छोटे भाई की मृत्यु पश्चात कागजो की कार्यवाही और ना जाने कौन - कौनसी प्रक्रियाओं से तंग आ गया हूँ. सरकारी देयक अभी तक तो मिले नहीं है, मुख्यमंत्री हेल्प लाइन के भी बुरे हाल है मप्र में. 6 दिसंबर को शिकायत दर्ज करवाई थी परन्तु कुछ होने से रहा, भाई की पत्नी को सामान्य प्रशासन विभाग के नियमों के तहत अनुकम्पा नियुक्ति मिलना चाहिए परन्तु मप्र के अनूठे प्रशासन और भ्रष्ट राज में किसी का कोई काम समय पर हो जाए तो क्या बात है. जिले के अधिकारियों से लेकर मप्र के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और तमाम सचिवों, आयुक्त उज्जैन श्री रविन्द्र पस्तोर को भी आवेदन किये पर कुछ किसी का काम हो जाए तो वो प्रशासन ही क्या ? जो सरकार अपने मृत कर्मचारी के परिवार के देयको का भुगतान जो उसके परिवार का अधिकार है एक समय सीमा में नहीं कर सकती वह क्या मप्र बनाओ या कुशल प्रशासन का उदाहरण देगी. ऐसा ही एल पी जी गैस के कागज़ स्थानांतरित करवाने में हुआ, देवास के एक गैस एजेंसी ने कागज़ बदली के नाम पर मूल कागज़ रख लिए और भाभी को धमकाकर कर पांच सौ रूपये ऐठ लिए थे, कल जब एजेंसी पर मै गया और पूछा कि शपथ पत्र की क्या जरु...
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