रहे हैं.
मेरे मन में उत्सुकता पैदा हुई. आख़िर वह कौन सी बात है जिसको लेकर अनुसूचित जाति के लोग ऐसा उग्र विरोध कर रहे हैं. उस प्रवचन को ढूँढ कर मैंने पढ़ा. वह सर पर मैला ढोने की प्रथा पर था. उक्त प्रवचन में नरेंद्र भाई ने कहा था कि आख़िर ये लोग पुश्त दर पुश्त मैला ढोने का काम क्यों कर रहे हैं ! ऐसा नहीं है कि उनको कभी कोई दूसरे काम का अवसर नहीं मिला होगा. लेकिन इसके बावजूद ये लोग इस काम को छोड़ नहीं रहे हैं. इसलिए कि यह मानते हैं कि सफ़ाई का यह काम उनको ईश्वर ने सौंपा है. इसलिए दूसरे काम का अवसर मिलने के बावजूद पीढ़ी - दर - दर -पीढ़ी इसको भगवान का काम मानकर कर रहे हैं.
नरेंद्र भाई का यह प्रवचन भी संग्रह वाली उस किताब में था जिसको अनुसूचित जाति संगठन वाले जला रहे थे. जब विरोध की यह खबर नरेंद्र भाई के पास पहुँची तत्काल उसको उन्होंने बाज़ार से वापस मँगवा लिया.
जब मैं राज्य सभा का सदस्य था कांग्रेस की सरकार थी. मनमोहन सिंह जी प्रधानमंत्री थे. उनकी सरकार में कुमारी शैलजा सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थीं. एक सत्र में उन्होने राज्य सभा में एक बिल पेश किया था. उक्त बिल के मुताबिक़ सर पर मैला ढोने की प्रथा को आपराधिक क़रार दिया जाना था. जो यह काम करवाएगा वह भी दंड का भागी होगा. जिस समय वह बिल पेश हुआ था उस समय तक ऊपर वाली घटना की खबर मैं पढ़ चुका था. उस खबर के आधार पर भाजपा को घेरने के इरादे से मैंने भी उस चरचा में भाग लिया. लेकिन मैंने एक चालाकी बरती. शुरुआत में मुख्यमंत्री का नाम या प्रदेश का नाम मैंने नहीं लिया. जब मैंने बताया कि एक मुख्यमंत्री मैला ढोने के काम को ईश्वर का काम मानते हैं.
इसलिए अन्य काम का अवसर मिलने के बावजूद वे यह काम नहीं छोड़ते हैं. मुझे याद है. शैलजा जी तो यह सुन कर छी - छी कहने लगीं. उसके बाद मैंने बताया कि ऐसा कहने और मानने वाले मुख्यमंत्री नरेंद्र भाई मोदी हैं.
उसके बाद तो पूछिए मत. लगा कि भाजपा वाले मुझे नोच लेंगे. जो शोर मचा. मेरी बात को कार्रवाई से निकाला जाए. यह याद नहीं है कि उस समय सदन की कार्यवाही का संचालन कौन कर रहा था. मैं चिल्लाते रह गया. मैं जो भी बोल रहा हूँ उसका प्रमाण मेरे पास है. उसको प्रस्तुत करने के लिए तैयार हूँ. लेकिन भाजपा के हल्ला के सामने कौन मुझे सुनता है !
नरेंद्र भाई के मन की बात का सौंवा संस्करण सुनने के बाद राज्य सभा का वह प्रकरण मेरे ध्यान में आया. खूब बोलते हैं! खूब सुनाते हैं. लेकिन कभी सुनते नहीं हैं. प्रधानमंत्री के रूप में इनका दूसरा कार्यकाल समाप्त होने को है. लेकिन अब तक प्रेस वार्ता इन्होंने नहीं की है. मीडिया को जम्हूरियत का चौथा खंभा कहा जाता है. जनता के सवालों पर सरकार से जवाब माँगना. सरकार की बातों की जानकारी जनता को दे देना. यही मीडिया का काम है. प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की बात तो देश की जनता दिन रात सुन रही है. लेकिन जनता की बात सुनने के लिए नरेंद्र भाई तैयार नहीं हैं.
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◆ शिवानन्द तिवारी, राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सदस्य
साभार - अनुज Pranay Priyambad
[ यह आज बिहार के कई अखबारों में भी छपा है ]
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