सुन रहे हो ना...... कहां हो तुम ........ तुम्हारे लिए.......
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चरागों को आँखों में महफूज रखना
बड़ी दूर तक रात ही रात होगी
~ बशीर बद्र साहब
कांग्रेसी इंदिरा गांधी को नही पर देश की मजबूत , पहली महिला प्रधान मंत्री को भी इतनी देर की बकर में याद कर श्रद्धांजलि दे दी होती तो महान हो जाते
भूलो मत तुमसे पहले यहां जो तख्तनशी था ....
इतने बड़े पद पर होकर इतना ओछा होना शोभा नही देता
हम लोग तो है ही टुच्चे और तुम्हारे नही, तुम्हारी नीतियों के विरोधी पर सम्मान करते है, देश की बात आने पर तुम्हे सम्मान देते है , तुम्हारी नोटबन्दी से लेकर बाकी सारे निर्णयों को भी स्वीकार करते है और संविधानिक सीमाओं में रहकर अपना पक्ष दर्ज करते है
पर तुम तो रोल मॉडल हो और जिस पद पर आसीन हो वहां देश का गौरव बनाएं रखना सबसे पहला काम है फिर तुमने तो देखा है उस महिला को , किस तरह से उसने देश मे काम किया है , आज यह भूल रहे हो कि कल कोई और इस पद पर आएगा और तुम्हे भी भूल जाएगा
स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण पर "यूनिटी" का शाब्दिक अर्थ नही समझ पाए मोदी जी- आपसे क्या अपेक्षा करें कि आप दलित, वंचित, आदिवासियों और बाकी सबको इस भारत मे एक कर पाएंगें , दुनिया को एक कर पाएंगे, ऊंची प्रतिमा के नीचे इतना ओछापन दिखाना मनुष्य होने और आदमियत ना होने की राष्ट्रीय शर्म है
हम सब भारतवासी होने के नाते शर्मिंदा है आपकी इस तरह से एक महिला प्रधानमंत्री की जानबूझकर की गई उपेक्षा के लिए
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सबसे ऊँचा फेंकने वाला आज सबसे ऊँची प्रतिमा का अनावरण करेगा , जिन्दगी भर पटेल के बारे में ऊँच नीच करते रहें और अब उसी में अपनी अस्मिता नजर आ रही है........
दो ऊँची चीज आज विश्व रिकॉर्ड बन रही है, भारतवासियों, देश भक्तों बधाई..........
पांच साल की उपलब्धि है मोदी जी की, इस बात पर एक कार्यकाल तो और बनता है ताकि अगली बार अम्बानी अडानी माल्या से लेकर उर्जित पटेल तक की मूर्ति लग जाएं देश भर में ☺☺☺☺
क्यों मितरों
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इज़ ऑफ डूइंग बिजिनेस में भारत की रैंक सुधरी
जेटली ने ख़ुश होकर सूचित किया
बिल्कुल सही है जनाब
लोन लो , कमाओ खूब, NPA बैंक का करो और फिर देश छोड़कर भाग जाओ
This is what real Ease of Doing Business, I had a word with some senior economists they categorically said "go and ask any Banker , this is just an eye wash and an attempt to lift the face"
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मन्दिर का हल्ला 5 राज्यों के चुनाव तक ही होगा और राकेश सिन्हा प्राईवेट बिल लाएँगे, इनको समझाओ कोई कि गुरु 1947 से अभी तक मात्र 15 प्राईवेट बिल पास हुए है और अधिकांशतः इस तरह के बिल्स पर चर्चा नही हुई है, 95 % बिल कचरे के ढेर में पड़े सड़ गए
सिन्हा जी इतने दिनों से दलितों और महिलाओं पर ऊना से लेकर तमाम देशभर में अत्याचार हो रहे है , 3 या 4 माह की बच्चियों से बलात्कार कर हत्या कर दी जा रही है, देशभर की अदालतों में 4 करोड़ केस पेंडिंग है, बेरोजगारी अब देश का पर्याय है, आपके मित्र रुपया लेकर हम सबको कंगाल कर भाग गए - आपको प्राईवेट बिल लाने का ख्याल नही आया, आपकी संवेदनाएं मानवीय है या वायवीय
अल्लामा इकबाल ने लिखा था
"सच कह दूं ए बरहमकन, गर तू बुरा न माने
तेरे सनमकदों के बुत हो गए पुराने ,
अपनों से बैर रखना तुने बुतों से सीखा
जंगो जगल सिखाया वाईज़ को भी ख़ुदा ने"
और ये बिल लाएँगे तो भाजपा के पुराने चावल इसको क्रेडिट देँगे क्या , अरे महाराज जरा राजनीति समझो ना, हम लोग तो समझ गए है कि तुम सब चुनाव सामने देखते ही मन्दिर मन्दिर करते हो बाकी पांच साल तो घर में नवरात्रि के उपवास नही करते और अयोध्या झाँकने नही जाते
बन्द करो बे लोगों को बेवकूफ़ समझना, सारी अक्ल का ठेका तुमने ही ले रखा है क्या प्रभु , मतलब भगवान श्रीराम से ज़्यादा पापुलर होना चाहते हो क्या
दूसरा योगी जी अयोध्या में जनता का रुपया उजाड़कर सबसे बड़ी दीवाली का उत्सव 3 दिनों तक मनाएंगे, आक्सीजन दे दी क्या बच्चो की और सैफई उत्सव करने वालों और तुममे फर्क क्या है योगी जी, बस तुम मुलम्मा प्रभु श्रीराम के नाम का चढ़ा रहे हो, उतना तेल आंगनवाड़ी के बच्चों के लिए सहेज कर इस्तेमाल कर लेने दो तो उप्र का कुपोषण कुछ कम होगा
खैर, हे हे है , मालवा में कहते है कि मुगालते की भैंस पाड़ा जनती है समझे राकेश बाबू
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राहुल से आज फारुख , चन्द्र बाबू मिलें और अब यह नौटँकी चलेगी 2019 तक
कुछ होगा नही बस बकलौली चलती रहेगी , मुझे गम्भीरता से लगता है कि क्षेत्रीय पार्टियों को बजाय इस तरह की मूर्खता करने के अपने इलाकों में काम करना चाहिए और हवाई किले बनाने के काम जमीन पुख्ता होने के बाद करें ये शेख़चिल्लीगण
यह निहायत ही मूर्खता भरा कदम है और इतने विविध लोग एक साथ काम नही कर सकते और मोदी एंड पार्टी कम है क्या - जैसे मायावती को दबाकर रख दिया ठंडे बस्ते में , उस तरह से किसी का भी पुराना केस निकालकर ये दबाएंगे
अपने क्षेत्र में काम करना ज्यादा जरूरी है
बजाय ये एकता जैसे चमकीले नारे के और बकवास के और ये सब कांग्रेस के बैनर तले क्यों आ रहें है - इनमे से कोई संयोजन और समन्वय के लायक नही क्या
थोड़ा गम्भीरता से सोचिए दुश्मन का दुश्मन अब हमेंशा दोस्त नही होता, दोस्त से बड़े दुश्मन भी नही होते
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