|| मित्रता दिवस की शुभकामनाएं ||
उन्हें भी जो फेसबुक की दोस्ती को ही पंजीकृत दोस्ती मानते है और झट से अलग हो जाते है ब्लॉक करके
उन्हें भी जो फेक प्रोफ़ाइल से गर्दा मचाते रहते है और मोबाइल नम्बर मांगने पर कट के निकल लेते है अपनी औकात दिखाकर या माँ - बाप के दिये संस्कार दिखाकर
उन्हें भी जो आज भी ताकत है और जिन्हें कहो कि-"सुन यार", उसके पहले ही कह देते है "हो जाएगा टेंशन मत कर यार, तू अपना ख्याल रख बस"
उन्हें भी जो हर नाग पंचमी पर दूध पी जाते है और डकार भी नही लेते या गिरगिट बनकर चौबीसों घण्टे आसपास मंडराते रहते है मजाल कि आपको एक सांस भी चैन की लेने दें
उन्हें भी जो अभी दोस्ती के नाम पर "दो - दो - दो" ही करते रहते है और लौटाने के नाम पर कन्नी काट जाते है और मोबाइल नम्बर ही ब्लॉक कर देते है
उन्हें भी जो वर्षों के रिश्तों और सहयोग को भूलकर सिर्फ अपने थोथे वामी, कामी, सपाई, बसपाई, कांग्रेसी, भाजपाई, गांधीवादी, लोहियावादी, जेपीवादी, नेहरू वादी या माफ़िवीरवादी, मोइवादी, शाहीवादी या किसी और के नाम पर सब भूल जाते है
उन्हें भी जो संगीत साहित्य या पत्रकारिता में किसी विशेष को पसन्द करने पर निजी आक्रमण मान लेते है और अपने निजी व्यवहार या दुखों में सहयोग ना करने और ना लिखने पर अफसोस जताते हुए भड़ास निकालते है
उन्हें भी जो अपनी किताबों पर लम्बा - लम्बा लिखने की उम्मीद करते है और भिजवाते है, पर अपने स्वास्थ्य के चलते नही लिख पाता तो मन मे खुन्नस रखकर हर जगह रायता फैलाते रहते है
उन महिलाओं को भी जो कविता कहानी के बहाने आकर दूसरियों के किस्से और सह सम्बन्धों पर प्रकाश डालकर उपकृत कर जाती है और तमाम पुरस्कारों में इंदिरा जी की तर्ज पर विदेशी हाथ होने के पुख़्ता सबूत दे जाती है
उन माड़साब लोग्स को भी जिन्हें कभी कभी पियार से गरियाता हूँ कि हिंदी की ठेकेदारी से मुक्त होकर कुछ काम करो, अपने शोधार्थियों को बख्श दो कि वे बापड़े तुम्हारा कचरा और कूड़ा परोसकर मोदी की कचरे वाली गाड़ी के ड्राइवर हो गए है जो 24×7 चीखते है - गाड़ी वाला आया जरा कचरा निकाल
उन्हें भी जो सरकारी पदों पर है पर मजबूरी के चलते कोई लाइक कमेंट नही कर पाते और कभी कभी छप्पर फाड़कर फोन कर अपने मन की बात कह देते है
उन सभी पत्रकार, सम्पादक मित्रों को भी जो "माले मुफ्त - दिल बेरहम" की भावना से मेरा लिखा माल तो उड़ा लेते है, अपनी नौकरी बचा लेते है पर पारिश्रमिक तो दूर, मेरी लेखकीय प्रति भी नही भिजवाते या लिंक तक शेयर नही करते
उन सभी युवा कवि मित्रों को जो लिंक्डइन से लेकर इंस्टाग्राम और ट्वीटर पर भी फूलपत्ती से लेकर कविताएँ इतनी पेलते है कि एक दिन जुकरबर्ग इनकी वजह से आत्महत्या कर लेगा कि भाई बस करो अब, कही और जाओ बाबा
और अन्त में प्रार्थना
हे ईश्वर, अल्ला, जीसस, वाहे गुरू - इन सबको शक्ति देना कि ये इतने ही क्यूट, स्वीट और चार्मिंग बने रहें ताकि इनसे कह सकूँ कि "आय लभ यू "
मित्रता दिवस की पुनः शुभकामनाएं, स्वस्तिकामनाएँ आप सबको इस बात के साथ कि
"शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ,
कीजे मुझे क़ुबूल मिरी हर कमी के साथ"
[ अपुन इन सभी बिंदुओं में है दूसरों के लिये ]
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