निर्मला सीतारमण जी को महिला कहना और सशक्तिकरण का उदाहरण देना ज्यादती है
जेएनयू से पढ़कर विभिन्न जगहों पर रहते हुए परिपक्व होना और कल वित्त मंत्री के रूप में बहीखाते का हिसाब किताब प्रस्तुत करना और फिर उन्हें महिला कहना बिल्कुल उचित नही है
इस स्तर पर यह जेंडर को पुख्ता करने वाली बातें हजम नही होती प्रभुओं
नीता अंबानी, इंदिरा नुई आदि से लेकर स्कूल, कॉलेजेस, ब्यूरोक्रेसी, चिकित्सा, न्याय, एनजीओ, मीडिया, फ़िल्म और विज्ञान के बड़े और वृहद क्षेत्रों में बड़े या मुख्य पदों पर काम करने वाली महिलाओं को महिलाओं के खाँचे में फिट करके हम असली सशक्तिकरण भूल जाते है
एक बार इन महिलाओं की कार्यशैली, काम के तरीके, विचार और प्रबंधन के तौर तरीकों को देखेंगे तो समझ पाएंगे कि ये पुरुषों से ज्यादा दृढ़, ज़िद्दी, बाज़दफ़ा अड़ियल - सनकी और बेहद घातक होती है जो हर बात को मन में रखती है और समय आने पर बुरी तरह से दुलत्ती देती है
मेहरबानी करके निर्मला सीतारमण जी को महिला के रूप में ना व्याख्यित करें और इन जैसी महिलाओं को जेंडर की बहस और समता, समानता से तो दूर ही रखें
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दो और दो का जोड़ हमेंशा चार कहाँ होता है
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कल का बजट सुन पूरी रात आसमान भी रोया
उच्च एवं चक्की में महीन पीसे मध्यम वर्ग की जय जय, गजब का राष्ट्रवाद हिन्दू राष्ट्र और देशप्रेम दिखा या नही, जमीन पर तारे दिखें या सितारें, अपनी औलादों को सेवफल, काजू बादाम खिलाएं कल या मूंग के भजिये बनाएं बीबी ने रात को, पालक पनीर या मुर्गे की टांग तो डिनर में होगी ही ना भाईयों बहनों , मित्रों
आज सारा मीडिया देख लें प्रिंट मीडिया, पूरे बजट को छाप दिया - जो सरकारी विज्ञप्ति में आया पेल दिया एक बार पढ़ा भी नही आँख के अंधों ने और सम्पादकों की अक्ल भी लगता है घास चरने गई है
एक भी जगह कही निगेटिव पढ़ने में नही आया, यह दर्शाता है कि कैसे आगे के 5 साल कागजों और मीडिया में विकास बढ़ेगा, कल निर्मला देवी ने बोला कि पिछले कार्यकाल में इतने एलईडी बल्ब सरकार ने बांटे है कि 130 करोड़ जनसंख्या को 35000 करोड़ यानी हर घर मे 260 बल्ब बंट गए है - जिन लोगों को इतना साधारण गणित ना आता हो वो मुख्य पृष्ठ पर आज विशेष सम्पादकीय ही लिख सकते है - डरपोक और कायर कौम
अखबारों में फर्जी डिग्री कर आये कुपढ़ और अनपढ़ बैठे है
अभी अगले 4 बहीखाते बाकी है श्रीमान जी, आप मेहनत करिये, टीडीएस भरिये, सड़क - बिजली - पानी - शिक्षा - स्वास्थ्य को रोईए और मिस्टर क्लीन का प्रमाणपत्र प्राप्त कीजिये टेक्स देकर , ये आपको अपनी कब्र पर लगाने पर काम आएगा
कितना अफसोस है कि हम लोग तो बोल समझ नही सकते कॉपी पेस्ट को, पर आप लोग मीडिया में क्या पकौड़े तलने आये है या चरणामृत पीने की कसम खाकर बैठे है
हम तो आपको ही बोलेंगे - क्योकि दो तीन रुपया रोज सुबह उठकर आपकी बौनी बट्टा करते है - आप तो रात को डेढ़ बजे दारू पीकर सम्पादकीय लिख जाते हो और गुड़ बुक में आ जाते हो पर ये अलग बात है कि आप के अख़बार हीरो होंडा से लेकर अलमारी, संगम तेल और नपुंसकों को आईवीएफ से अभिभावक बनाने वाले जैकेट्स से भरे रहते है - आपको हमारी गरज अब रही भी नही पर हमें तो पढ़ने का नशा है ना - तीन हिंदी और अंग्रेज़ी के दो अखबार पढ़कर हम पाल रहें हैं आपको
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जनकवि सरोज सम्मान 2019 मालिनी गौतम को
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तब कविता से कोई इतना नाता नही था अंग्रेज़ी साहित्य की दुनिया थी, 80 का दशक समाप्त हो रहा था - 1987 से 1992 - 94 की बात है, विक्रम विश्व विद्यालय - उज्जैन था, शोध था, मालवा था और दोस्ती यारियां थी, तब के दोस्त जीवन मे बने रहें और लिखते पढ़ते रहें साथ ही छपते रहें और पुरस्कृत भी होते रहें तो लाज़िम है कि खुशियां बांटने का अपना ही मज़ा होता है, मालिनी हर बार यह अवसर उपलब्ध कराती है और यह फक्र की भी बात है और मन को छू लेने वाली भी
हर वर्ष दिए जाने वाले जनकवि मुकुट बिहारी सरोज स्मृति सम्मान से इस वर्ष कवियित्री डॉ मालिनी गौतम को अभिनंदित किया जाएगा। झाबुआ में जन्मी डॉ मालिनी गुजरात के उच्च शिक्षा विभाग में एसोशिएट प्रोफ़ेसर हैं। वे छन्द और मुक्त छन्द दोनों विधाओं में लिखती हैं। अभी तक उनके कविता, ग़ज़ल, नवगीत विधाओं के चार कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनके अलावा गुजराती दलित कविता तथा समकालीन गुजराती कथाकारों की कहानियों के अनुवाद की दो पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं।
यह 15 वां जनकवि मुकुट बिहारी सरोज स्मृति सम्मान है। प्रति वर्ष इसे 26 जुलाई को आयोजित एक भव्य समारोह में दिया जाता है। इस वर्ष भी 26 जुलाई को ग्वालियर में यह सम्मान समारोह होगा। इसकी अध्यक्षता हिंदी की महत्वपूर्ण कवि, लेखिका और सम्पादक डॉ चन्द्रकला पांडेय, पूर्व सांसद करेंगी।
न्यास के अनुसार इस वर्ष का आयोजन स्त्री रचनाकारों पर केंद्रित रहेगा। देश की महत्वपूर्ण कवियित्रियाँ भी अपनी काव्य रचनाएं प्रस्तुत करेंगी।
अभी तक इससे सीताकिशोर खरे (सेंवढ़ा), निर्मला पुतुल (दुमका झारखण्ड), निदा फ़ाज़ली (मुम्बई), कृष्ण बक्षी (गंज बासौदा), अदम गौंडवी (गोंडा), उदय प्रताप सिंह (दिल्ली-मैनपुरी), नरेश सक्सेना (लख़नऊ), राजेश जोशी (भोपाल), डॉ. सविता सिंह (दिल्ली), राम अधीर (भोपाल), प्रकाश दीक्षित (ग्वालियर), कात्यायनी (लख़नऊ), महेश कटारे 'सुगम' (बीना), शुभा तथा मनमोहन (रोहतक) को अभिनंदित किया जा चुका है।
प्रिय मित्र मालिनी को हार्दिक बधाई , वे यूँही रचती रहें और खूब यश कमायें
ग्वालियर, गुना, भिण्ड, अशोकनगर आदि के मित्रों से अनुरोध है कि जरूर जाएं और इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करें
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