अन्यथा ना लें और संयम से पढ़े
यह वही बिहार है जिसने आडवाणी को 1992 में रथ यात्रा रोककर गिरफ्तार किया था, अब कहाँ गए वो लोग लालू जैसे, फिर कहो बिहारी तो लोग गुस्सा हो जाते है
भूखे रहेंगे, मजूरी कर लेंगे, रिक्शा चला लेंगे पर चुप नही बैठेंगे, ट्रेन हो या बस या वाट्सएप्प हर जगह ज्ञान पेलेंगे कचरा इतना फैलाएंगे कि आपको आत्महत्या करना पड़ सकती है और यदि ससुरा कोई मास्टर, पटवारी, बाबू या ब्यूरोक्रेट बन गया हो किसी तरह जुगाड़ कर या किसी विवि में जेआरएफ कर शोधार्थी - तो ससुर सबसे ज़्यादा ज्ञान वही पेलेगा, ब्यूरोक्रेट हो तो वैश्विक समझ का दावा ठोकेगा पर मूर्खता में सबसे आगे होंगे ये धर्म भीरू और अंधविश्वासी लोग
महू में माल रोड़ पर एक गणेश मंदिर था, हर बुधवार को सबसे ज्यादा बिहारी जवान, अधिकारी और उनकी पत्नियाँ नारियल और चावल लेकर जाती थी कि पोस्टिंग किसी पीस स्टेशन और बिहार में ही मिलें, और कमांडिंग अधिकारी बिहारी हो और मैं खूब हंसता था इनकी इन मूर्खताओं पर - पंडित जो एक बैंक अधिकारी और बनिया था, कहता - " नाईक साहब, बिहारियों की कृपा से सांघी स्ट्रीट पर मेरा तीन मंजिल मकान बन गया है" दुर्भावना नही पर स्व शीला दीक्षित गलत नही बोली या ठाकरे भी गलत नही थे कुछ हद तक
निहायत फर्जी और मक्कार ढोंगी और पाखंडी जैसे जाहिल इंसान को सर माथे क्यों बैठा रहें है ये बिहारी
आजादी के 77 वर्ष बाद भी बिहार वही है चाहे जेपी आ जाये या विनोबा या कोई और
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जूते पड़ते यहाँ रहता तो या लोग चौराहे पर ले आते खींचकर - इसलिये अगला हिरोशिमा में टसूये बहाने चला गया
इससे बड़े वाला कोई नही
अमिताभ बच्चन बोलता रह गया
"सहस्र पूर्ण चन्द्रोदया"
पर निर्मला ताई की लापरवाही से बापड़ा 2000 का नोट अधोगति को भरे बचपने में ही पा गया
अभी 4 महीने दिए है पूरे - बल्कि साढ़े चार महीने
खबरदार जो किसी ने कहा कि "बॉर्डर पर सैनिक गोली खा रहे और तुम लाईन में भी नही लग सकते" तो याद रखना
अब अमित भाई, जोगी जी, मामा जी सब मिलकर निपट लेंगे, उस समय तो बेचारे अमित भाई अकेले थे
हाँ, नई तो - सब मिलकर हमाले प्याले प्याले मोई जी को बदनाम करने लग जाते है
[ और हाँ, बरसात में पकौड़े का बिजनेस हो सकता है कांदे के भजिये लाइन में खड़े लोगों के लिये, युवाओं करो तैयारी कूल माहौल और छोरियाँ ताड़ने का मुफ्त मौका है - सोच लो फिर मिलें न मिलें ]
● इन दिनों एकदम खाली हूँ, जिसके पास भी 2000₹ के नोट हो 'चीप वाले या बगैर चीप' के और बैंक में जमा करवाना चाहते हो, कृपया मुझे सुपारी दे दें
● मैं प्रतिदिन सुबह 4 बजे से शाम 7 बजे तक कम से कम 10 बैंक्स में 20 लोगों के रुपये जमा कर सकता हूँ
● पारिश्रमिक स्वरूप मैं प्रति 20000/- मात्र 1000/- मजदूरी के रूप में लूँगा
[नोट - मोदी जी का यह मास्टर स्ट्रोक है जो दस लाख से लेकर दस करोड़ युवाओं को 30 सितंबर तक काम देगा, अम्बानी जी और अडाणी जी सबसे बड़े नियोक्ता होंगे]
मूर्खताओं का पश्चाताप भी एक ना एक दिन हर गधे को करना पड़ता है और यह एक बड़ा आश्चर्य ही है कि
उड़ते- उड़ते जूता उनका
जा पहुंचा जापान में
इब्न बतूता खड़े रह गए
◆ सर्वेशश्वर दयाल सक्सेना
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मेरी चिंता यह है कि आने वाले तीन राज्यों के चुनावों में 500 ₹ के कितने नोट छापना पड़ेंगे मेरे शहर की और देश की एकमात्र करेंसी प्रेस को
और मैं पूछ रहा था कि भ्रष्टाचार कितना कम हुआ, हमारे भोपाल में एक संविदा इंजीनियर और मामा की लाड़ली लक्ष्मी के घर से 7 करोड़ नगदी अभी मिलें है
बापडे अधिकारी, नेता और उनकी श्रीमतियाँ अब कितने खाद के बोरे हर जिले से रोज रोज गिनेगी जो प्रेम से जिला कलेक्टर भेजते है बने रहने के लिये
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नेटफ्लिक्स पर #कटहल देख लीजिये पहली फुर्सत में
अदभुत फ़िल्म है जो राजनीति, पुलिस, प्रेम और समाज का एक अलग अंदाज़ में विश्लेषण करती है, कॉमेडी की तरह लगेगी पर बहुत तीखे सवाल है - जाति, धर्म, समाज, गैर बराबरी, अपराध, गठजोड़ को लेकर और कानपुर - छतरपुर, पन्ना यानी दो राज्यों यूपी और एमपी के पूरे पुलिस तंत्र का पर्दाफाश करती यह रोचक फ़िल्म आपको लम्बे समय याद रहेगी
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