गुरु की करनी गुरु जानेगा
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संसार के गुरुओं को प्रणाम
उन्हें भी जो आज का इंतज़ार साल भर करते है और एक दिन पहले से ही रुपया गिनने की मशीन किराए से ले आते है
उन तथाकथित गुरुओं को भी प्रणाम जो बैंक से लेकर मास्टरी करते रहें, पेशे से बेईमानी करके भ्रष्टाचार करके निकल लिए पकड़े जाने के पहले और फिर अवैध कब्जे करके विशुद्ध मूर्ख बना रहे है अड्डों में
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो जमीन जायदाद और सुंदरियों के मायाजाल में धंसे हुए है और अरबों रुपया बना रखा और अब जेल में रहकर कड़वे घूंट पी रहें हैं
उन गुरुओं को प्रणाम जो कार्यालयीन समय में फेसबुक, वाट्सएप्प पर कहानी कविता पेलते रहते है
उन गुरुओं को भी प्रणाम जिन्हें ना हिंदी आती है ना अंग्रेज़ी और योग्यता में किसी नत्थू खैरे के चरण रज पीकर पीएचडी निपटा दिए और अब हिंदी ,राजनीति रसायन, इतिहास से लेकर विधि पढ़ा रहें हैं और छात्रों का सामना करने की हिम्मत नही होती
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो बाप दादों के गाये बजाए और दुनिया भर की महफिलों के कैसेट सुनकर घराने बनाकर बैठ गए है - संपत्ति और संगीत के वृहद संसार पर और अब अडानी, अम्बानियों की महफिलों में ठुमका लगाकर बेशर्मी से कमा रहे है किसी भांड की तरह और घरों में एक बार बड़ा दिखावटी श्राद्ध कर रुपया बटोरते है
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो दलित वंचितों को अपने चरण धोकर चवन्नी अठन्नी बटोरते हुए दादू, रसखान, कबीर, सूरदास और मीरा सुनाते - सुनाते अतिमहत्वकांक्षी हो गए और उसी जनता की दुलत्ती ख़ाकर गायब हो गए भक्ति की धुंध में, आज ना नजर आ रहें और ना झीनी चदरिया धो रहें
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो दलित - वंचित खेमे से मास्टर, डॉक्टर और पेशेवर उस्ताद बन गए और आज यह स्वीकार करने में परहेज करते है कि वे कहां से आये और अपने ही शिष्यों का जमकर शोषण करते है
उन गुरुओं को प्रणाम जिन्होंने कामरेड बनकर एनजीओ का धंधा खोला , हजारों युवाओं के खून की आखिरी बून्द भी चूस ली और आज खुद जमीन जायदाद, अरबो रुपया कमाकर "85 से 90 करोड़ का टर्न ओव्हर है - अपनी दुकान का" जैसे सदवाक्यों को सार्वजनिक रूप से कहते है
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो जन शिक्षा के लिए जीवन भर काम करते रहें और अंत में या तो स्वयम्भू कुलाधिपति बन गए 4 -5 विश्विद्यालयों के या अम्बानी, अडानी या अजीम प्रेम जैसे धूर्त उद्योगपतियों की गोद मे जाकर अपने निकम्मे और अज्ञानी बेटों - बेटियों के लिए अकूत संपत्ति जमा करने में लग गए
उन मीडिया के गुरुओं को भी प्रणाम जो अपने ठीक ठाक जगहों पर सेट हो गए छात्रों का दूध दुह रहें है और यहां वहां मुंह मारकर एक जगह बैठे रहे और हिंदी लिखना भी नही सीख सकें और आज पुलिस सर्च वारंट लेकर घूम रही है
उन युवा गुरुओं को भी प्रणिपात प्रणाम जो हर जगह से अयोग्य घोषित होने के बाद शानदार सेटिंगबाज बनें और दुनियाभर के चंदे, शिष्यवृत्ति और अनुदान से घर भर लिए और एकड़ों जमीन जायदाद बनाकर मठाधीश बन गए - सिर्फ गरीबी बेचकर यह अनूठा कारनामा करने वाले ये अद्वितीय लोग है
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो दूसरों की बीबियों को हड़फ गए, देशी विदेशी बीबियाँ "लक्स , अमूल और जॉकी " की भांति बदलते रहें और पूरी दुनिया मे नैतिकता, आचारगत शुचिता और सामाजिक शिष्टाचार पर ज्ञान देते रहें
उन गुरुओं को भी प्रणाम जिनके छात्रों को मजबूरी में
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो खुद ग्रेज्युएशन नही कर सकें, या नकल के सम्राट बनकर मास्टर्स डिग्रियां खरीदी पर आज शानदार स्कूल , कॉलेज और बड़े भवनों - गाड़ियों के मालिक है और इनकी भगाकर लाई गई बीबियाँ इनकी संस्थाओं में तानाशाह बनी शोषण की पर्याय है
उन गुरुओं को भी प्रणाम जिनके शोध छात्रों या सम्भावित गुरु की तलाश में लगें छात्रों को गुरु की हर लाईन, जायज -नाजायज विचार को, कहानी -कविता उपन्यास आलोचना की किताब का प्रचार प्रसार करना पड़ता है या उनके हर कार्यक्रम की भयानक वाली ना पढ़ी और समझे जा सकने वाली रपट लिखकर अखबार से लेकर फेसबुक तक छपवाना पड़ती है वरना " दूसरा गाइड ढूंढ लो" टाईप मुख मुद्राएं रोज़ झेलना पड़ती है
उन गुरुओं को भी प्रणाम जो मूल काम छोड़कर साहित्य की सेवा में लगे है और कविता, कहानी ,उपन्यास का पापड़ बड़ी उद्योग लगा रखा है, और बड़े सप्लायर है हरेक की वाल पर चरण झुकाते और तारीफ करते रीढ़हीन ये लोग बहुतायत में है - जिनमे से कइयों ने तो अपनी महत्वकांक्षा पूरी करने के लिए बाजदफ़े शरीर को भी सीढ़ी बनाया है
और बाकी तो जो है , हईये है
आप सब भी गुरु से कम नही , प्रणिपात प्रणाम आपको
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