मित्रों कोविड अब लगभग हर घर में पाँव पसार रहा है तो क्या करें दवाईयां और डॉक्टरी सलाह तो है ही पर हम मध्यमवर्गीय और निम्न मध्यमवर्गीय घरों में ज्यादा दिक्कत है
मुझे लगता है अब हम इसे मलेरिया की तरह माने और टेस्ट करवाएं, दवाई लें और सावधानी रखें - बस सब ठीक होगा
ज्यादा न्यूज ना देखे और पैनिक ना हो, सब लोग युवा है और प्रतिरोधक क्षमता सबकी अच्छी है
हमारा मराठी / मालवी भोजन बहुत पौष्टिक है , बस थोड़ा पनीर बढ़ा दें - प्रोटीन के लिए और सलाद ताकि जिंक आदि मिल सकें, अगर अंडा खाते हो तो एक अंडा रोज लें
परेशान ना हो, फिल्में देखें, पढ़े, गाने सुनें, गप्प करें , फोन लगाएं - समय की चिंता ना करें, रात को दो बजे जगा दें भले, किसी को भी - सब अपने ही है, अपने परिवार के वाट्सएप समूहों में अंत्याक्षरी खेलें, पुरानी बातें याद करें, शादी - ब्याह के पुराने फोटो शेयर करके सुहानी स्मृतियों को याद करें , चुहल करें, झगड़ा करें कि नागिन डांस क्यों नही करने दिया था, खाना खराब क्यों बना था, एक शर्ट पीस ही क्यो दिया विदाई में, एक दूसरे को छेड़े और मस्ती करें
अपने अनुभव लिखें और सकारात्मक रहें बस ज्यादा तनाव नही लेना, हम सबकी बही कही ना कही लिखी रखी है - क्यों चिन्ता करना, वैसे भी यह शरीर और संसार नश्वर है - यही समय है जब हम थोड़ा अपने भीतर झाँके, अंदर की यात्रा करें, आत्म मंथन करें और विचार करें कि क्या खोया क्या पाया
जीवन मे हमने बड़ी बड़ी चुनौतियां फतह की है तो 10 - 12 दिन तो यूँ निकल जाएंगे
किसी को बात करना हो, गप्प करना हो, निंदा पुराण करके भड़ास निकालना हो तो मैं यहाँ हूँ 24 ×7
विचलित ना हो - सिर्फ यह देखे कि इस सारे के बावजूद हम अभी भी बेहतर है - घर है, छत है, राशन है, रोज के खर्च के लिए कुछ रुपये हैं, दोस्त है रिश्तेदार है उनका सोचिये जो सड़कों पर है और नितांत अकेले है
आप सबके लिए दुआएँ और खूब प्यार
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लब पे आती है दुआ बनकर
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निराशा की घड़ियों में आस्था और विश्वास हमेंशा संग साथ होता है
बाल सखा, हाजी
Afzal Rana
भाई ने पिछले वर्ष भी लॉक डाउन के समय देवास में खूब खाना बांटा, आटे से लेकर किराना सामान की एक बोरी थी जिससे बहुतों को आधार मिला था इस वर्ष देवास अस्पताल में स्पेशल बेड की बहुत कमी है आज अफ़ज़ल ने लगभग साठ हजार रुपयों के 5 स्पेशल बेड दान किये और उम्मीद है कि आठ दिन मे ये स्पेशल बेड आ जायेंगे
माहे रमादान में हीबा का बहुत महत्व है और करने वाले को बड़ा सबाब मिलता है, अफ़ज़ल भाई की बिटिया पेशे से डाक्टर है, जब तक देवास के सरकारी अस्पताल में थी - खूब काम किया लोगों के लिए, अब मुरादाबाद में हमारे जमाई के साथ लोगों की मदद कर रही है
माहे रमादान में पहले दिन इससे बेहतर सकारात्मक समाचार क्या हो सकता है , हर कोई मन्दिर - मस्ज़िदों या उत्सवों में ज्यादा चंदा देने के बजाय आधा भी अस्पतालों में दान कर दें तो अस्पताल बगैर सरकारों के जन्नत बन जायेंगे, कर्मचारी एक माह का वेतन से कम से कम एक - एक स्पेशल बेड ही दे दें, दवाईयां - व्हील चेयर या 400 - 500 इंजेक्शन की क़ीमत तो कितनी जल्दी हम सब संवार लेंगे और यह सब हमारा स्थाई होगा
खूब जियो और ख़ुश रहो भाई
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आदमी मर गया और इन्हें दक्षिणा की पड़ी है
मतलब नीचता का इससे बड़ा उदाहरण
नँगे भूखों को लूटने का संगठित प्रयास, वैसे ही लोग कंगाल हो चुके है और ये महाशय पाप पुण्य में उलझाकर अपना उल्लू सीधा करना चाहते है - बस यही कुम्भ में जाने के कारण है अंध श्रद्धा भक्ति और पाप पुण्य का - अरे मूर्खो जितनी हालत अभी बर्बाद हुई उससे ज्यादा तो भगवान भी नही कर सकता अब, क्यों इस मोक्ष और शांति के चक्कर में पड़े हो
चित्र सौजन्य
आने वाली पीढियां यकीन नही करेंगी कि दुनिया में जब करोड़ो लोग महामारी से मर रहें थे तो भारत में चुनाव, कुम्भ हो रहा था और धर्म परायण सत्ता ने कोरोना, मौत और अव्यवस्थाओं को बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका अदा की थी बावजूद इसके कि इस देश का संविधान पंथ निरपेक्ष था पर सत्ता लोगों को ढोंग, पाखंड, अंधविश्वास, मूर्ख बनाने और महिला शासित प्रदेश में महिला को चुनाव में पस्त करने के लिए धन - बल और अपनी सारी ताक़त लगाकर रोज़ मृत्यु का आंकड़ा बढ़ा रही थी और बेशर्मी इतनी थी कि इन मौतों को कही दर्ज भी नही किया गया
साधु - संत और धर्म गुरुओं को अपने धंधे की पड़ी है और इससे ज्यादा बड़ा सबूत क्या होगा कि धर्म का आम आदमी से, उसके जीवन की सुरक्षा और भलाई से कोई सम्बंध नही है और इन तमाम मठाधीशों को मात्र अपने स्वार्थ और स्वयं के पुण्य और मोक्ष की पड़ी है - इतनी बेशर्मी कहीं नही देखने को मिलेगी
प्रशासन, न्याय पालिका निहत्थे करके लोकतांत्रिक तिकड़मी सरकार ने देश को क्या से क्या कर दिया
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साहित्य की इधर विचित्र स्थिति है, दिग्गज लोग ( तथाकथित बड़े, बाकी ये असलियत में तो अव्वल दर्जे के धूर्त और मक्कार है) चुप है - अव्यवस्थाओं पर, लॉक डाउन पर, अस्पताल, आक्सीजन, दवाओं की कमी, बेरोजगारी, अत्याचार और गाँव - कस्बों और शहरों में बिगड़ते हालातो पर
सही भी है कि इन्हें इनकी औकात भी मालूम है कि इनकी बकवास ना कोई सुनने वाला है और ना इनके सुझावों को कोई मानने वाला है
थोड़े दिन में लाइव की दुकानें फिर चालू होंगी - वैसे ही पीले चावल आने लगे हैं रोज, इस बार तो जो लाइव से घृणा करते थे वे भी मानो जाग गए है, रोज दिन में शिफ्ट में लाइव पेल रहें है पकड़ - पकड़ के - हमारे कवि भी महामारी, त्रासदी और मजदूर, पलायन, भूख जैसे दस पंद्रह शब्दों से कविता का वितान रच रहे है
तौबा - तौबा
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बिहार में पकड़ाउ शादी की कथा व्यथा है "अंतर्द्वंद"
फ़िल्म ठीक है पर स्त्री पुरुषों खास करके विवाहित स्त्री पुरुषों के कानूनी पहलुओं की अनदेखी करती है जबकि आज कानूनी पक्षो को देखना ज्यादा जरूरी है, शादी के बाद दैहिक अधिकार और न्याय की भी अनदेखी है, बाकी बिहार का गुंडाराज खत्म कहाँ हुआ है आज, सब बदस्तूर जारी है
समय हो तो अमेज़ॉन पर देख डालिये
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आज हॉस्पिटल में जगह नहीं है ये वास्तविकता है
लेकिन हम हॉस्पिटल के लिये लड़े ही कब थे
हम तो मंदिर-मस्जिद के लिए लड़े वो आज बंद है
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घर, संस्कार और संस्कृति
नीम के पत्ते, बताशे की माला, कोरी साड़ी की बाँस पर बंधी गुडी सुख और समृद्धि की परिचायक और प्रतीक है, यह बाहर इसलिये लगाते है कि सब ओर सुख समृद्धि और ऐश्वर्य रहें, फसलें इतनी हो कि किसी पेट को कम ना पड़े, "नवीन वर्ष भरभराटीत जावं" - ऐसी दुआ हर मराठी माणूस सबको देता है बगैर भेदभाव और जात - पांत के बंधन माने बिना और उदार मन से सबके लिए प्रार्थना करता है
नीम की कड़वी पत्तियां खाकर इस गुडी की जहाँ पूजा करता है वही श्रीखंड जैसा स्वादिष्ट व्यंजन बनाकर नए वर्ष का आगाज़ भी करता है
नया वर्ष सबके लिए मंगलमयी हो, सब साथ रहें और सबके यश, धन - धान्य में वृद्धि हो, बरकत बनी रहें और सब लोग स्वस्थ रहें - इन्हीं कामनाओं के साथ पुनः आपको नूतन वर्ष की
बधाई
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◆ एक मित्र ने टीका लगवाया परसो निधन हो गया
◆ मेरी भाभी और बहन ने टीके के दोनो डोज़ लगवाए - कोरोना हो गया, दोनो चोइथराम अस्पताल में पिछले 20 वर्षों से ज्यादा समय से काम कर रही है - पैरा मेडिकल स्टाफ के रूप में
◆ एक मित्र के ससुर ने पन्ना में टीका लगवाया तबियत बिगड़ी और पन्ना में 24 घँटे भर्ती रहें , गम्भीर होने पर जबलपुर लाया गया है और वहाँ भर्ती है, दिल मात्र 10 % पम्पिंग कर पा रहा है
◆ देवास अमलतास में कल दो मरीजों की मृत्यु की खबर है जो टीके के दोनो डोज़ लगा चुके थे
◆ एक मामी और उनकी बेटी डोज़ लगवा चुके थे रतलाम में, कोरोना हो गया तो इंदौर लाकर भर्ती किया है, शुगर अनायास इतनी बढ़ गई है कि सम्हले नही सम्हल रही जबकि शुगर की कोई हिस्ट्री नही है
मतलब है क्या यह चक्कर और आज स्पुतनिक के नये डोज़ को इजाज़त मिल गई है, जिसके बारे में दावा है कि 91% तक सफल है
यह सिर्फ़ इसलिये कि सनद रहे और डाक्टर बिरादरी, शोधार्थी इसे endorse कर लें - जवाब और बहस की आवश्यकता नही
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