काले बादलों में सुरों का क्रंदन - इतिहास में शास्त्रीय गायिका की मौत __________________________ 1 मरना तो सबको ही होता है क्योकि बचा कौन है अमरता का पट्टा कोई नही लिखाकर लाता आम लोग हो, कलाकार या अभिनेता याकि इतिहासकार बल्कि आम लोग बहुत धैर्य और शांति से मरते है कलाकार या अभिनेता उत्तेजना में मौत से याचना करते है वो भी मर रही है ऐसे ही उत्तेजित होते हुए बगैर जाने कि बेगम अख्तर, शमशाद बेगम या गंगुबाई भी मरी होगी अभी किशोरी अमोनकर भी यूँही मरी थी यकायक देख रहा हूँ कि वो भी मर रही है ऐसे ही हर पल हर रोज जबसे उसने गाने के बजाय नकल को धँधा बना लिया यह बाजार का जमाना है जो हमारे घर मे घुस आया है यह अपने जन्मनाओं की कला को बेचने का समय है यह रागों को छोड़कर घराने बनाने का समय है रसिकों मौत से रुपया कमाकर कला की नुमाइश का समय हैे देख रहा हूँ कि शास्त्रीयता की आड़ में बिक रही है कला अब शास्त्रीयता का एक आवरण ओढ़े बाजार में है वह जहां उद्योगपति जाम लेकर सराहते है कला का मर्म अधिकारी पढ़ते है कविता बेहूदी सी वाहवाही के लि...
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