नरेंद्र मोदी - सिर्फ एक बार आत्म विश्लेषण करो
दलित , मायावती, दया शंकर की बीबी के बहाने और गुजरात दलित पिटाई की आड़ में देश और दुनिया के महानतम मन मोहन सिंह फिर अम्बानी, अडानी और अपने आकाओं को फायदा पहुंचाने की फिराक में है। यही मायावती भाजपा की गोद में जाकर बैठेगी और सत्ता हथियायेगी। अभी ढाई साल से चल रहे "ध्यान भटकाओ और देश का सत्यानाश करो" वाला फार्मूला अपनाया हुआ है मन मोहन ने और आततायी की तरह से दंगा, धंधा, लूट और छूट का खेल खेल रहे है। दलित स्त्री, रंडी, वेश्या, बेटी के लिए मैदान में और पाक्सो आदि तो दादरी, गौ माता और बीफ़ के आगे के मुद्दे है ।
दलित के बहाने से संघ तुम्हारी लुटिया डुबो रहा है, आरक्षण के मामले में भागवत पुराण ने बिहार में रायता फैलाया था, अब ये दलित मुद्दे और माँ बहनें उप्र में पर्दा फाश करेंगी। असल में दिक्कत ये है कि डा मन मोहन सोनिया की कठपुतली थे और तुम ....
क्या बेवकूफ बनाते है अफजल, कन्हैया, दादरी, बीफ , गाय, भैंस, कश्मीर, पठानकोट, गुजरात, से लेकर अब मायावती पर मंदिर, 370, समान आचार संहिता , पकिस्तान, भ्र्ष्टाचार, व्यापमं, नक्सलवाद , बोडोलैंड, सूखा बाढ़, कुपोषण , आदि पर ये क्यों नही बोलते, क्योटो का क्या हुआ, बुलेट ट्रेन और विकास के बारे में बोलोगे, जहां गये वोट की भीख मांगने भाषण पिलाने वहाँ हरित क्रांति आयेगी जैसा दिल फरेब नारा दे आये और देश को दो साल में कर्जें से पाट दिया।
कांग्रेस को गलियाते रहोगे, 60 साल का कचरा दो साल में नही उठा सकते तो काहे मेडिसिन चौक पर संडास की भीख माँगी विदेशियों से, एक रिजर्व बैंक का निदेशक तुम्हारी पोल खोलकर चला गया, तुम्हारे 80 मंत्रियो में एक भी तुमसे खुश नही , सिवाय अपने हमजाद अमित शाह के तुम्हे किसी पर भरोसा नही, सारे काम "मैं करूँगा की जिद में आता ना जाता भारत माता" की तर्ज पर हर फैसला गलत साबित हो रहा है तुम्हारा। चुनाव हार रहे हो, जनाधार खिसक गया है, सुप्रीम कोर्ट से दो राज्यों में मुंह की खाकर बैठ गए हो - इंदौरी लठैत से भी दो राज्यों में कुछ झंडे नही गाड़ नही पाएं - ना खरीद पाएं जमीर। एक शिवराज, रमणसिंह और एक वसुंधरा का विकल्प तो नही है तुम्हारी विशालतम सदस्यों वाली पार्टी में तो क्या करोगे मन मोहन ?
अपनी पार्टी के बड़बोले उजबक सांसदों के मुंह तो नही बाँध पाएं जो साधू के भेष में तुम्हारी नाव में छेद कर रहे है, एक बलात्कारी निहालचंद्र को कैबिनेट से निकालने में दो साल लग गए तो कैसे अच्छे दिन लाओगे मन मोहन !!! तुम्हारी नाक के नीचे अरविन्द के निर्दोष लोगों को पकड़ने में तुम्हारी शक्ति जाया हो रही है, एक जंग को मोहरा बनाकर दिल्ली में खेल खेलना बहुत महंगा सौदा पड़ गया वह अरविन्द तो पंजाब या कही और चला जाएगा पर तुम्हारा क्या होगा विश्व विजयी बनने का सपना अधूरा ही रहेगा। आम के लोग तुम्हारे रोज मजे लेते है सरे आम खिल्ली उड़ाते है और जो भद पीट रही है उसे पूरी दुनिया देख रही है। एक चूहे ने घण्टी बाँध दी और अब वह चिंदी लेकर रोज दौड़ता है और तुम दुनिया में जहां जाते हो वहाँ से किसी खूसट सास की तरह से दिल्ली में उलझे रहते हो, तुम्हारी सारी ताकत एक अरविन्द से लड़कर खत्म हो गयी पर उसका दिल्ली के बाद दुसरे राज्यों में आधार बढ़ गया। उफ़ , यही है तुम्हारी राजनैतिक समझ !!!
विश्व भर में घूम कर तालियां तो बटोरी पर लच्छों से देश दुनिया नही चलती - ना एन एस जी में गये, ना फ्रांस ने मदद की , ना चीन ने चाटा, अफ़सोस कि बराक भी जाते समय धोखा देकर जा रहा है।
थोड़ा ठहरो तो, आत्म मंथन करो जिस देश के 31 % ने भरोसा करके वोट दिया - वो लोग तुम्हारी डिग्री और तुम्हारी शिक्षा मंत्री पर तंज कसते हो, जो तुम्हारी निजी जिंदगी का मजाक बनाते हो, राहुल जैसा मूर्ख तुम्हारा राजनैतिक प्रतिद्वंदी हो, लालू , नितीश , ममता से लेकर जयललिता जैसे लोग आईना दिखा रहे हो तो क्या ख़ाक प्रधानमंत्री हो देश की अवाम के।
मेरी मन मोहन से कोई दुश्मनी नही पर दया आती है कि इतने बड़े पद पर होकर भी तुम्हे लोग सिर्फ और सिर्फ एक विकल्प से ज्यादा नही मानते , यहां तक कि तुम्हारी पार्टी के लोग भी। थोड़ा आराम कर लो, माँ के पास चले जाओ थोड़े दिन और एक बार फिर से अपने आप से कहो कि मैं भारत का प्रधान मंत्री हूँ गुजरात का मुखिया नही। नही होता तो छोड़ दो हम दूसरा और खराब आदमी झेल लेंगे मन मोहन !!! याद रखना ये माल्या, अम्बानी या अडानी और टाटा किसी के क्या अपने बाप के नही हुए तो तुम्हारे क्या होंगे !
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