Skip to main content

Drisht kavi and Other posts of 15 and 16 Feb 2021

 "ये सरकारी दफ़्तर के पीठ कोरे कागज़ों पर छपा तुम्हारा नया संग्रह मिला, एक बात समझ नही आ रही कि हर कविता की शुरुवात 'आवाज़ आ रही है' से क्यों शुरू होती है" - मैंने लाइवा को पूछा, स्टेपल किये हुए 922 पेज की हर कविता को देखा सरसरी तौर पर

"असल में एक बार बड़ी मुश्किल से मौका मिला था - चुन्नीलाल अखाड़े के लाइव में पढ़ने का - पूरी कविता पढ़ दी, पर किसी ने सुनी नही, बाद में एक पहलवान ने भरे बाज़ार इज्जत उछाली कि साले आवाज़ है नही और लाइव करता है - बस तब से हर कविता की शुरुवात 'आवाज़ आ रही है ना' से करता हूँ और फिर श्रोताओं के लिए तीस सेकंड का मौन रखकर कविता पढ़ना शुरू करता हूँ" - लाइवा बोल रहा था
एक कॉफी ला बै और नही तो बीयर ला मैंने बेयरे को आर्डर दिया
***
इधर अपनी सरकार युवाओं से भोत ज्यादा ई पिरेम करने लगी है , जब देखो तब किसी भी 20 - 22 के छोरे, छोरी को बंद कर देते है - सच्ची में ट्वीटर सरकार है, देश की समस्या देखने के बजाय लगता है ये भी मेरी तरह के फुरसतिया लोगों की तरह सोशल मीडिया पर ही बैठे रेते हेंगे - सही बात है अब बिदेस जाने को नी मिल रियाँ, चुनाव बी नी हो रिये, कोई ससुरा बनारस,अहमदाबाद बी नई आ रियाँ तो टैंम पास कैसे करेंगे - पुराने जमाने में राजा महाराजा मनोरंजन के लिए ये तमाशे करते थे ना वैसे ई कर रिये हेंगे - भोत मज़ाकिया है अपनी मजबूत सरकार जो 22 साल की लड़की से मजाक कर रही है
वही मेरा इनकम टैक्स का रिफंड अभी तक नही वापिस किया, 20 से ज़्यादा ट्वीट निर्मला देवी, अनुराग ठाकुर और टैगोर जी को कर चुका पर मक्कारी इतनी है विभाग की कि जुआब बी नी दे रिये हेंगे और ना रुपया लौटा रिये हेंगे
भोत बहादुर हेंगे अपने पिरधान और गिरोह मंत्री
कित्ते इंच बोला था रे सांबा
असली मर्द हो तो पिट्रोल डीजल के भाव कम करके दिखाओ नही तो रैने दो गुरु तुमसे नी हो पायेगा
***

Comments

Popular posts from this blog

हमें सत्य के शिवालो की और ले चलो

आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत...

संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है

मुझसे कहा गया कि सँसद देश को प्रतिम्बित करने वाला दर्पण है जनता को जनता के विचारों का नैतिक समर्पण है लेकिन क्या यह सच है या यह सच है कि अपने यहाँ संसद तेली का वह घानी है जिसमें आधा तेल है आधा पानी है और यदि यह सच नहीं है तो यहाँ एक ईमानदार आदमी को अपने ईमानदारी का मलाल क्यों है जिसने सत्य कह दिया है उसका बूरा हाल क्यों है ॥ -धूमिल

चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास

शिवानी (प्रसिद्द पत्रकार सुश्री मृणाल पांडेय जी की माताजी)  ने अपने उपन्यास "शमशान चम्पा" में एक जिक्र किया है चम्पा तुझमे तीन गुण - रूप रंग और बास अवगुण तुझमे एक है भ्रमर ना आवें पास.    बहुत सालों तक वो परेशान होती रही कि आखिर चम्पा के पेड़ पर भंवरा क्यों नहीं आता......( वानस्पतिक रूप से चम्पा के फूलों पर भंवरा नहीं आता और इनमे नैसर्गिक परागण होता है) मै अक्सर अपनी एक मित्र को छेड़ा करता था कमोबेश रोज.......एक दिन उज्जैन के जिला शिक्षा केन्द्र में सुबह की बात होगी मैंने अपनी मित्र को फ़िर यही कहा.चम्पा तुझमे तीन गुण.............. तो एक शिक्षक महाशय से रहा नहीं गया और बोले कि क्या आप जानते है कि ऐसा क्यों है ? मैंने और मेरी मित्र ने कहा कि नहीं तो वे बोले......... चम्पा वरणी राधिका, भ्रमर कृष्ण का दास  यही कारण अवगुण भया,  भ्रमर ना आवें पास.    यह अदभुत उत्तर था दिमाग एकदम से सन्न रह गया मैंने आकर शिवानी जी को एक पत्र लिखा और कहा कि हमारे मालवे में इसका यह उत्तर है. शिवानी जी का पोस्ट कार्ड आया कि "'संदीप, जिस सवाल का मै सालों से उत्तर खोज रही थी व...