"ये सरकारी दफ़्तर के पीठ कोरे कागज़ों पर छपा तुम्हारा नया संग्रह मिला, एक बात समझ नही आ रही कि हर कविता की शुरुवात 'आवाज़ आ रही है' से क्यों शुरू होती है" - मैंने लाइवा को पूछा, स्टेपल किये हुए 922 पेज की हर कविता को देखा सरसरी तौर पर
"असल में एक बार बड़ी मुश्किल से मौका मिला था - चुन्नीलाल अखाड़े के लाइव में पढ़ने का - पूरी कविता पढ़ दी, पर किसी ने सुनी नही, बाद में एक पहलवान ने भरे बाज़ार इज्जत उछाली कि साले आवाज़ है नही और लाइव करता है - बस तब से हर कविता की शुरुवात 'आवाज़ आ रही है ना' से करता हूँ और फिर श्रोताओं के लिए तीस सेकंड का मौन रखकर कविता पढ़ना शुरू करता हूँ" - लाइवा बोल रहा था
एक कॉफी ला बै और नही तो बीयर ला मैंने बेयरे को आर्डर दिया
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इधर अपनी सरकार युवाओं से भोत ज्यादा ई पिरेम करने लगी है , जब देखो तब किसी भी 20 - 22 के छोरे, छोरी को बंद कर देते है - सच्ची में ट्वीटर सरकार है, देश की समस्या देखने के बजाय लगता है ये भी मेरी तरह के फुरसतिया लोगों की तरह सोशल मीडिया पर ही बैठे रेते हेंगे - सही बात है अब बिदेस जाने को नी मिल रियाँ, चुनाव बी नी हो रिये, कोई ससुरा बनारस,अहमदाबाद बी नई आ रियाँ तो टैंम पास कैसे करेंगे - पुराने जमाने में राजा महाराजा मनोरंजन के लिए ये तमाशे करते थे ना वैसे ई कर रिये हेंगे - भोत मज़ाकिया है अपनी मजबूत सरकार जो 22 साल की लड़की से मजाक कर रही है
वही मेरा इनकम टैक्स का रिफंड अभी तक नही वापिस किया, 20 से ज़्यादा ट्वीट निर्मला देवी, अनुराग ठाकुर और टैगोर जी को कर चुका पर मक्कारी इतनी है विभाग की कि जुआब बी नी दे रिये हेंगे और ना रुपया लौटा रिये हेंगे
भोत बहादुर हेंगे अपने पिरधान और गिरोह मंत्री
कित्ते इंच बोला था रे सांबा
असली मर्द हो तो पिट्रोल डीजल के भाव कम करके दिखाओ नही तो रैने दो गुरु तुमसे नी हो पायेगा
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