भीगा आसमान, गीली धरती और कोयल
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रिमझिम में नेह की अमृत बूँदें
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जिस देश में सेनेटरी नेपकिन, गुटखा, पान मसाले, टूथपेस्ट, और चड्ढी बनियान से राष्ट्रीय न्यूज प्रायोजित होती हो और नीम हकीम, संगम तेल, जापानी तेल और अंग वर्धक फर्जी उपकरणों से अखबार चलते हो, पोर्न तस्वीरों से अखबारों के ई संस्करण निकलते हो, ब्लैक मेल करके टेबलाईट या सप्लीमेंट निकलते हो, थानों से आई दारु और आय ए एस अधिकारी के बंगले पर हुई शराब, शबाब और कबाब पार्टी से देर रात लीड न्यूज बनती हो, सत्ता और सरकार के भृष्ट मंत्रियों के थोबड़े दिखाते विज्ञापन और कभी जमीन पर ना दिखने वाली योजनाओं से पत्रिकाएं छपती हो वहाँ आपको क्या उम्मीद है कि मीडिया चौथा स्तंभ है, मुआफ़ कीजिये आप भी निरे मूर्ख है फिर तो !!!
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जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या रोकने वाले भूल चुके है कि वे पैदा हो चुके है !!!
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खालिद का बुरहान की तुलना चे से करना गलत है इसलिए कि चे ग्वेरा एक बड़ी क्रान्ति की बात करते है और बदलाव की बात करते है और अलग मुक्ति की बात करते है जबकि यहां एक घोषित लड़ाकू को, जो भाई की मौत का बदला लेना चाहता है, को महिमा मंडित किया जा रहा है। मुझे लगता है कश्मीर पर अलग से संविधान और बाकी पूर्वाग्रहों से हटकर बात करने और तुरन्त समाधान की जरूरत है। यह काम देश के सभी लोगों को मिलकर करना चाहिए नाकि सिर्फ मोदी महबूबा और मीडिया। हम सब जानते है कि ये तीनों खाली और पूर्वाग्रहों से ग्रसित है बुरी तरह से।
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