Durgesh Sharma's book, Tribal Girl and Judge's Exam Khari Khari, Kuchh Rang Pyar Ke - Posts of 15 to 18 March 2023
Book on the Table
अग्रज दुर्गेश नंदन शर्मा यदि यह कहूं कि मध्य प्रदेश के उन बिरले शिक्षकों में से हैं, जिन्होंने प्रदेश और देश की प्राथमिक शिक्षा के सुधार के लिए अपना पूरा कैरियर और जीवन लगा दिया तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी
अग्रज दुर्गेश शर्मा को मैं 1987 से जानता हूं जब हरदा जिला भी नहीं था और होशंगाबाद जिले का एक ब्लॉक हुआ करता था, एक लम्बी टीम थी, स्व दिनेश शुक्ला, सरोज चतुर्वेदी ( स्व माखनलाल चतुर्वेदी जी की बेटी) शोभा वाजपेयी, धर्मेंद्र पारे, हरिओम शर्मा, हेमंत टाले, चंदन यादव, आदि ऐसे मित्र है जो जीवन की धरोहर है
दुर्गेश बहुत ही सक्रिय, वोकल फ़ॉर लोकल, बोल्ड और रचनात्मकता से भरे हुए एक संवेदनशील इंसान हैं - जो समय, काल और परिस्थिति की नब्ज़ पर अपनी पकड़ मजबूत रखते हैं, साथ ही उन सभी पलों, घटनाओं, बारीक विवरणों, और स्मृतियों को दबोच कर भी रखते हैं जो उनकी नजरों के सामने से गुजरती हैं और सिर्फ पकड़कर ही नहीं रखते - बल्कि वे उन्हें शब्दों में पिरो कर एक तरह की सार्थक अभिव्यक्ति करके समय के इतिहास पर भी अंकित करते हैं
सोशल मीडिया आने के बाद उनकी सक्रियता काफी बढ़ी और शिक्षा, नवाचार, प्रयोग के साथ-साथ उन्होंने कविताएं, गजलें, दोहे एवं व्यंग्य आदि भी विधाओं में बहुत तेजी से लिखा हैं और इधर वे साहित्य के आकाश पर चमकते भी दिखे
आपकी कविताएं जहां एक और बिंबो से भरी हुई है और अपना होना सार्थक करती है, वही उनकी गजलें समय की नब्ज पकड़ती हैं - जिस तरह से व्यवस्था और बाकी सब पर वे चोट करते हैं वह दर्शाता है कि वे बहुत सजग व्यक्तित्व है ; उनके दोहे चुटीले हैं और बहुदा अभिधा, लक्षणा और व्यंजना में बहुत मारक ढंग से तीखा प्रहार करते हैं
मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी ने पिछले तीन चार वर्षों में जिस तरह से मप्र के लेखकों को सहयोग देकर उनकी पुस्तकें छपवाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है - वह बहुत ही प्रशंसनीय है ; हाल ही में दुर्गेश जी का संग्रह इसी योजना में आया है और उन्होंने बड़े प्रेम और मोहब्बत से मुझे भेजा है
मित्र और सखा डॉक्टर धर्मेंद्र पारे ने ब्लर्ब पर सही लिखा है कि "पाठक के स्मृति पटल पर समय के शिक्षक के चिंतन साक्ष्य की तरह अंकित हो जाने में यह संग्रह समर्थ प्रतीत होता है" हम सब मित्र देवास, हरदा, होशंगाबाद, भोपाल में लंबे समय तक साथ काम करते रहे हैं और दुर्गेश जी की पूरी यात्रा के हम साक्षी हैं
हम सब का लम्बे समय से आग्रह रहा है कि दुर्गेश को अपना संग्रह लाना चाहिए और उन्होंने मेहनत, लगन और पूरी मुस्तैदी से बड़ी मेहरबानी करके यह संग्रह लाया है, समर्पण में हम सबका नाम देखकर अप्रतिम ख़ुशी हो रही है
कल यह संग्रह मिला है जब घर लौटा हूँ तो दिल से आभारी हूं और धन्यवाद तो नहीं कहूंगा क्योंकि यह मेरा हक है, दुर्गेश भाई को बहुत-बहुत शुभकामनाएं कि "देखना एक दिन यह संगठन धूम मचाएगा बहुत"
स्नेह और शुभकामनाएं
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ये कोई मोहतरमा है जो मप्र के रतलाम की है , विद्वान लोग कह रहे ST है तो इसे 45% अंकों पर जज बना दो जबकि इंटरव्यू में 18 अंक आये है , एक - दो पोस्ट देखी तो मेरा जवाब था यह, मजेदार यह कि लिखने वाले न दलित है न आदिवासी बस आदिवासी के नाम पर घटिया राजनीति कर रहें है और इन्हें आदिवासियों से बड़े प्यार से बाहर ही नही किया निपटा भी दिया, मुंगेरीलालों का यही हश्र होता है
ध्यान रहें न ये महिला विरोधी पोस्ट के न आदिवासी विरोधी ना ही दलित विरोधी - विशुध्द तार्किक पोस्ट है क्योंकि मैं मेरे कॉलेज में यह सब रोज देख रहा हूँ , इसलिये ज्ञानी लोग दूर रहे और आरक्षण पर अपना अधकचरा ज्ञान ना दें
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45% मास्टर डिग्री में प्रवेश के लिये है किसी प्रतियोगी परीक्षा में उत्तीर्ण होने का नही, वहाँ कट ऑफ होता है , प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिशत नही कट ऑफ होता है
ऐसे तो UPSC में नार्थ ईस्ट के ST से लेकर बाकी सब भी इतने ले आते है तो क्या सबको आय ए एस बना दें या डॉक्टर बना दें
बिल्कुल बेतुका तर्क है कि इसने 3 साल तैयारी की तो जज बना दो, मतलब मूर्खता का कोई पैमाना भी नही छोड़ रहे, अबै प्रधान मंत्री बनने के लिए लोग 50 साल लगा देते है तो क्या बना दें
और मप्र में जज चयन में वरिष्ठ कानूनविद और जज बैठते है जिन्हें तोता रटंत स्टाइल में बेयर एक्ट्स के प्रावधान एकदम सही शब्दो में बोलने वाले जज चाहिये , सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के सन्दर्भ याद हो
मैं खुद गत 5 वर्षों से नियमित लॉ कर रहा हूँ और अब मास्टर डिग्री का अंतिम सेमेस्टर है तो यह कह सकता हूँ और बेवजह ब्राह्मण और सवर्ण को कोसने से कुछ नही होगा, मेरे परिचय में ST के बच्चे है जो 20/20 लेकर आये और 71% अंकों से चयनित हुए , मेरी क्लास के बागली कन्नौद जैसे tribal blocks चयनित हुए जजेस जो आदिवासी समुदाय से आते है , इंटरव्यू में कम मिलें 2.5 अंक प्रदेश स्तर पर मायने रखते है और यह दलील बिल्कुल गलत है कि उसे चयनित नही किया गया, लोग दस साल से लगे है, ST के बच्चों में भी तनाव है वे भी 1 अंक से रह जाते है पर यह सब नही कहते
कट ऑफ मतलब कट ऑफ
और अंक देखिये सँविधान के पेपर में उसे 35/100 मिलें है, तीन साल में सँविधान की यह तैयारी है - और ये जज बनना चाहती है , वकील बनने के योग्य नही लोवर कोर्ट में
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