"क्या हाल है भाई" - मैंने ही अभी फोन कर दिया सुबह - सुबह
"सब ठीक है भाई जी, आपका फोन पाकर खुशी हो रही है आज, कहिए कैसे याद किया, कोई काव्य गोष्ठी का आमंत्रण है" - लाईवा बहुत ही जोश में था
"नही, कविता वगैरह कुछ नही, बस हमारे यहाँ पूजा का रिवाज़ है कई पीढ़ियों से, आजकल वो आते ही नही है, तुम ज़रा जल्दी आ जाना, साढ़े दस बजे कॉलेज निकलना है" - मैंने कहा
लाईवा बोला - "है क्या आज जो आप इतने प्यार से बुला रहें हैं"
"अरे तुम्हे याद नही कि आज नाग पंचमी है, आओ तो सही, दूधपान का छोटा सा आयोजन और पूजा है, बस आ जाओ तुम अब, कल सेल से एक कुर्ता पाजामा भी ले आया हूँ तुम्हारी साइज़ का" - फोन काट दिया मैंने और अख़बार देखने लगा
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