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Sharwil's First Diwali and Posts from 4 to 7 Nov 2018


और हमारे सबसे लाड़ले #Sharwil जी की पहली दीवाली अपने घर 6 to 10 Nov 2018 
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जिनसे हमारी होली - दीवाली और सारे जहां की खुशियाँ है उन्हें इत्ता बड़ा होते देखकर मन प्रसन्न है और दिल से दुआएँ ही दुआएँ ही निकल रही हैं
अपने घर में सिद्धार्थ, अनिरुद्ध और अमेय के बाद बचपन सालों बाद लौटा है , किलकारियां, जोर से रोने और रूठने की अदाएं, नाजों - नख़रे, बच्चों के खिलौनें, खाने की बातें, सफाई और रंगों की विशेष सजावट
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दीवाली का बड़ा दिन कल है पर कल देर रात जब से आये है - घर के सारे लोग सेवा चाकरी में लगें हैं कि एक मिनिट भी अकेला ना छोड़ें और जब सोते है तो सब बारी बारी से निहारतें रहतें हैं और जागने का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं
बच्चे हैं तो घर है, परिवार है, दुनिया है - बाकी सब बेकार है
आइये, दुनिया के सब बच्चों के लिए दुआएँ करें - एक दिया उनकी बेहतरी, सुरक्षा और उज्ज्वल भविष्य के लिए लगाएं कि इस नन्हें दिए और पवित्र अग्नि के आलोक में वे हमारी ताकत बनें और राष्ट्र और समाज के लिए श्रेष्ठ करें
आपके आशीष की आकांक्षा में
- चिरंजीव शरविल स्नेहल सिद्धार्थ नाईक
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सुप्रभात
आप सबको शुभ दीपावली
आने वाला नया वर्ष सुख समृद्धि लाएं और हम सब शान्ति और प्यार से रहें , समाज मे भाईचारा और सौहार्द बना रहे
कोई भी ताकतें हमारे अमन चैन और आपसी सहयोग को छीन ना सकें और यदि कोई ऐसा करने की कोशिश करें भी तो प्रभु श्रीराम की तरह से उसका समूचा वंश नष्ट कर विभीषण जैसे के हाथ में उसका राज्य सौंपकर विजयी भाव से अपने वृहत्तर समाज मे लौट आएं जहां सब समान है और सबको लिखने पढ़ने और बोलने की इतनी आजादी हो कि एक धोबी भी जानकी माता पर भी प्रश्न उठा देता था ( हालांकि वह गलत था) और श्रीराम को सोचकर निर्णय लेना पड़ा था, उन्होंने धोबी को कुछ नही कहा ना ही 14 वर्ष वनवास काटकर आने के बाद मंथरा से बदला लेने या सजा का कोई जिक्र आता है - ऐसे अभिव्यक्ति के हिमायती श्रीराम प्रभु का राम राज्य स्थापित करने में सहभागी बनें ( उनका गर्भवती सीता को जंगल भेजने का निर्णय गलत था ) ख़ैर
दीवाली दीप पर्व है, रोशनी आबाद करिये और अपने चारों ओर कचरे की सफ़ाई करते हुए अँधेरों को भगाइये
सादर और स्नेह
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तुम सबसे ऊंची मूर्ति बनाओ विश्व की गुजरात मे चीन की बनी
तो
मैं सबसे ज्यादा तेल जलाकर दिए जलाऊँगा अपने गृह प्रदेश में कोरिया की प्रथम भद्र माताजी को बुलवाकर उदघाटन करवाऊंगा
जनता की मेहनत का रुपया बर्बाद कौन ढंग से और संविधानिक तरीके से करता है देखें जरा
2019 में देखें कौन बनता है राष्ट्र प्रमुख ?
[आपको क्या लगता है प्रतिस्पर्धा सिर्फ हम जैसे घटिया लोगों में ही होती है ]
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मप्र में भी साला बेगमगंज, शाहगंज, होशंगाबाद से लेकर ओबेदुल्लागंज और ना जाने कौन कौन से घटिया शहर है, काश कि शिवराज जी को भी सद्बुद्धि गत 13 वर्षों में आई होती तो आज उनका चेहरा ताज़े गुलाब नुमा ख़िला ख़िला होता
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अयोध्या तक जाने और आने का हवाई किराया नही लगेगा भिया
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम एयरपोर्ट पर पुष्पक विमान उड़ेंगें तो एयर फ्यूल की जरूरत नही होगी, बस किराए में हार फूल, चना चिरौंजी, कपूर, गन्ध, अक्षद और थोड़ा सा गंगाजल लगेगा जो एयरपोर्ट पर बिक्री के लिए उपलब्ध होगा
आभारी हूँ श्रद्धेय आदित्यनाथ योगी उर्फ बदलू भोगी, प्रमुख महामात्य , धर्म प्रांत , जम्बू द्वीप का जिन्होंने आज यह घोषणा की
जानकारी के लिए बता दूं, कि मैं समर्थन में हूँ इस तरह के नामों का सभी जगहों का नाम भगवानों के नाम पर होना ही चाहिए, बदलाव के इस दौर में सबका नाम बदलना जरूरी है इससे सँस्कृति, सनातन धर्म, परम्परा और सभ्यता अक्षुण्ण बनी रहती है
मितरों, दिल्ली मुंबई से लेकर कालूखेड़ी और झुमरी तलैया तक के एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन , बस अड्डे और स्टॉप्स के नाम सुझाइए और सरकार से इनाम पाइए
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और मैं आदित्यनाथ योगी, भावी प्रधान लोकसेवक, भारत का नाम बदलकर जम्बू द्वीप करता हूँ और मेरी रियासत यानी जनपद - उत्तर प्रदेश का नाम आज से धर्म प्रांत होगा
मेरा नाम बदलू भोगी होगा, मुझे एतद नाम से जाना जाए
- आज्ञा से
प्रमुख महामात्य 
धर्म प्रांत , जम्बू द्वीप

नरक चतुर्दशी / आश्विन - कार्तिक
शके १९४०

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ठाठ की नौकरी की, मस्त मकान दुकान और रुपया बनाया, घूमे फिरे और क्या नही किया इतने बरस ऊपर से कविता अलग लिखी गरीबी की अमीरी ठाठ से और फिर आया बुढ़ापा तो लक्ष्मी बरसने लगी , अनुयायियों की भीड़ में एक नए ने कहा 'जनकवि'
हद है चापलूसी की - यही समझ पैदा की तूने भी इत्ते बरस कविता लिखकर, धन्य है वाग्देवी के वंशज, कुछ तो बारहों मास छत्तीस घड़ी इष्ट, आराध्य और कुलदेव मानकर छाती फुलाते नही अघाते थे, अब एक और फिदायीन बनने निकल पड़ा, ससुर पुरस्कार की माया ही निराली है
फक्कड़ लोग जिनके पैरों में चप्पल नही , यायावरी करते मर गए वे राजकवि क्योकि उनके नाम पर मठ बन गए और परम्पराएं चालू हो गई, फांका करते दिन गुजरे - चांपाकल का पानी पीकर दुर्गा दुर्गा, बम बम करते मरें और उनके मठ के पहरेदार दिल्ली के बहाने देश हांकने के अगुआ बन गए
पिछलग्गु और भांड - चारण लगे पड़े है आरतियां उतारने में, अरे ढपोर शंखियों तुम्हारे पूजा के थाल सजाने से तुम्हारे मन्दिर नहीं बनेंगें , तुम ढोते रहने को अभिशप्त थे और बने रहोगे, इसलिए बजाते रहो, मंगलाचरण गाओ - बस , यही औकात है तुम्हारी
हिंदी का संसार दोगलों से भरा पड़ा है, चार दरूये दोस्त हो तो आपका जीवन समझो संवर गया
अंधे बांटें रेवड़ी और अपन अपन को देय
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विजय माल्या, तमाम मोदियों, संदेसरियाओं, उर्जित पटेल, अपने मोई जी, जयेश शाह वल्द अमित शाह, रामदेव और इसके हमजाद बालकृष्ण, अम्बानी द्वय, अम्बानी भाभियों, अडानी और परमपूज्य जेटली की ओर से देश के भिखमंगों और मूर्खों को 15 लाख का पुनः वादा करते हुए धनतेरस की बधाई और मंगलकामनाएं
आशा है 2019 में जस्टिस काटजू के हिंदुस्तानी चरित्र पुनः इन सबको जितायेंगें और अगले 50 वर्ष के लिए शुभकामनाएं स्थाई हासिल करें
इस दीवाली पर आप और नंगे - भूखें रहें, कंगाल हो, आप सबने जो बैंक में ओपन हार्ट, किडनी फेल या कैंसर होने की संभावना को लेकर राशि रखी है, उसे निकालने में आपके बाप को भी पसीना आ जाएं , आपके बेटे बेटियों की शादी के समय आपकी बेइज्जती हो, आपके परिवार के लोग अपना रुपया निकालने में एटीएम की पंक्ति वाली भीड़ में ही "ऑन द स्पॉट" मर जाये , देश के किसान आत्महत्या करें ताकि हमारी जिम्मेदारियां कम हो - यह तमन्ना है और ठोस उम्मीद, हम कोशिश करेंगे कि चीन, जापान से लेकर दुनिया भर के ठगों को लाकर आपको जितना उल्लू, मूर्ख और चूतिया बनाया जा सकता है , बनाएं -शोषित कर खून चूस लें - यह और आने वाली लोकप्रिय असली राष्ट्र प्रेमी सरकार पूरी कोशिश ही नही बल्कि योजना और कानून बनाकर करेगी
याद है ना 8 नवम्बर, रात 8 बजे, टीवी पर दिया भाषण - स्वागत नही करोगे , वंदन द्वार नही सजाओगे, शहनाई नही बजाओगे मितरों
- भारत सरकार 
- देशभर के गुलाम मुख्यमंत्री 
- समस्त बैंकों के चेयरमैन 
- सभी गिरवी रखी संविधानिक संस्थाओं के प्रमुख

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Interestingly in both the parties tickets have been distributed to certain persons who have no "Connect with People," with their own town or constituency but they used social media for last two years, fought like warriors of world war - won & defeated and finally with this Eye wash technique they gathered lacs of virtual followers and Today they are On the Ground in the incarnation of Supporters of Democracy. Victory is different issue but they got the tickets.
Who said FB, Twitter and all is useless, bring them here and show case these jokers , I wanna give them a kick at / on their bump
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अब मन्दिर बन ही जाने दिया जाये, इनके मुगालते भी दूर होंगे और वोटों की फसल भी खत्म, साधुओं को कोई काम है नही तो क्या करेंगे, अरे अयोध्या जाओ तुम्हारे योगी ने गजब के रोजगार खोल रखे है 100 राम सीता की जोड़ी बनाई है, पुष्पक विमान आएगा जाओ बैठो उसमे साधु महाराज , मेहनत करो मिट्टी के दिये तो बना सकते हो या वो भी नही, सिर्फ फूंको मत
इतनी अधीरता 4 साल में दिखाते तो मोदी जी अपने मिसरा जी से अभी तक बनवा लेते , कुछ भी नही किया - अरे इतनी अधीरता अपने कश्मीरी पंडितों के लिए दिखाओ, धारा 370 हटाने के लिए दिखाओ, समान आचार संहिता के लिए दिखाओ, पाकिस्तान को नेस्तनाबूद करने के लिए दिखाओ, चीनी घुसपैठ के लिए दिखाओ - लाओ ना प्राईवेट बिल - लाओ राकेश सिन्हा महाराज - कछू करो ना , मेरे 15 लाख दिला दो मेरे वचन बद्ध मोदी जी से , ससुर चार साल से बेरोजगार हूँ अभी तक ब्याज ही कितना हो जाता
संबित पात्रा कछू बोलो ना , कब तक चुप रहोगे और उस बापडे प्रवीण तोगड़िया को भी सामाजिक विकलांग पेंशन शुरू कर दो, विक्षप्त हो गया है बेचारा और अब मलेरिया का इलाज भी नही कर सकता, और वो रामदेव देखो तुम्हारे राम लला का नाम लेकर व्यवसाय के फ़लक पर छा गया और गुरु पूर्णिमा पर दान देने वाले तुम्हारे हमदर्दों को भिखमंगा कर गया - यह भी भागेगा देखना जल्दी ही
भाजपा कार्यालय, पटेल की मूर्ति, अम्बानी का पेट , विजय माल्या से लेकर तमाम मोदियों, सन्देशरियाओं को इतना अकूत धन दौलत और नगदी रुपया कहां से उपलब्ध होता कि बोरों में भरकर जेटली की सहमति से भाग जाते, तुम्हारे ऊर्जित पटेल की आत्मा भी जाग गई जब उसकी औलादों ने पूछा कि पप्पा देश क्या होता है और देश प्रेम क्या होता है - अब जयंत शाह तो हर कोई नही होता ना जो नैतिक शिक्षा के पेपर में नकल करके पास हुआ
बकवास के सिवा कुछ नही अब इन्हें 5 राज्यों में डूबती नैया को सम्हालने में एक ही केवट नजर आ रहें हैं प्रभु श्रीराम ☺️ 12 दिसम्बर के बाद सारा ज्वार भाटा उतर जाएगा और फिर देव आयेंगें मार्च में
क्या कहते थे परसाई - हम एक उम्र से वाकिफ है
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आभा निवसरकर "एक गीत ढूंढ रही हूं... किसी के पास हो तो बताएं.. अज्ञान के अंधेरों से हमें ज्ञान के उजालों की ओर ले चलो... असत्य की दीवारों से हमें सत्य के शिवालों की ओर ले चलो.....हम की मर्यादा न तोड़े एक सीमा में रहें ना करें अन्याय औरों पर न औरों का सहें नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." मैंने भी ये गीत चित्रकूट विवि से बी एड करते समय मेरी सहपाठिन जो छिंदवाडा से थी के मुह से सुना था मुझे सिर्फ यही पंक्तिया याद है " नफरतों के जहर से प्रेम के प्यालों की ओर ले चलो...." बस बहुत सालो से खोज जारी है वो सहपाठिन शिशु मंदिर में पढाती थी शायद किसी दीदी या अचार जी को याद हो........? अगर मिले तो यहाँ जरूर पोस्ट करना अदभुत स्वर थे और शब्द तो बहुत ही सुन्दर थे..... "सब दुखो के जहर का एक ही इलाज है या तो ये अज्ञानता अपनी या तो ये अभिमान है....नफरतो के जहर से प्रेम के प्यालो की और ले चलो........"ये भी याद आया कमाल है मेरी हार्ड डिस्क बही भी काम कर रही है ........आज सन १९९१-९२ की बातें याद आ गयी बरबस और सतना की यादें और मेरी एक कहानी "सत

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