अपने हर इक लफ्ज़ का खुद आइना हो जाऊंगा
उसको छोटा कह के कैसे मैं बड़ा हो जाऊंगा।
"दुश्मनों ने हमें क्या कहा ये हम याद नहीं रखेंगे, लेकिन दोस्तों की खामोशी को हम कभी भुला नहीं सकते"
मार्टिन लूथर किंग जूनियर
ईद मुबारक
आज घर था तो सोचा आमभात बनाया जाए। सन 1976-77 की बात है , पापा मनावर में काम करते थी, छोटी सी ब्लॉक कॉलोनी में क्वार्टर था, इंदौर आदि के लोग थे। उनके परिजन और बच्चे छुट्टियों में धमाल करते थे। हम भी माँ के साथ पूरे दो महीने मनावर में रहते और मजे करते थे। मनावर में स्टेट बैंक की नई शाखा खुली थी, एक करकरे साहब आये थे उनका परिवार भी था। बैंक खुलने की पार्टी उन्होंने घर दी थी और उनकी पत्नी ने लजीज आमभात बनाया था, जिसका स्वाद आज तक भूला नही हूँ। तब से हर साल सीजन में एक बार जरूर बनाता हूँ।
बहुत सरल है बनाना, आप भी बनाइये इस तरह से और मेरी फीस के रूप में 25 % पार्सल कर दीजिए बस।
बासमती चावल को धोकर घी में भूरा होने तक बघार ले और फिर थोड़ा सा पानी डालें, आधे पकने के बाद गाढ़ा सिर्फ आम का रस डाल कर तक मद्धी आंच पर पकाएं, ध्यान रहे रस में दूध ना हो। फिर जब रस में चावल पक जाए तो शक्कर डाल दें और थोड़ा ज्यादा घी। चाशनी गाढी होने तक बिलकुल हल्की आंच पर पकाएं , फिर बारीक खोबरे का बुरादा डालकर ठंडा करें और बाद मेवे डालकर परोसे। इसे आप आठ दस दिन तक रख सकते है.
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